90 नेता पहली बार बने माननीय, इनमें कांग्रेसियों की संख्या सर्वाधिक

15वीं विधानसभा में 90 विधायक ऐसे हैं, जो पहली बार विधानसभा की सीढ़ी चढ़ेंगे। इनमें सर्वाधिक 55 विधायकों की संख्या कांग्रेस की है। सरकार में इन विधायको की भूमिका अहम मानी जा रही है। इसकी वजह है कांग्रेस के विधायकों के अलावा उन्हें समर्थन देने वाले पांच विधायक भी पहली बार सदन के सदस्य बने हैं। इनमें कांग्रेस के 55, कांग्रेस के बागी 2, बसपा के 2 और सपा का 1 विधायक शामिल है। इसी तरह से विपक्षी दल भाजपा के टिकट पर निर्वाचित होने वाले सदस्यों में 29 विधायक पहली बार निर्वाचित होकर विधायक बने हैं। हालांकि यह संंख्या पिछली विधानसभा के लिए पहली बार निर्वाचित होने वाले सदस्यों से कम है। 2013 में

गठित 14वीं विधानसभा में 113 विधायक ऐसे थे, जो पहली बार चुनकर आए थे। इनमें सर्वाधिक 64 भाजपा, 43 कांग्रेस, 2 निर्दलीय और 4 बसपा के थे। 2008 में गठित 13वीं विधानसभा में 108 विधायक पहली बार जीतकर आए थे, इनमें 15 महिलाएं भी थी।
आदिवासी वर्ग का भरोसा कांग्रेस पर बढ़ा
विधानसभा में 35.65 फीसदी सीटें यानी विधायकों के 82 पद आरक्षित वर्ग के लिए तय हैं। इनमें 47 सीटें आदिवासी और 35 सीटें अनूसूचित जाति की हैं। 14वीं विधानसभा में आरक्षित कोटे की 60 सीटें भाजपा के पास थीं। जबकि कांग्रेस के पास सिर्फ 20 सीटें ही थीं। 2 सीटें बसपा के पास थीं। लेकिन 15वीं विधानसभा में यह गणित उल्टा हो गया है, इस बार आरक्षित वर्ग की 47 सीटें कांग्रेस के पास हैं और भाजपा के खेमे में सिर्फ 34 सीटें रह गई हैं। आदिवासियों के लिए आरक्षित 47 में से 30 कांग्रेस ने जीती हैं, जबकि 2013 में सिर्फ 15 ही उसके पास थीं।
56 कांग्रेसी विधायकों पर आपराधिक प्रकरण
15वीं विधानसभा में चुन कर आए 94 विधायकों ने अपने आपराधिक प्रकरणों का ब्योरा घोषित किया है। इनमें 47 विधायकों पर गंभीर प्रकृति के अपराध हैं। अपराध घोषित करने वालों में 56 विधायक कांग्रेस के हैं, जबकि 34 भाजपा के हैं। बसपा के 2, सपा का एक और एक निर्दलीय विधायक पर भी आपराधिक प्रकरण दर्ज हैं। गंभीर अपराध वाले विधायकों में भी सर्वाधिक 28 कांग्रेस के हैं। जबकि 15 भाजपा के हैं। प्रत्येक विधायक की औसत संपत्ति 10.17 करोड़ है। कुल 230 में से 187 करोड़पति हैं। करोड़पतियों में सर्वाधिक 91 भाजपा हैं। कांग्रेस के 90 विधायक करोड़पति हैं।