जनपद पंचायत जनपद पंचायत रामपुर नैकिन के चर्चित सीईओ प्रभात मिश्र ने फिर से शासन प्रशासन के दिशा निर्देशों की घोर संवेदनहीनता और धज्जियां उड़ाते हुए ऐसा कारनामा किया है कि शासन प्रशासन के साथ-साथ इंडियन इलेक्शन कमीशन को भी कटघरे में खड़ा करते हुए निर्वाचन आयोग की निष्पक्षता और स्वतंत्रता पर सवाल खड़े कर दिए हैं प्रभात मिश्रा का यह कोई पहला कारनामा नहीं है इससे पहले भी प्रभात मिश्र द्वारा कई विवादित कारनामा कर चुके हैं चाहे पंचायतों में लेकर भ्रष्टाचार सरपंच सचिव द्वारा नियमों की धज्जियां उड़ाई गई हो लेकिन सीईओ के ऊपर इन सब चीजों का कोई प्रभाव नहीं पड़ता वह खुलेआम बोलते हैं भ्रष्टाचार नहीं रुक सकता और करें भ्रष्टाचार नहीं होगी कार्यवाही तात्कालिक मामला 33 ग्राम रोजगार सहायकों की स्थानांतरण का है मध्यप्रदेश में आदर्श आचार संहिता प्रभाव सील होने के बावजूद घोर संवेदनशीलता दिखाते हुए आदर्श आचार संहिता की धज्जियां उड़ा दी जहां नवीन स्वीकृति तबादला नियुक्तियां स्थानांतरण इत्यादि पर रोक है उसके बावजूद सीईओ प्रभात मिश्रा ने कुछ राजनीतिक विशेष व्यक्तियों के चलते यह कारनामा किया है जिससे शासन प्रशासन के साथ-साथ निर्वाचन आयोग भी निशाने पर आ गया है सीईओ कुछ बोलने से इंकार कर रहे हैं और बोलते हैं कि जिसको जो करना है कर लो सरकार का हमारे ऊपर दबाव है सत्तारूढ़ सरकार का जो निर्देश हमें दिया गया है हम उसके अनुसार स्थानांतरण तबादला किया गया है जिस पर यह बहाना लगाया जा रहा है कि जहां प्रधानमंत्री आवास योजना में कम कार्य हुआ है और निर्धारित मात्रा से कम प्रतिशत है तो केंद्र सरकार द्वारा आदेश जारी किया गया है कि 31/
12/ 2018 से पहले निर्धारित मापदंड सुनिश्चित करें गौरतलब ध्यान देने योग बात यह है कि बाकी कार्यों पर यह इच्छा शक्ति क्यों नहीं देखी जाती यही सीईओ प्रभात मिश्र ना जाने कितने भ्रष्टाचारियों को संरक्षण दे रहे थे और जिला पंचायत एसडीएम और कलेक्टर के आदेशों की कार्यवाही करने में कभी इतना तत्परता नहीं दिखाई गई समाजसेवी और पूर्व सरपंच बसंत मिश्रा दें इस मामले को लेकर रिटर्निंग ऑफीसर को शिकायत किए हैं उनके द्वारा बताया गया कि रामपुर नैकिन जनपद सीईओ द्वारा पार्टी विशेष व्यक्ति को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से यह कदाचार किया गया है जो इलेक्शन कमिशन टेल स्वक्षता के अनुरूप नहीं है और घर आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन है ऐसे संवेदनहीन सीईओ के ऊपर कठोर कार्यवाही होनी चाहिए अगर ऐसा नहीं किया जाता है तो हम लोग इस मामले को लेकर कई जनसमूह को लेकर मोर्चा खोला जाएगा जबकि यह सीईओ के साथ साथ निष्पक्ष चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल खड़ा करता है .
संबंधित सीईओ को संपर्क करने पर उनके द्वारा फोन रिसीव नहीं किया गया है