विकास यात्रा: बढ़ रहा… गुजरात फार्मूले का दबाव

इन दिनों प्रदेश की सरकार आमजन के बीच अपना रिपोर्ट

कार्ड पेश कर उनकी समस्याओं को जानने व सुलझाने में लगी हुई है, लेकिन इस बीच जनप्रतिनिधियों को कहीं- कहीं आमजन के आक्रोश का शिकार भी होना पड़ रहा है। इस तरह की खबरों की वजह से भाजपा के रणनीतिकारों की परेशानियां बढ़ गई हैं। यही नहीं इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव की वजह से सरकारी एजेंसी और संगठन की तरफ से अलग-अलग सर्वे भी कराए गए हैं, जिसके नतीजों ने भी बीजेपी की पेशानी पर बल डाल दिया है। इसकी वजह से अब पार्टी पर प्रदेश में भी गुजरात फार्मूला अपनाने का दबाव बढ़ता दिखने लगा है। माना जा रहा है कि पार्टी डैमेज कंट्रोल करने के लिए गुजरात मॉडल को अपनाने पर भी गंभीरता से विचार कर रही है। विधानसभा चुनाव में एक बार फिर जीत दर्ज करने के लिए भाजपा के प्रमुख नेताओं को भी अब गुजरात फॉर्मूला कारगर हथियार नजर आना शुरु हो गया है। इसके तहत समाज के अलग-अलग वर्गों को साधने के साथ ही खराब छवि वाले विधायकों का टिकट काटना शामिल है। दरअसल प्रदेश में करीब एक दर्जन इलाकों में अब तक विकास यात्रा के दौरान भाजपा विधायकों को जनता के विरोध का सामना करना पड़ा है। हद तो यह है कि इस यात्रा के दौरान भीड़ जुटाने के लिए निवाड़ी में बार बालाओं तक का डांस कराना पड़ गया। उधर, इस तरह की खबरों के बाद कांग्रेस भी हमलावर नजर आ रही है। पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ भी सभाओं में शिवराज सिंह चौहान की विकास यात्रा को विनाश यात्रा बताते हुए हमले कर रहे हैं। सूत्रों की मानें तो विकास यात्रा से मिले फीडबैक को लेकर सरकार और संगठन दोनों की ङ्क्षचताएं बढ़ती जा रही हैं। इसकी वजह है वह सरकारी सर्वे जिसमें पार्टी को 100 से भी कम सीटें मिलने का आंकलन सामने आ रहा है। इसी तरह से सूत्रों का दावा है कि राष्ट्रीय सह-संगठन मंत्री और मध्यप्रदेश के प्रभारी शिव प्रकाश ने भी अपने स्तर पर एक सर्वे कराया है जिसमें पार्टी को 90 सीटों पर जीत मिलती बताई गई है। इसके बाद से ही सत्ता व संगठन को फोकस समाजों के साधने पर बढ़ गया है।
होगी भाजपा की बड़ी बैठक
प्रदेश में विकास यात्रा निकालने का दौर खत्म होने के बाद भाजपा संगठन विधायकों और पार्टी पदाधिकारियों की क्लास लगाने जा रही है। इस क्लास में योजनाओं के साथ नेताओं के कामकाज के फीडबैक पर चर्चा की जाएगी। बताया जा रहा है कि यह क्लास इस माह के अंत में या फिर मार्च के पहले हफ्ते में लगाई जा सकती है। इसमें प्रदेश के फीडबैक के साथ केंद्रीय नेतृत्व द्वारा दिए गए निर्देशों को बताने के साथ ही संगठन नेताओं को एक-एक बूथ की बारीक जानकारी ली जाएगी, जिसमें महिला, एससी-एसटी वर्ग के वोटर, युवा वोटर की जानकारी होना शामिल है। जिस विधायक या नेता के पास यह जानकारी नहीं होगी, उसे बूथ पर कमजोर पकड़ वाला माना जाएगा। साथ ही संबंधित नेताओं व कार्यकर्ताओं की निष्क्रियता भी इस मामले में मानी जाएगी। पार्टी बूथ कमेटी, पन्ना प्रमुख और वोटर लिस्ट के पेज के काम पर फोकस करेगी। नेताओं से अधिकतम प्रवास पर फिर जोर दिया जाएगा। पार्टी की बैठक में अगले दो माह तक चलने वाली स्नेह यात्रा और बूथ विस्तारीकरण व सशक्तिकरण के कार्यक्रम पर भी फोकस किया जाएगा।
सवा चार लाख लोगों को मिला विकास का डोज
चुनावी साल में सरकार द्वारा निकाली जा रही विकास यात्रा से भले ही भाजपा को राजनैतिक तौर पर फायदा हो , लेकिन इसका फायदा आमजन को भी मिल रहा है। इस यात्रा से मंत्री, विधायकों और अफसरों को जनता के दरबार में जाकर उनकी समस्याएं सुननी पड़ रही हैं। इस दौरान उन्हें अपने कामकाज का लेखा जोखा देना पड़ रहा है। विकास कार्यों का लोकार्पण व भूमिपूजन भी हो रहा है। इस दौरान लोग आवेदन लेकर विकास यात्रा में पहुंच रहे हैं। अभी तक 4 लाख 26 हजार से ज्यादा आवेदन सरकार द्वारा स्वीकृत किए गए हैं। इसकी वजह से लोगों की उम्मीदें भी बढ़ी हैं। यह बात अलग है कि आवेदनों की संख्या से सरकार का सिरदर्द बढ़ गया है। हाल ही में घोषित लाड़ली बहना योजना को लेकर महिलाओं में उत्साह देखने को मिल रहा है। कार्यक्रमों में सीएम, मंत्री, विधायक योजना की जानकारी दे रहे हैं। लाड़ली लक्ष्मी योजना, तीर्थ दर्शन सहित अन्य योजनाओं के भी फॉर्म भरे जा रहे हैं। जिलों में हेल्थ कार्ड का वितरण, पोषण संवाद, जन्म प्रमाण-पत्र और ग्रीन कार्ड, दिव्यांगता प्रमाण-पत्र का वितरण किया जा रहा है। उत्कृष्ट छात्रों का सम्मान, दिव्यांगों के लिए सहारा अभियान, विकास वृक्ष, एनीमिया मुक्ति अभियान आदि से लाभान्वित करने के प्रयास किए जा रहे हैं।
संत रविदास की मूर्ति से शुरुआत
इस सर्वे के बाद से ही सरकार का फोकस समाजों को साधने पर हो गया है। इसकी शुरुआत सागर में हाल ही 100 करोड़ की लागत से संत रविदास की मूर्ति लगाने से कर दी गई है। दरअसल प्रदेश में बहुमत के लिए 116 सीटों पर जीत जरुरी है। 2018 के चुनाव परिणाम अब भी भाजपा भूली नहीं हैं। उसके बाद भाजपा को करीब 15 माह तक सत्ता से बाहर रहना पड़ा था। तब कांग्रेस 114 सीटों पर और भाजपा को 109 सीटों पर जीत मिली थी। इसके अलावा सपा ने एक सीट बिजावर, तो बसपा ने दो सीट पथरिया और भिंड में जीत हासिल की थी, जबकि 4 सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवार विजयी रहे थे।
इस तरह से हुआ विरोध
नीमच के भाजपा विधायक दिलीप सिंह परिहार को उस समय विपरीत परिस्थितियों का सामना करना पड़ा , जब ग्रामीणों ने उन्हें घेर लिया तथा कहा कि वादे तो बहुत हो गए और विकास की बातें तो बहुत कर लीं आपने लेकिन यह गांव देवलिया से कराडिया महाराज वाली सडक़ कब बनेगी नाराज ग्रामीणों ने उन्हें खूब खरी खोटी भी सुनाई। आक्रोशित लोगों के तेवरों को भांपते ही सोनियाना पंचायत सरपंच को फोन पर सडक़ पर समतलीकरण हेतु मिट्टी से गड्ढों को रिपेयरिंग करने को कहा। आगर मालवा जिले की बड़ौद तहसील के सुदवास में ग्रामीणों ने काफिले को रोक लिया। क्षेत्र में विकास कार्य न होने पर खंडवा के गरणगांव में ग्रामीणों ने विधायक के विरोध में नारेबाजी भी की। सीहोर के इछावर में विधायक करण सिंह वर्मा को बिजली एवं पानी की समस्या को लेकर विरोध का सामना करना पड़ा। उससे पहले दमोह के भाजपा विधायक धर्मेंद्र सिंह लोधी की विकास यात्रा को ग्रामीणों ने बीच में ही रोक लिया, और बीजेपी विधायक से पिछले साढ़े चार साल में हुए विकास कार्यों का हिसाब मांगा जाने लगा।