नलों से नहीं टपका पानी फिर भी बता दिया रोज हो रहा सप्लाई.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की फ्लैगशिप योजनाओं को मप्र के अफसर किस तरह से पलीता लगा रहे हैं, इसकी पोल खुद केन्द्र सरकार के अफसरों ने खोल दी है। इसकी वजह से अब प्रदेश की केन्द्र के सामने किरकिरी हो रही है। मामला जल जीवन मिशन में की गई जमकर गड़बडिय़ों का है। प्रदेश के जिम्मेदार अफसरों ने इस योजना के तहत उन गांवों को भी उस सूची में शामिल कर दिया, जहां पर एक बूंद भी पानी लोगों को नहीं मिल रहा है। फिलहाल ऐसे गांवो की संख्या 217 बताई गई है। यह संख्या तो तब सामने आयी है , जब केन्द्र सरकार द्वारा एक टीम भेजकर सेंपल के रुप में सर्वे कराया गया। अगर प्रदेश के सभी गावों की पड़ताल की जाती तो समझा जा सकता है कि ऐसे गावों की संख्या हजारों में सामने आ जाएगी। इनमें भी कई गांव तो ऐसे हैं, जिनमें एक भी नल नहीं लगा है, लेकिन उन गांवों को पूरी तर हसे योजना लागू होने वले गांवों में शामिल कर दिया गया। इसके अलावा कई गांव ऐसे हैं, जहां पर पानी सप्लाई तो हो रही है, लेकिन पानी की गुणवत्ता इतनी खराब पायी गई है कि वह पीने लायक ही नहीं है। यह खुलासा भी तब हुआ है, जब केन्द्र सरकार द्वारा इस मिशन के काम में होने वाली देरी की पड़ताल के लिए अपनी टीम भेजी। यह टीम जुलाई में प्रदेश के दौरे पर आयी थी। इसके लिए एक निजी एजेंसी को मप्र के 1,271 सर्टिफाइड गांवों में हुए कार्यों की जांच का जिम्मा सौंपा गया। जांच में केवल 209 गांवों में सभी जरूरी मानक पूरे पाए गए। वहीं, 217 गांवों में नल कनेक्शन तो हुए, लेकिन पानी की सप्लाई नहीं हो रही है। खास बात यह है कि 9 जिलों के 13 गांव ऐसे हैं, जहां नल कनेक्शन तक नहीं मिले हैं, जबकि इन गांवों में का म पूरा होना कागजों में पहले ही बताया जा चुका था। सबसे
खराब स्थिति अलीराजपुर और सिंगरौली जिलों के गांवों की है।
रिपोर्ट के मुताबिक, 778 गांवों के पानी की जांच में 390 सैंपल अमानक पाए गए, जिनमें बैक्टीरियल कंटामिनेशन मिला है। इससे मिशन के तहत कार्य पूरे होने के जरूरी दस्तावेजों की प्रमाणिकता पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। खास बात यह है कि यह सर्वे जुलाई में, यानी बारिश के दौरान किया गया था, जब भूजल स्तर बेहतर होता है।
यह है योजना
जल जीवन मिशन के अंतर्गत प्रदेश में घर पर नल के माध्यम से जल प्रदाय से शेष लगभग 85 प्रतिशत (103.67 लाख) परिवारों को फंक्शनल हाऊसहोल्ड टैप कनेक्शन (एफएचटीसी) के माध्यम से वर्ष 2023-24 तक शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने की योजना है। प्रदेश में वर्ष 2012 में जल निगम का गठन किया गया था, जिसके द्वारा समूह जल प्रदाय योजनाओं का क्रियान्वयन किया जा रहा है। घर-घर पीने का शुद्ध पानी पहुंचाने के मकसद से 15 अगस्त 2019 को शुरू की गई जल जीवन मिशन योजना का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुरुआत करते हुए मार्च 2024 तक इसे पूरा करने का लक्ष्य रखा था। योजना की शुरुआत हुई, तब देशभर में 3.24 करोड़ परिवारों को ही नल से जल की सुविधा थी। बीते 5 साल में 15.15 करोड़ ग्रामीण परिवारों तक पानी पहुंचाया गया है। यह कुल ग्रामीण आबादी का करीब 78 प्रतिशत है। अभी दुर्गम भूभाग और खासतौर पर पानी की कमी वाले इलाकों में अभी भी हजारों परिवारों तक योजना का लाभ पहुंचना बाकी है।
बीते माह केंद्र ने भेजी प्रदेश को रिपोर्ट
केंद्र की रिपोर्ट मिलने के बाद अब लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी ने भी प्रमुख अभियंता से जवाब तलब कर लिया है। अवर सचिव शैलेष कुमार जैन ने पत्र लिखकर सवाल किया है कि इस मामले में क्या कोई कार्रवाई की गई है, यदि हां तो क्या?