आईएएस आईपीएस अफसरों से जुड़े मामलों में जिस तरह से सरकार व प्रशासन द्रुत गति से काम करता है इससे उलट स्थिति अन्य कर्मचारियों के मामले में होती है। इसका बड़ा उदाहरण स्कूल शिक्षा और जनजातीय कार्य विभाग में संविलियन की राह देख रहे अध्यापक हैं। इसके आदेश जारी करने के लिए उन्हें लंबा इंतजार करना पड़ रहा है। इसके पीछे जो वजह बताई जा रही है उसके मुताबिक नए नियमों के बनने में हो रही देरी। यह काम स्कूल शिक्षा और जनजातीय कार्य विभाग द्वारा किया जाना है। इस मामले में हो रही देरी से अध्यापकों में नाराजगी बढ़ती जा रही है। यह नाराजगी एक बार फिर से आंदोलन के रुप में सामने आने की संभावना बनने लगी है। गौरतलब है कि संविलियन को लेकर वर्तमान में नियम बनाए जा रहे हैं। इसके बाद नियम परीक्षण के लिए विधि विभाग को भेजे जाएंगे। इस पूरी प्रक्रिया में दो हफ्ते का समय लग सकता है। इसके बाद जनजातीय और स्कूल शिक्षा विभाग के नियमों का परस्पर मिलान होगा। इसमें भी एक हफ्ते का समय लग सकता है। इसके चलते इस माह में संविलियन के आदेश जारी होने में संदेह है। उल्लेखनीय है कि प्रदेश में दो लाख 37 हजार अध्यापक हैं, जो इस आदेश का इंतजार कर रहे हैं। इस कारण उनकी तबादला प्रक्रिया पर भी रोक लगा दी गई है।
छग से फिसड्डी साबित हो रहा मप्र
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की घोषणा को देखते हुए छत्तीसगढ़ सरकार प्रदेश के अध्यापकों का संविलियन करने का प्रस्ताव 18 जून को हुई कैबिनेट की बैठक में लाई थी और 30 जून को इसके आदेश भी जारी कर दिए। जबकि मप्र में मुख्यमंत्री चौहान ने 21 जनवरी 2018 को सीएम हाउस में अध्यापकों को शिक्षक बनाने की घोषणा की थी। 29 मई को यह प्रस्ताव कैबिनेट से पारित भी हो गया, लेकिन अभी तक आदेश जारी नहीं हुए। इस बीच अध्यापकों ने अलग-अलग स्तर पर बात की और हर बार एक नई तारीख मिली।
कल बनेगी बैठक में रणनीति
सरकार की वादाखिलाफी से नाराज अध्यापक 8 जुलाई को राजधानी में बैठक कर रहे हैं। आजाद अध्यापक संघ के प्रांत अध्यक्ष भरत पटेल ने बताया कि बैठक में संविलियन आदेश जारी होने में देरी पर बात कर रणनीति तय करेंगे। उनका कहना है कि देरी की समीक्षा कर मुख्यमंत्री को बताएंगे और फिर भी आदेश जारी होने में देरी की आशंका हुई तो आंदोलन करेंगे।
संविलियन के अभाव में अटका सातवां वेतनमान
अध्यापक सातवें वेतनमान को लेकर भी असमंजस में हैं। उनका कहना है कि सरकार ने एक जुलाई 2018 से वेतनमान देने की घोषणा की है, लेकिन संविलियन नहीं होगा, तब तक वेतनमान तय कैसे होगा। इसलिए सरकार इसमें भी देरी करेगी। वहीं एक जुलाई को जारी होने वाली वरिष्ठता सूची को लेकर भी असंतोष है। मैदानी अफसरों ने संविलियन की स्थिति को देखते हुए वरिष्ठता सूची ही तैयार नहीं की है। ऐसे में वेतनमान मिलने की संभावना भी कम ही है।
कब किसने की घोषणा
– 21 जनवरी 2018 को मुख्यमंत्री ने संविलियन की घोषणा की।
– मुख्यमंत्री ने अप्रैल में संविलियन के आदेश जारी होने का दावा किया।
– विभागीय मंत्री विजय शाह ने 24 मई को कहा कि 4 जून तक आदेश जारी होंगे।
– विभाग की प्रमुख सचिव ने पहले 12 जून और फिर 2 जुलाई को आदेश जारी करने का भरोसा दिलाया।
(नोट- घोषणाओं की तारीख अध्यापक नेताओं के अनुसार)