कुछ पुलिसकर्मी बर्खास्त, कुछ निलंबित तो कुछ को किया बहाल

फर्जी दस्तावेजों के जरिए नौकरी करने का मामला
-मामला अदालत में होने के बाद भी अधिकारियों की कारस्तानी आई सामने


भोपाल।मंगल भारत/मनीष द्विवेदी।
लोक शिक्षण संचालनालय द्वारा आयोजित शार्ट हैंड और टाइपिंग परीक्षा में फर्जी दस्तावेजों के सहारे शामिल होकर नौकरी करने वाले तकरीबन डेढ़ सौ पुलिसकर्मियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज है और चालान भी पेश हो गया है, लेकिन कार्रवाई में एकरूपता नहीं है। कुछ पुलिसकर्मी बर्खास्त कर दिए गए हैं, कुछ अभी निलंबित हैं और कुछ को बहाल कर दिया गया है। जाहिर है कि सभी का गुनाह एक तरह का है, लेकिन कार्रवाई करने में मर्जी आला अफसरों की चली है। यह मामला टाइपिंग और शार्ट हैंड की परीक्षा में किए गए फर्जीवाड़े से जुड़ा है। फर्जी दस्तावेज लगाकर नौकरी हासिल करने वाले कर्मचारी पुलिस मुख्यालय से लेकर पूरे प्रदेश में फैले हैं। मध्यप्रदेश एसटीएफ वर्ष 2013 में व्यापमं घोटाले की जांच  कर रही थी। उसी दौरान लोक शिक्षण संचालनालय का फर्जीवाड़ा भी सामने आया था। शार्ट हैंड और टाइपिंग परीक्षा आयोजित कराने की जिम्मेदारी डीपीआई की थी। डीपीआई ने फर्जीवाड़ा कर ऐसे लोगों को भी परीक्षा में पास करा दिया था, जो पात्र नहीं थे। उसी परीक्षा का प्रमाण पत्र लगाकर बहुत सारे लोगों ने तमाम विभागों में नौकरी हासिल कर ली थी। तकरीबन डेढ़ सौ लोग पुलिस विभाग में भी भर्ती हो गए थे। इनमें से करीब 38 लोग पुलिस मुख्यालय की  सामान्य शाखा जीबी में पदस्थ हैं।
अपने-अपने हिसाब से कार्रवाई
फर्जीवाड़ा सामने आने के बाद मध्यप्रदेश एसटीएफ ने आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था। मुकदमा दर्ज होने के बाद एसटीएफ ने आरोपियों के खिलाफ चालान भी पेश कर दिया है। अब संदेश यह जा रहा है कि एसटीएफ ने जिन पुलिसकर्मियों को नामजद आरोपी बनाया है, उनके खिलाफ कार्रवाई करने में आला अफसरों ने कानून की व्याख्या अपने-अपने हिसाब से की है। पुलिस मुख्यालय की विशेष शाखा एसबी में कार्यरत पुलिसकर्मियों को आरोपी बनाए जाने के बाद बर्खास्त कर दिया गया है। रीवा में एक अधिकारी के स्टेनों को बहुत पहले बर्खास्त कर दिया गया था। दावा यह किया गया था कि जांच में उसे दोषी पाया गया है। सामान्य शाखा के कर्मचारी लगातार नौकरी कर रहे थे। एसटीएफ ने जब चालान पेश किया, तब आरोपी थे।
कार्रवाई अलग-अलग तरह की क्यों
जानकारी के अनुसार पुलिसकर्मियों की सूची प्रशासन शाखा को भेजी थी। विवाद बढ़ने के बाद पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया गया था। बताते हैं कि उनमें से बहुत सारे कर्मचारियों की बहाली भी कर दी गई है। कुछ अभी निलंबित चल रहे हैं। यह सब तब हो रहा है, जब प्रकरण अदालत में विचाराधीन है। बड़ा सवाल यह है कि जब गुनाह एक तरह का है, तो कार्रवाई अलग-अलग तरह की क्यों की जा रही है। सवाल यह भी है कि खेल ताकतवर और गैर ताकतवर का तो नहीं है, क्योंकि आरोपी सभी बनाए गए हैं और सभी पर टाइपिंग व शार्ट हैंड की परीक्षा का फर्जी प्रणाम पत्र लगाकर नौकरी पाने का आरोप है।