सौ दिन चले अढ़ाई कोस वाली कहावत मप्र सरकार पर पूरी तरह फिट बैठती है। प्रदेश में शायद ही कोई ऐसी योजना या फिर परियोजना होगी जो समय पर पूरी हो। अगर मामला किसी राजनैतिक व्यक्ति के फायदे से जुड़ा हो तो फिर तो उसका भगवान ही मालिक है। ऐसा ही एक मामला है विश्व शांति का संदेश देने एवं शांति पर शोध करने के लिए स्थापित की गई सांची बौद्ध यूनिवर्सिटी का। इसको शुरु हुए करीब छह साल का समय हो गया है, लेकिन इसके भवन निर्माण का काम अब तक शुरु नहीं हो सका है। जिसकी वजह से इसे किराए के भवन में संचालित किया जा रहा है। इसके लिए सात लाख रुपए का भुगतान हर माह प्रदेश सरकार के वन मंत्री गौरीशंकर शेजवार के परिवार को किया जा रहा है। गौरतलब है कि इस विवि की आधारशिला 6 साल पहले श्रीलंका के राष्ट्रपति महेन्द्रा राजपक्षे ने रखी थी। उसी समय मप्र सरकार ने सांची के पास 100 एकड़ जमीन को यूनिवर्सिटी के लिए आवंटित कर दिया था। साथ ही फंड भी जारी कर दिया गया था। तब से अब तक मप्र सरकार सांची यूनिवर्सिटी के भवन निर्माण के लिए एक र्इंट भी नहीं रख पाई है। ऐसे में यूनिवर्सिटी मंत्री शेजवार के परिजनों से भवन किराए पर लेकर चलाई जा रही है। भवन के अभाव में न तो विदेशी अध्ययन केंद्र स्थापित हो पाए और न ही विदेशी छात्र पढ़ाई के लिए सांची ही आए।
यह है उद्देश्य
सांची विश्वविद्यालय के जरिए बौद्ध धर्म के अनुयायी एशिया महाद्वीप के देशों को भारत से जोडऩा है। भगवान बौद्ध की नगरी सांची में विश्व शांति पर शोध के लिए भारत और श्रीलंका ने मिलकर सांची विश्वविद्यालय स्थापित किया है। इसमें अन्य देश जापान, चीन, थाईलैंड, मलेशिया, वर्मा, भूटान आदि बौद्ध देशों का भी सहयोग मिलना था। 21 सितंबर 2012 को जब सांची में यूनिवर्सिटी की आधारशिला रखी गई थी, तब भूटान के प्रधानमंत्री एवं दुनिया भर के 60 देशों के प्रतिनिधि शामिल हुए थे।
मंत्री पटवा को नहीं पता कार्ययोजना
जमीन को तत्काल आवंटित हो गई, लेकिन यूनिवर्सिटी का भवन अभी तक नहीं बना है। यूनिवर्सिटी के पास खुद का भवन नहीं होने से मप्र सरकार के मंत्री गौरीशंकर शेजवार के ग्राम बारला स्थित फार्म हाउस पर बने भवन में इसका संचालन हो रहा है। इसके एवज में मंत्री शेजवार के बेटे को 7 लाख का किराया मिलना है। यहां न तो छात्रों के लिए हॉस्टल है और न ही विशेष अध्ययन केंद्र है। संस्कृति विभाग के अधीन आने वाली इस यूनिवर्सिटी के लिए भवन निर्माण एवं अन्य कार्ययोजना को लेकर मप्र सरकार के मंत्री सुरेन्द्र पटवा के पास ज्यादा जानकारी नहीं है।
इन देशों के खुलने थे अध्यन केंद्र
जब यूनिवर्सिटी की आधारशिला रखी गई थी, तब जापान, नेपाल, भूटान, श्रीलंका, वर्मा, मलेशिया, थाईलेंड, चीन आदि ने अपने-अपने अध्ययन केंद्र खोलने की इच्छा जताई थी। उस समय इनमें से कुछ देशों ने यूनिवर्सिटी निर्माण में सहयोग राशि भी दी थी। जापान कल्चर विभाग की मिस जेंसा अयामी ईटो ने 9 लाख येन का चेक मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को दिया था। श्रीलंका ने भी राशि दी थी।
संघ का है ड्रीम प्रोजेक्ट
दरअसल सांची बौद्ध विवि की स्थापना के पीछे राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के तत्कालीन संवाद प्रमुख एवं वर्तमान में भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री राममाधव की अहम भूमिका है। 2012 में भोपाल में पहला धर्म-धम्म सम्मेलन राममाधव के निर्देशन में ही हुआ था। हालांकि इसका आयोजन मप्र सरकार के संस्कृति विभाग की ओर से किया गया था। वर्तमान में सांची विवि में ज्यादातर स्टाफ संघ विचारधारा से जुड़ा है।