मोदी-शाह की मौजूदगी में भी शिवराज का ही जादू

मप्र विस चुनाव में यह माना जा रहा था कि शिवराज के तीसरे कार्यकाल में सत्ता विरोधी लहर होगी और उन्हें कई मुद्दों पर बैकफुट पर जाना पड़ सकता है, लेकिन अब जबकि चुनाव में नौ दिन शेष हैं, शिवराज भाजपा प्रचार अभियान की धुरी बने हुए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की मौजूदगी में भी शिवराज का ही जादू जनता पर दिख रहा है। मोदी और शाह की रैलियों में भीड़ भले ही न हो, मगर शिवराज की सभाओं में जनता का उत्साह साफ देखा जा सकता है। भाजपा का राष्ट्रीय नेतृत्व प्रदेश में धुआंधार प्रचार

अभियान में जुटा है। पीएम मोदी, राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के साथ अन्य चोटी के नेता अलग अलग क्षेत्रों में अपने प्रभाव से भाजपा को मजबूत करने में जुटे हैं। यदि पिछले चुनावों से तुलना की जाए तो साफ साफ कहा जा सकता है कि 2013 की तुलना में पीएम मोदी की सभाओं में कुछ कमी है। शाह भी हर दिन दौरे कर रहे हैं और उनकी सभाओं में खाली कुर्सियों के फोटो सोशल मीडिया पर वायरल हुए हैं। ऐसे में जिस चेहरे पर पार्टी सबसे अधिक निर्भर हुई है वह शिवराज ही हैं। शिवराज की इस मांग के कारण उन पर काम का दबाव भी बढ़ा है और हर ओर वे ही नजर आ रहे हैं। इस सक्रियता के कारण विरोधियों ने यहां तक कहा कि केंद्रीय नेतृत्व मप्र में शिवराज को सहयोग नहीं कर रहा। मगर संगठन ने यह महसूस किया है कि अन्य नेताओं का प्रभाव सभाओं तथा कुछ विस क्षेत्रों तक हो सकता है, पर इस विस चुनाव में समग्रता से तो शिवराज फैक्टर ही काम कर रहा है। शनिवार को आया भाजपा को घोषणा पत्र भी शिवराज की सक्रियता और रणनीति का परिणाम है। टीम शिवराज ने किसान कर्ज माफी और किसानों की नाराजगी का तोड़ छोटे किसानों के हित में खोजा और छोटे किसानों को फसल पर बोनस की घोषणा कर डाली। इसके साथ ही छात्राओं को स्कूटी देने का वादा, बड़े वर्ग का साथ पाने का प्रयास है। शिवराज सरकार महिलाओं के प्रति अपराधों को लेकर घिरती रही है इसके जवाब में महिलाओं के लिए अलग से घोषणा पत्र लाया गया है। कांगे्रस ने इन घोषणाओं पर फौरी टिप्पणी तो कीं लेकिन कांगे्रस की पूरी रिसर्च टीम, घोषणा पत्र की कमियों को गिनाने में पीछे छूट गई। इस तरह शिवराज ने ही पार्टी घोषणा पत्र को चमक दी। मैदान से लेकर भोपाल के प्रदेश कार्यालय तक शिवराज ही भाजपा के केंद्र बिंदु बने हुए हैं।