भोपाल/मंगल भारत।मनीष द्विवेदी। मप्र के हाईप्रोफाइल सीटों
में शामिल देवतालाब विधानसभा सीट को भाजपा का गढ़ माना जाता है। यहां से मप्र विधानसभा के अध्यक्ष गिरीश गौतम चुनाव लड़ते हैं। विधानसभा क्षेत्र के नाम में भले ही तालाब हो लेकिन, इस क्षेत्र की अधिकांश जमीन पथरीली है। यहां पानी के मुद्दे पर ही राजनीति होती है। वर्तमान में विधायक भाजपा के गिरीश गौतम हैं। यहां बेरोजगारी व पलायन की सबसे बड़ी समस्या है। मप्र विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम के चुनाव क्षेत्र देवतालाब में प्रवेश से पहले ही विकास कार्यों की झलक दिखाई देने लगती है। सडक़ें और कई पुलियाओं का निर्माण कार्य दिखाई देने लगता है। हालांकि क्षेत्र के लोग ऐसे कार्यों के लिए इसे सही समय नहीं मानते हैं, लेकिन उनका कहना है कि वर्षों बाद देवतालाब की तस्वीर तो बदल रही है। वहीं लोग यह भी कहते हैं कि केंद्र और राज्य की योजनाओं का फायदा पहुंच तो रहा है लेकिन, पूरा-पूरा नहीं। बीच के दलाल बड़ा हिस्सा उड़ा ले जा रहे हैं।
विकास के अपने-अपने दावे
विधानसभा क्षेत्र में विकास को लेकर विधायक गिरीश गौतम का दावा है कि क्षेत्र में विकास की गंगा बह रही है। लगातार चार बार से विधायक गिरीश गौतम का कहना है कि जनसुविधाओं बिजली, पानी, सडक़ को लेकर उनका विधानसभा क्षेत्र सौभाग्यशाली है कि जिस भी काम के लिए क्षेत्र के लोगों की मांग आई, वह जरूर पूरा कराया गया। सैकड़ों काम ऐसे हैं जिनके लिए प्रदेश नहीं तो केंद्र से फंड लाकर उन्हें पूरा कराया गया। वे कहते हैं कि मेरे विधानसभा अध्यक्ष रहने का लाभ क्षेत्र को मिला है। फंड की कमी नहीं हुई। क्षेत्र में बिजली की आपूर्ति सुधरी है। पहले बिजली आती नहीं थी, अब प्रदेश की भाजपा सरकार ने केवल उनके विधानसभा क्षेत्र में ही नहीं ,पूरे प्रदेश में स्थिति सुधार दी है। तीस करोड़ रुपये की सडक़ें तो अभी तक बन चुकी हैं। वहीं 2018 के विधानसभा चुनाव में निकटतम प्रतिद्वंद्वी रहीं बसपा उम्मीदवार सीमा जयवीर सिंह बताती हैं कि मूलभूत सुविधाओं के साथ पानी के लिए भी पूरा क्षेत्र तरस रहा है। गिरीश गौतम के विधानसभा अध्यक्ष होने के बावजूद भी उनके द्वारा क्षेत्र का सही मायने में विकास नहीं किया गया है। केवल कुछ सडक़ों के निर्माण से ही विकास नहीं देखा जा सकता। कई गांव हर साल पेयजल संकट के कारण परेशान होते हैं, लेकिन वहां कुछ भी काम नहीं हुआ। विधानसभा अध्यक्ष केवल स्वागत-सत्कार के आयोजनों में व्यस्त हैं। सीमा अब कांग्रेस में हैं।
कांग्रेस के तीन दावेदार
देवतालाब विधानसभा सीट के बारे जो जानकारी मतदाताओं के बीच से निकल कर सामने आ रही है, उसमें कांग्रेस के सीमा जयवीर सिंह, पद्मेश गौतम और कुंजबिहारी तिवारी सबसे मजबूत और मतदाताओं की पसंदीदा प्रत्याशी माने जा रहे हैं। अगर बात की जाए सीमा जयवीर सिंह की तो बीते 2018 के चुनाव मे इन्होंने बहुजन समाज पार्टी के झंडे तले चुनाव लड़ते हुऐ भाजपा के गिरीश गौतम को कड़ी चुनौती दिया था। वहीं पदमेश गौतम वार्ड क्रमांक 27 से जिला पंचायत सदस्य हैं,उन्होंने भाजपा समर्थित विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम के सुपुत्र राहुल गौतम को पराजित कर जिला पंचायत सदस्य का चुनाव जीता है। यह जिला पंचायत का चुनाव किसी विधानसभा चुनाव से कम नही था। पद्मेश गौतम के पास युवाओं की एक लंबी टीम है और वे अक्सर क्षेत्र में सक्रिय रहते हैं। तीसरे दावेदार कुंज बिहारी तिवारी कई वर्षों से निस्वार्थ भाव समाज सेवा करते आ रहे हैं! जिसकी वजह से आज वे किसी परिचय के मोहताज नहीं है। आज इनकी पत्नी ममता कुंजबिहारी तिवारी जनपद पंचायत नईगढ़ी की अध्यक्ष हैं।
लगातार जीत रहे गिरीश गौतम
गिरीश गौतम यहां से लगातार जीत रहे हैं। साल 2018 के चुनाव में भाजपा के गिरीश गौतम और कांग्रेस के विद्यावती पटेल के बीच मुकाबला था। यहां भाजपा प्रत्याशी गिरीश गौतम 45043 मतों के साथ जीतने में कामयाब हुए। दूसरे स्थान पर बहुजन समाज पार्टी की सीमा सेंगर रहीं। उन्हें 43963 वोट मिले। वहीं, कांग्रेस की विद्यावती पटेल तीसरे स्थान पर रहीं। उन्हें 30383 वोट हासिल हुए। साल 2013 गौतम और बीएसपी के विद्यावती पटेल के बीच मुकाबला था लेकिन , नतीजों में बीजेपी को 3885 वोटों से जीत मिली थी। कांग्रेस करीब 30 हजार वोटों के साथ तीसरे नंबर की पार्टी थी और सपा ने भी इस सीट से चुनाव लड़ा था। 2008 में बीजेपी के गिरीश गौतम ने बीएसपी के विद्यावती को 3764 वोटों से शिकस्त दी थी। इस चुनाव में कांग्रेस पांचवें स्थान पर रही और उसे निर्दलीय प्रत्याशी से भी कम करीब 8 फीसदी वोट ही हासिल हुए थे।
क्या कहती है यहां की जनता
मप्र के दूसरे विधानसभा की तरह ही देवतालाब में मुद्दों की कमी नहीं है। विधानसभा के अलग-अलग इलाकों में जनता आज भी बुनियादी सुविधाओं से जूझ रही है। एक युवा मतदाता ने कहा कि यहां पेयजल की समस्या है। पानी की टंकियां बनी तो हैं, लेकिन पानी की सप्लाई नहीं हो पा रही है। इसके अलावा आवारा पशुओं ने किसानों के नाक में दम कर रखा है। किसान की फसल नहीं बच पा रही है । एक वरिष्ठ मतदाता ने वादों को लेकर कहा कि यहां वादा तो पूरे नहीं हुए है। इसके उलट समस्याएं और बढ़ गई है। लाख दावों के बाद भी शिक्षा का स्तर नहीं सुधर रहा है। जनता अनेक समस्याओं से जूझ रही है। क्षेत्र में गुणवत्तायुक्त शिक्षा व स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी है। बेरोजगारी व पलायन की समस्या बड़ी है। कृषि उपज मंडी नईगढ़ी की घोषणा के बाद से अब तक नहीं बनी है। खेल मैदान का अभाव है। सिंचाई परियोजना नईगढ़ी का पानी खेतों तक नहीं पहुंचा है।