मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव के नतीजे आ गए लेकिन किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिला.
मध्य प्रदेश चुनाव के बाद चुनावी विश्लेषण मंगल भारत पोर्टल कि चीफ एडिटर बलराम पांडे के साथ
230 सीटों वाली मध्य प्रदेश विधानसभा में साधारण बहुमत के लिए 116 विधायकों की ज़रूरत है. कांग्रेस इस आकंड़े तक पहुंचते-पहुंचते दो सीटों से पिछड़ गई.
दूसरी तरफ़ कांग्रेस से ज़्यादा वोट पाकर भी बीजेपी 109 सीटें ही जीत पाई और कांग्रेस 114 सीटें अपनी झोली में डालने में कामयाब रही. कांग्रेस को मध्य प्रदेश में 40.91 फ़ीसदी वोट मिले हैं और बीजेपी को 41 फ़ीसदी.
शिवराज सिंह चौहान ने हार की ज़िम्मेदारी लेते हुए कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया को शुभकामनाएं दी हैं.
दूसरी तरफ़ कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह और कमलनाथ मध्य प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल से मिलने पहुंचे हैं. कांग्रेस सरकार बनाने का दावा पेश करेगी.
जयोतिरादित्य सिंधिया ने शिवराज सिंह चौहान पर तंज कसते हुए कहा, ”मैं अब कहूंगा- माफ़ कीजिए शिवराज जी अब आया है जनता का राज.”
दरअसल, शिवराज सिंह चौहान ने पूरा कैंपेन ‘माफ़ कीजिए महाराज, मेरा नेता शिवराज’ के नारे पर चलाया था. शिवराज सिंह चौहान ने महाराज कह सिंधिया परिवार को निशाने पर लेने की कोशिश की थी.
मुख्यमंत्री बनने के सवाल पर ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि कांग्रेस आलाकमान का जो भी निर्णय होगा, उसे वो स्वीकार करेंगे. उन्होंने कहा, ”हमलोग इस माटी को सिर पर लगाकर पांच सालों तक जनता की सेवा करेंगे.”
बीएसपी को दो सीटों पर जीत मिली है, एक पर समाजवादी पार्टी और चार पर निर्दलीय उम्मीदवार जीते हैं. वोटों की गिनती पूरी भी नहीं हुई थी कि मध्य प्रदेश कांग्रेस के तीनों बड़े नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया, कमलनाथ और दिग्विजय सिंह ने मंगलवार रात ढाई बजे प्रेस कॉन्फ़्रेंस कर कहा कि उन्होंने राज्यपाल के पास सरकार बनाने के लिए चिट्ठी भेजी है.
कांग्रेस मध्य प्रदेश में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है. समाजवादी पार्टी ने उसे समर्थन देने की घोषणा की है. मायावती ने भी कांग्रेस को समर्थन देने की घोषणा कर दी है. मतलब कांग्रेस एसपी और बीएसपी के समर्थन से बहुमत साबित कर सकती है.
तीनों पार्टियों मिलकर 117 के आंकड़े छू लेंगी जो साधारण बहुमत से एक सीट ज़्यादा होगी. कांग्रेस के मध्य प्रदेश प्रवक्ता पंकज चतुर्वेदी ने बीबीसी से कहा कि चारों निर्दलीय विधायक कांग्रेस के बाग़ी हैं और उनका समर्थन भी उन्हें मिल गया है.
मध्य प्रदेश में बीजेपी पिछले 15 सालों से सत्ता में थी और शिवराज सिंह चौहान 13 सालों से मुख्यमंत्री. मध्य प्रदेश में अगर सत्ता विरोधी लहर थी तो भी कांग्रेस स्पष्ट बहुमत हासिल करने में नाकाम रही. कांग्रेस से पांच विधायक कम होने के बावजूद मध्य प्रदेश में बीजेपी को कुल वोट कांग्रेस से ज़्यादा मिले हैं.
मध्य प्रदेश कांग्रेस बुधवार को दोपहर बाद बैठक करने जा रही है. पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने वरिष्ठ नेता एके एंटनी को पर्यवेक्षक बनाकर भेजा है. नतीजे आने के बाद बीजेपी पसोपेश में थी. बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह के एक ट्वीट से और भ्रम बढ़ गया था. उन्होंने ट्वीट कर कहा था कि बीजेपी निर्दलीय विधायकों के संपर्क में है. हालांकि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस्तीफ़े की बात कह स्थिति साफ़ कर दी.
मध्य प्रदेश में बीजेपी अपनी जीत को लेकर सबसे ज़्यादा आश्वस्त दिख रही थी. यहां तक की एग्ज़िट पोल में भी बीजेपी की जीत दिखाई जा रही थी, लेकिन कांग्रेस ने इस बार के चुनाव में एकजुटता दिखाई और बीजेपी को हराने में कामयाब रही.