एक तरफ प्रदेश सरकार और उसके मुखिया भ्रष्टाचार के मामले में जीरो टालरेंस के बड़े-बड़े दावे करते हैं तो दूसरी और उसके ही अफसर इस मामले में पूरी तरह से लापरवाह बने हुए हैं। यही वजह है कि विभिन्न जांच एजेंसियों को इस तरह के मामलों में चेतावनी देनी पड़ रही है फिर भी जरुरी दस्तावेज व स्वीकृतियां तक नहीं दी जा रही हैं। ऐसा ही ताजा मामला लोकायुक्त के बाद अब कैग का सामने आया है। दरअसल कैग को प्रदेश सरकार के आधा दर्जन से अधिक विभाग आय-व्यय व खर्च से जुड़े दस्तावेज ही नहीं दे रहे हैं जिससे उनका परीक्षण नहीं किया जा पा रहा है। जिस वजह से उन विभागों में हुए अनाधिकृत, अधिक खर्च व गबन से जुड़े मामलों की जांच लंबे समय से नहीं हो पा रही है। इससे परेशान होकर अब उप महालेखापरीक्षक ने प्रमुख सचिव वित्त को कड़ा पत्र लिख कर कहा है कि अगर विभागों द्वारा दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराए जाते हैं और जांच में सहयोग नहीं किया जाता है तो उन्हें गंभीर अनियमितता की श्रेणी में डाल दिया जाएगा। गौरतलब है कि कैग की टीम प्रदेश के दस विभागों में आडिट करने गई थी। इनमें महिला बाल विकास, आदिम जाति कल्याण, वाणिज्यिक कर, कृषि, उद्यानिकी, लोक निर्माण और शिक्षा विभाग के अधिकारी आडिट दल को दस्तावेज उपलब्ध नहीं करा रहे हैं। इस संबंध में आडिट दल ने उप महालेखापरीक्षक से शिकायत की है। उप महालेखाकार ने प्रमुख सचिव को पत्र लिखकर आडिट दल को दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराने और सहयोग नहीं करने के संबंध में अवगत कराया है। उन्होंने कहा कि अगर आडिट दल को दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराया जाता है तो वह उक्त विभागों को अप्रस्तुत अभिलेख की सूची में डाल देंगे जो गंभीर अनियमितता की श्रेणी में आता है। उप महालेखापरीक्षक ने अपने पत्र के माध्यम से कहा है कि वह विभागों को निर्देशित करें कि लेखापरीक्षा कराने में असमर्थता व्यक्त न करें, जिससे विभाग में अनियमितता, अनाधिकृत खर्च, अधिक भुगतान और गबन के संबंध में जांच पड़ताल की जा सके। इस संबंध में वित्त विभाग के प्रमुख सचिव मनोज गोविल ने सभी विभागों को निर्देश दिए हैं कि विभाग आडिट दल का सहयोग करें और दल जांच से जुड़े जो भी दस्तावेज मांगते हैं उन्हें उपलब्ध कराएं।