मंगल भारत। मनीष द्विवेदी। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव कल
यानि की 13 दिसंबर को अपने एक साल का कार्यकाल पूरा करने जा रहे हैं। लगभग साढ़े सात करोड़ की आबादी वाले प्रदेश को मोहन यादव से बहुत उम्मीदें हैं। खासकर जनजातीय वर्ग के लोगों कि जिनकी संख्या डेढ़ करोड़ के ऊपर हैं। यानि प्रदेश का हर पांचवा व्यक्ति जनजातीय समूह से है। यही वजह है कि अपने इस अल्प कार्यकाल में वे इस समाज के लोगों के लिए सरकारी खजाना खोल चुके हैं। इसके तहत पहले ही साल में करीब 40 हजार करोड़ की योजनाओं की सौगातें इस वर्ग को दी गई है।
मोहन यादव ने अपने कैबिनेट की पहली बैठक आदिवासी बाहुल्य महाकौशल के जबलपुर में करके जनजातियों की उम्मीदों को और बढ़ा दिया। जनवरी में हुई यह कैबिनेट बैठक रानी दुर्गावती और रानी अवंतीबाई को समर्पित थी। इसके बाद 5 अक्टूबर 2024 को वीरांगना रानी दुर्गावती की पहली राजधानी सिंग्रामपुर में दोबारा कैबिनेट मीटिंग हुई। सरकार आदिवासी अंचलों में कैबिनेट लगाकर जनजातीय समाज को संदेश दिया की उनकी कार्ययोजना में जनजातीय हितों की भी प्राथमिकता है। लेकिन यहां एक सवाल खड़ा होता है कि जनजातीय वर्ग को इससे वाकई में कुछ हासिल हुआ है या यह सिर्फ दिखावा भर मात्रा है। यह जानने के लिए हमें पिछले एक साल में सरकार द्वारा जनजातीय समूह के लिए किए गए कार्यों का अवलोकन करना होगा। हमें यह जानना होगा कि पिछली सरकार में जनजातियों के लिए शुरू हुई योजनाओं को इस सरकार का कितना समर्थन मिला है और वर्तमान सरकार ने नया क्या शुरू किया है। इसके अलावा सरकार के 2024-25 के बजट का भी अवलोकन करना होगा।
पीएम जन-मन योजना
प्रधानमंत्री जनजातीय आदिवासी न्याय महाअभियान (पीएम जन-मन) योजना पर प्रदेश सरकार ने विशेष ध्यान दिया है। सरकार ने इसके लिए इस साल 1607 करोड़ रुपये का अलग बजट रखा था। इस योजना के तहत पिछड़े व कमजोर जनजातीय समूहों (पीवीटीजी) के सर्वांगीण विकास के लिए काम किया जा रहा है। इस समूह के तहत आने वाली विशेष पिछड़ी जनजातियां बैगा, भारिया एवं सहरिया निवास क्षेत्रों में बहुउद्देशीय केंद्र, ग्रामीण आवास, ग्रामीण सडक़, समग्र शिक्षा, विद्युतीकरण जैसे काम किए जा रहे हैं। अभी तक कई कालोनियां बनाकर आदिवासियों को आवंटित भी की जा चुकी है, इससे उनके जीवन स्तर में सुधार हो रहा है। इसके अलावा उनकी आर्थिक उन्नति के लिए भी कई कदम उठाए जा रहे हैं।
रानी दुर्गावती प्रशिक्षण अकादमी…
इस महत्वकांक्षी योजना का शुरूआत मोहन यादव सरकार द्वारा की गई है, जिसका उद्देश्य जनजातीय छात्र-छात्राओं को राष्ट्रीय स्तर की शिक्षा से जोडऩा है। इसके तहत प्रदेश के 89 जनजातीय ब्लॉकों में रानी दुर्गावती प्रशिक्षण अकादमी स्थापित की जा रही है। इसके तहत जनजातीय विद्यार्थियों को यूपीएससी, क्लेट, नीट, और जेईई जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए मुफ्त कोचिंग दी जाएगी। इसके अलावा अकांक्षा योजना के तहत भोपाल, इंदौर और जबलपुर में करीब 800 जनजातीय विद्यार्थियों को मुफ्त कोचिंग दी जा रही है। वहीं, अगले वित्त वर्ष में उज्जैन और खंडवा को भी जोड़ा जाएगा।
आहार अनुदान योजना
इस योजना के माध्यम से बैगा, भारिया और सहरिया जनजातीय परिवारों की महिला मुखिया के खाते में सरकार प्रति माह 1500 हजार रुपये भेजती है। यह राशि सीधे महिला के बैंक खाते में भेजी जाती है, जिससे उनको इसका पूरा लाभ मिल सके। आहार अनुदान योजना का उद्देश्य जनजातीय परिवार को पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराना है, जिससे कुपोषण द्वारा होने वाली बीमारियों की समस्या को खत्म किया जा सके। 2024-25 के बजट में सरकार ने इसके लिए 450 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं।
जनजातीय वर्ग का बजट
वित्त वर्ष 2024-25 में मध्य प्रदेश सरकार ने अनुसूचित जनजाति (उप योजना) के लिये 40 हजार 804 करोड़ रुपये बजट पारित किया था। वित्त वर्ष 2023-24 से इसकी तुलना करें तो यह राशि 3,856 करोड़ रुपए (करीब 23।4 प्रतिशत) अधिक है। तो अब समझने की कोशिश करते हैं कि सरकार द्वारा यह बजट किस तरह से जनजातीय वर्ग को लाभान्वित कर रहा है और किन महत्वपूर्ण योजनाओं में इसका खर्च हो रहा है।
जनजातीय सीएम राइज स्कूल
जनजातीय कार्य विभाग के अंतर्गत इन स्कूलों को संचालित किया जाता है। सरकार ने प्रदेश के जनजातीय बाहुल्य क्षेत्रों में सीएम राइज स्कूलों के निर्माण के लिए 667 करोड़ रुपये के बजट का प्रावधान किया है। विद्यार्थियों को उच्च शिक्षा लिए प्रोत्साहित करने के लिए छात्रवृत्ति का भी प्रावधान है, जिसके लिए 500 करोड़ का बजट पास किया गया है। इसके अलावा नि:शुल्क कोचिंग के साथ जनजातीय विद्यार्थियों को टैबलेट और उसके लिए इंटनेट डाटा भी निशुल्क उपलब्ध कराने का प्रावधान है। इसके लिए 10.42 करोड़ रुपये के बजट की अलग से व्यवस्था की गई है।
शौर्य संकल्प योजना
इसके योजना के अंतर्गत बैगा, भारिया व सहरिया जनजातियों के युवाओं को आर्म फोर्सेस में भर्ती के लिए अलग से ट्रेनिंग देने का प्रावधान है। इसके तहत समूह के इच्छुक युवाओं को सेना, एयरफोर्स, पैरामिलिट्री, आईटीबीपी, बीएसएफ, नेवी, पुलिस व होमगार्ड में भर्ती होने के लिए ट्रेंड किया जाता है। शुरुआत में इस योजना के तहत हर जिले से 50-50 युवाओं को मौका दिया जाएगा। अगले दो सालों में इस योजना में 682 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है। इन महत्वपूर्ण योजनाओं के अलावा प्रदेश सरकार जनजातीय समाज की बेहतरी के लिए कई कार्य कर रही है। लेकिन धरातल पर इसका कितना असर पड़ रहा है, जनजातियों के जीवन में सरकार कितना बदलाव ला पाने में सफल होगी, यह आने वाले समय में ही पता चल सकेगा।