- मुख्यमंत्री के सपनों को साकार करने की कवायद
- इस बार मप्र का बजट ढाई लाख करोड़ रुपए से अधिक का होगा
- स्वयं का राजस्व बढ़ाने पर सरकार का जोर
वर्ष 2022-23 का मप्र का बजट मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के आत्मनिर्भर मप्र पर आधारित होगा। इसलिए मुख्यमंत्री ने इस बार के बजट को जनता की मंशानुसार बनाने के निर्देश अधिकारियों को दिया है। इसके लिए जनता से सुझाव लिए जा रहे हैं और उन सुझाओं के आधार पर बजट को आकार दिया जा रहा है।
मनीष द्विवेदी।मंगल भारत।
भोपाल (डीएनएन)। मप्र सरकार का फोकस है कि वर्ष 2022-23 का बजट ऐसा हो जो आत्मनिर्भर मप्र अभियान को पूरा करने में मददगार हो। इसलिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सभी विभागों को निर्देश दिया है कि वे बजट में ऐसी चीजें समाहित करें, जिससे आत्मनिर्भर मप्र को बल मिले। मुख्यमंत्री के दिशा निर्देश पर वित्त विभाग ने मार्च में प्रस्तुत होने वाले बजट के लिए तैयारियां शुरू कर दी हैं। मप्र को आत्मनिर्भर बनाने के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जिस तरह उत्साहित दिख रहे हैं, उससे तो यह साफ हो गया है कि प्रदेश का बजट आत्मनिर्भर मप्र पर आधारित होगा। शिवराज सरकार का आगामी बजट निश्चित रूप से प्रदेश की दिशा तय करने वाला होगा।
मुख्यमंत्री का मानना है कि बजट केवल आय-व्यय का ब्यौरा नहीं है, जन-आकांक्षाओं की पूर्ति का माध्यम है। समृद्ध और विकसित मप्र का निर्माण बजट के माध्यम से ही होता है। इसलिए सीएम ने 2022-23 के बजट के लिए जनता से सुझाव मांगे हैं। बजट संचालक आईरीन सिंथिया ने कहा-आत्मनिर्भर भारत के कार्यक्रमों के परिप्रेक्ष्य में आत्मनिर्भर मप्र के लिए विभाग की योजनाओं, कार्यक्रम एवं उपलब्धि तथा लक्ष्य सहित विभाग से सुझाव मांगे गए हैं। प्रधानमंत्री की मंशानुसार देश की अर्थव्यवस्था को 2025 तक 5 ट्रिलियन डालर तक पहुंचाने के लिए लक्ष्य को प्राप्त करने लिए विभाग द्वारा उठाए जा रहे कदम की जानकारी बजट सुझाव में शामिल करने के निर्देश दिए गए हैं।
ढाई लाख करोड़ से अधिक का बजट
वित्तीय वर्ष 2022-23 का बजट शिवराज सरकार के लिए चुनौती भी है और अवसर भी। चुनौती इस मायने में कि राज्य में खर्च लगातार बढ़ता जा रहा है और उसके मुकाबले आय में वृद्धि नहीं हो पाई है। जनता को राहत पहुंचाने वाली योजनाओं को गति देने के लिए वित्तीय स्थिति का मजबूत होना जरूरी है। मुख्यमंत्री की सक्रियता और दूरदर्शी सोच के कारण ही राज्य को संकट से उबारने में मदद मिली है। हालांकि वित्तीय स्थिति मजबूत करने के लिए बड़े फैसले लेने की जरूरत अभी भी है। प्रदेश का बजट इस बार ढाई लाख करोड़ रुपए से अधिक का होगा। स्वयं का राजस्व बढ़ाने पर सरकार द्वारा जोर दिया जाएगा। साथ ही विभागों को बजट से अतिरिक्त भी वित्तीय संसाधन जुटाने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। कर्मचारियों के वेतन में तीन प्रतिशत की वृद्धि के हिसाब से प्रविधान रखे जाएंगे तो महंगाई भत्ते के लिए वेतन मद में कुल प्रस्तावित राशि का 32 प्रतिशत हिस्सा रखा जाएगा। प्रदेश में कर्मचारियों को अभी 20 प्रतिशत महंगाई भत्ता मिल रहा है।
अब तक की तैयारियों से माना जा रहा है कि विधानसभा में प्रस्तुत होने वाले बजट के जरिए सरकार बड़ा संकल्प जाहिर कर सकती है। सरकार के लिए यह बजट चुनौती के साथ एक बड़ा अवसर भी है। माना जा रहा है कि राज्य की खराब वित्तीय स्थिति के बावजूद मुख्यमंत्री आत्मनिर्भर मप्र का खाका खींचने की कोशिश करेंगे। इसीलिए इस बार का बजट अवसर सरकार के लिए भी होगा, क्योंकि जोखिम लेकर अभी तक जितने भी प्रयोग किए गए हैं, वे सभी प्रदेश की अर्थव्यवस्था के लिए कारगर साबित हुए हैं। कोरोना संकट से प्रभावित राज्य की अर्थव्यवस्था धीरे-धीरे पटरी पर लौट रही है। लगभग सभी क्षेत्रों में राजस्व संग्रहण में वृद्धि हो रही है। यह शुभ संकेत हैं, क्योंकि सरकार ने प्रदेश में आर्थिक गतिविधियां बढ़ाने के लिए जो रोडमैप तैयार किया है, उसके लिए वित्तीय संसाधनों की अधिक जरूरत होगी। इसीलिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सभी विभागों को अतिरिक्त आय सृजित करने के लक्ष्य भी दिए हैं। जीएसटी के बाद राज्य के पास टैक्स लगाने का दायरा सीमित हो गया है। ऐसे में उन विकल्पों पर विचार करना होगा, जिनके माध्यम से सरकार जनता पर कर का बोझ बढ़ाए बगैर आय बढ़ा सकती है। यही वजह है कि मुख्यमंत्री ने देशभर के नामचीन विषय विशेषज्ञों के साथ मंथन के बाद आत्मनिर्भर मप्र का रोडमैप तैयार किया है। इसमें सभी क्षेत्रों पर ध्यान दिया जा रहा है। माना जा रहा है कि जिस तरह मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान विषम परिस्थितियों में बेहतर प्रबंधन करते आए हैं, वैसा ही इस दौर में भी वे बजट के माध्यम से करेंगे। सामाजिक क्षेत्र से जुड़ी योजनाओं के लिए पर्याप्त वित्तीय प्रावधान करने के साथ आर्थिक गतिविधियां बढ़ाने के लिए कदम उठाने से वह नहीं झिझकेंगे।
विभागों से कामों का ब्यौरा मांगा
बजट भाषण के लिए सभी विभागों से आत्मनिर्भर मप्र को लेकर किए गए कामों का ब्यौरा मांगा गया है। दरअसल, बजट के माध्यम से सरकार यह बताएगी कि मप्र ने आत्मनिर्भरता की ओर मजबूती से कदम बढ़ाए हैं। चाहे निवेश बढ़ाना हो या अधोसंरचना विकास के काम हों, प्रदेश किसी राज्य से पीछे नहीं है। कृषि के क्षेत्र में भी लगातार विस्तार हो रहा है। न्यूनतम समर्थन मूल्य पर गेहूं, धान, चना, मसूर, सरसों और ग्रीष्मकालीन मूंग खरीदी गई। इससे किसानों को सुविधा मिली और ग्रामीण अर्थव्यवस्था में गति आई। स्वास्थ्य के क्षेत्र में लगने वाली ऑक्सीजन के लिए लगभग 200 संयंत्र स्थापित हो चुके हैं। चार नए मेडिकल कॉलेज बनाने की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। अटल प्रोग्रेस-वे के आसपास औद्योगिक क्षेत्र विकास के लिए भूमि चिन्हित की जा रही है। भोपाल और इंदौर मेट्रो रेल परियोजना 2023 में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। वित्त विभाग के अधिकारियों ने बताया कि अभी बजट प्रस्तावों को लेकर विभागीय अधिकारियों के साथ बैठकें चल रही हैं। सभी विभागों से वित्त मंत्री के बजट भाषण के लिए उपलब्धियों की जानकारी देने के लिए कहा गया है। इसमें आत्मनिर्भर भारत के कार्यक्रमों के अंतर्गत आत्मनिर्भर मप्र की योजनाएं और उनकी उपलब्धियां मांगी गई हैं।
मप्र के बजट में इस बार जनता से सुझाव शिवराज सरकार ने मांगे है। सोशल मीडिया प्लेटफार्म कू पर मप्र सरकार ने शिक्षा पर हो बल, सुरक्षित हो कल शीर्षक के साथ जनता से सुझाव मांगने के लिए लिए आग्रह किया है। यह पहली बार हो रहा है कि किसी राज्य सरकार ने बजट में क्या हो इसके लिए सुझाव मांगे हो। इसके लिए बताया जा रहा है कि प्रयास यही है कि बजट सभी के लिए बेहतर हो, हर वर्ग का ध्यान रखा जाए। हालांकि सरकार विशेषज्ञों की राय भी ले रही है, विभागीय स्तर पर भी मंथन चल रहा है। लेकिन सरकार का यह भी मानना है कि जनता से बड़ा विशेषज्ञ कोई नहीं है। कॉलेज बंद होने से बच्चों की शिक्षा प्रभावित हो रही है। इसके लिए सरकार बजट में विशेष प्रावधान करने की तैयारी में है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म कू पर मप्र सरकार ने शिक्षा पर हो बल, सुरक्षित हो कल शीर्षक से एक पोस्ट किया है, जिसमें लिखा है कि शिक्षित बच्चे ही भविष्य में देश-प्रदेश की उन्नति का आधार बनेंगे। उन्हें बेहतर शिक्षा मिल सके, इसके लिए बजट में योजनाएं बनाना भी जरूरी है। नए वित्त वर्ष के इस बजट की खासियत यह होगी कि उसमें पूरी तरह से प्रदेश को आत्मनिर्भर बनाने के आधार पर तैयार किया जा रहा है। इस बजट में आत्मनिर्भर मप्र के रोडमैप की पूरी झलक दिखेगी। मुख्यमंत्री ने सभी मंत्रियों को अपने विभाग से जुड़े प्रस्तावों को आत्मनिर्भर मप्र के तहत ही तैयार करने के लिए कहा है।
मिशन 2023 की दिखेगी झलक
वर्ष 2023 में मप्र का विधानसभा चुनाव होना है। इसलिए सरकार का पूरा फोकस इस बात पर है कि इस बार के बजट में जनता को अधिक से अधिक सहूलियतें प्रदान की जाएं। इसलिए इस बार के बजट में जनता के लिए कई प्रकार की सौगातें मिलने की संभावना हैं। राज्य की वित्तीय स्थितियों के जानकार मानते हैं कि आगामी बजट का फायदा मुख्यमंत्री एक अवसर की तरह उठाने की कोशिश करेंगे। इसे ध्यान में रखकर ही बजट की तैयारी भी हो रही है। आत्मनिर्भर मप्र के तहत तय किए लक्ष्यों को वर्ष 2023 तक पूरा करने के लिए विभागवार राशि का प्रबंध किया जाएगा। इसके लिए अतिरिक्त आय के विकल्प तलाशे जा रहे हैं। वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा 15 जनवरी के बाद बजट भाषण में शामिल किए जाने वाले विषयों पर चर्चा के लिए बैठक करेंगे। वर्ष 2021-22 में सरकार ने कोरोना संकट के दौरान आर्थिक गतिविधियां प्रभावित न हों, इसके लिए अधोसंरचना विकास के कामों पर सर्वाधिक ध्यान दिया था। इसकी वजह से केंद्र सरकार से प्रदेश को लगभग 5 हजार करोड़ रुपए अधिक भी मिले हैं। शहर और ग्रामीण क्षेत्रों में छोटे कारोबारियों को रोजगार फिर से जमाने के लिए बैंकों से ब्याज मुक्त ऋण दिलाया गया। सरकार का फोकस सबसे अधिक युवा वर्ग पर है। इसलिए सरकार युवाओं को रोजगार मुहैया कराने वाले संसाधनों पर जोर देगी। गौरतलब है कि कोरोना संक्रमण के कारण लाखों लोग बेरोजगार हुए हैं। ऐसे लोगों को काम देने की रणनीति पर सरकार काम कर रही है और बजट में इस पर फोकस किया जाएगा।
उधर, सूत्रों का कहना है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने मंत्रियों और अधिकारियों को निर्देशित किया है कि प्रदेश में आगामी वित्तीय वर्ष में होने वाले विकास कार्यों के लिए फंड जुटाना चुनौतीपूर्ण है। इसलिए केंद्र सरकार के पास लंबित पड़े मप्र के हिस्से के भुगतानों को लाने के प्रयास किए जाएं। गौरतलब है कि खुद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान कई बार केंद्र सरकार के मंत्रियों से मुलाकात कर फंड की मांग कर चुके हैं। अब बजट से पहले मप्र के हिस्से के बजट को केंद्र से लाना सरकार की प्राथमिकता होगी। सरकार को मालूम है कि वित्तीय संसाधन जुटाने के जितने भी मार्ग हैं, सबको अपनाया जा चुका है। अब केंद्र के पास लंबित पड़े मप्र के हिस्से के बजट को लाना है। उधर, मुख्यमंत्री के दिशा-निर्देश पर कई विभागों के फंड में कटौती की तैयारी की जा रही है। विभागों में बेवजह होने वाले खर्चों को रोका जाएगा।
विभागों के बजट में 10 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी
इस बार उम्मीद की जा रही है कि सरकार विभागों के बजट में 10 प्रतिशत तक बढ़ोतरी कर सकती है। प्रदेश में अनुमाति बजट में सबसे अधिक अनुसूचित जनजाति का बजट होने की संभावना है। विभाग वर्ष 2021-22 में अनुसूचित जनजाति का बजट 24,911 करोड़ रूपए का था। वर्ष 2022-23 में 27,920 का बजट अनुमानित है। वहीं इस बार बजट में अनुसूचित जाति का बजट 9,780 करोड़ ,प्राथमिक स्कूल निर्माण 10,772 करोड़, जल जीवन मिशन 6,338 करोड़, माध्यमिक स्कूल 6,300 करोड़, ऊर्जा विभाग 11,241 करोड़, कृषि कल्याण 15,200 करोड़, स्वास्थ्य व्यवस्था 6,600 करोड़, शहरी विकास 12,100 करोड़, एनवीडीए 3,000 करोड़ अनुमानित है। उधर लोगों की मांग है कि राज्य सरकार स्वास्थ्य, शिक्षा का बजट के बजट को बढ़ाए, पेट्रोल-डीजल पर वेट कम करे, जिससे आमजन को राहत मिलेगी। महंगाई पर भी अंकुश लगेगा। परीक्षाओं का शुल्क सिर्फ 50 रुपए हो, सरकारी विभागों में नियुक्ति प्रक्रिया शुरू की जाए।
विशेषज्ञों का कहना है कि बजट में तार्किक शिक्षा, आधुनिक ट्रेनिंग और भ्रष्टाचार उन्मूलन पर निवेश बढ़ाना चाहिए। अतिथि शिक्षकों के मानदेय में इजाफा किया जाए। सरकार नियमितीकरण में प्राथमिकता दे। कृषि उपज को निर्यात करने का कार्य शासन द्वारा किया जाए। एवं रोजगार और अर्थव्यवस्था के सुधार के लिए सर्विस सेक्टर पर जोर दें। सभी शासकीय वाहनों पर जीपीएस सिस्टम लगाया जाए एवं उससे लॉग बुक से मिलाया जाए, इससे वाहनों का दुरुपयोग रुकेगा। हर जिले के हर ब्लॉक में हर माह रोजगार मेला लगाकर बड़ी कंपनियों को बुलाया जाए। जिससे लोगों को रोजगार और नौकरी मिलेगी। ग्राम पंचायत में सुविधाओं का अभाव है। शिक्षा, स्वास्थ को लेकर इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं है। इसके लिए बजट प्रावधान हो।
बजट के लिए जनता से सुझाव
मप्र के बजट में इस बार शिक्षा को प्राथमिकता, जनता से सुझाव शिवराज सरकार ने मांगे है। सोशल मीडिया प्लेटफार्म कू पर मप्र सरकार ने शिक्षा पर हो बल, सुरक्षित हो कल शीर्षक के साथ जनता से सुझाव मांगने के लिए लिए आग्रह किया है। यह पहली बार हो रहा है कि किसी राज्य सरकार ने बजट में क्या हो इसके लिए सुझाव मांगे हो। इसके लिए बताया जा रहा है कि प्रयास यही है कि बजट सभी के लिए बेहतर हो, हर वर्ग का ध्यान रखा जाए। हालांकि सरकार विशेषज्ञों की राय भी ले रही है, विभागीय स्तर पर भी मंथन चल रहा है। लेकिन सरकार का यह भी मानना है कि जनता से बड़ा विशेषज्ञ कोई नहीं है। कॉलेज बंद होने से बच्चों की शिक्षा प्रभावित हो रही है। इसके लिए सरकार बजट में विशेष प्रवधान करने की तैयारी में है। सोशल मीडिया प्लेटफार्म कू द्मशश पर मप्र सरकार ने शिक्षा पर हो बल, सुरक्षित हो कल शीर्षक से एक पोस्ट किया है, जिसमें लिखा है कि शिक्षित बच्चे ही भविष्य में देश-प्रदेश की उन्नति का आधार बनेंगे। उन्हें बेहतर शिक्षा मिल सके, इसके लिए बजट में योजनाएं बनाना भी जरूरी है। कोरोनाकाल के बाद से बाद से लोग स्वास्थ्य के प्रति गंभीर हुए हैं, ऐसी ही गंभीरता वे सरकार से भी चाहते हैं। इसलिए स्वास्थ्य बजट में इजाफा किए जाने सुझाव दिया गया है। सरकार बजट में ऐसी व्यवस्था करे, जिससे प्रदेश कॉलोनी व मोहल्ले में एक स्वास्थ्य क्लीनिक खोला जाए। जिसमें एक-एक चिकित्सक, नर्सिंग स्टॉफ, टेकनीशियन पदस्थ किये जाए। ताकि कोविड जैसी अन्य रोगों के उचित उपचार या परामर्श तत्काल मिल सके। मालूम हो वर्तमान में स्वास्थ्य क्षेत्र का बजट 15890 करोड़ रुपए है। पिछले वित्तीय वर्ष से यह 9 प्रतिशत अधिक है। महंगाई से परेशान लोग चाहते हैं कि इस बजट में सरकार पेट्रोल-डीजल में वेट कम कर कुछ राहत दे सकती है। इस दिशा में प्रयास किए जा सकते हैं। वहीं सरकारी फिजूलखर्ची पर भी लगाम लगाए जाने की बात लोगों ने कही है। महिलाओं, बालिकाओं के लिए बजट में विशेष प्रावधान किए जाने का सुझाव दिया गया है।
पंजाब फार्मूला मप्र में भी लागू हो
संविदा कर्मियों के मामले में पंजाब फार्मूला लागू किए जाने का सुझाव आविद खान ने दिया है। इन्होंने कि पंजाब सरकार की तरह यहां भी संविदा कर्मियों को नियमित किया जाए। करतार सिंह ने सुझाव दिया कि शिक्षकों का कार्य समान तो फिर वेतन विसंगति क्यों है। समान कार्य के साथ समान वेतन का प्रावधान किया जाए। मुकेश प्रजापति ने सुझाव दिया कि सभी नगर पालिका, नगर परिषद, पंचायत, कॉलेज, सीएम राइज स्कूलों में पुस्तकालयों की स्थापना कर ग्रंथपाल के पद निर्मित कर भर्ती की जाए। जनमेद कुमार ने सुझाव दिया कि प्रदेश की सरकारी विभागों में रिक्त पदों पर नियुक्ति प्रक्रिया शुरू की जाए। जिससे रिक्त पद भरेंगे, लोगों को नौकरी मिलेगी, वहीं सरकारी विभागों में काम-काज में गति आएगी। अनुराग पाटीदार ने पटवारियों का ग्रेड-पे 2400 रुपए करने का सुझाव देते हुए निचले स्तर पर भी ध्यान दिए जाने की बात कही। अंशुल अग्रवाल ने सुझाव दिया कि ईपीएस पेंशनर के लिए अलग से बजट दिया जाना चाहिए। न्यूनतम पेंशन 1000 रुपए से बढ़ाकर 7500 रुपए की जाए, राज्य सरकार इसमें योगदान दे। इस महंगाई के दौर में 1000 रुपए की पेंशन में जीवन यापन मुश्किल है। कपिल पाठक ने सुझाव दिया कि ग्राम रोजगार सहायकों को नियमित किया जाए।
कृषि, उद्योग और रोजगार पर फोकस करे सरकार
मप्र में वित्तीय वर्ष 2022-23 के बजट को अंतिम रूप दिया जा रहा है। सरकार का फोकस है कि बजट ऐसा हो जो आत्मनिर्भर मप्र अभियान को पूरा करने में मददगार हो। इसलिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रदेश की जनता से सुझाव मांगा है। सुझाव देने वालों ने कृषि, उद्योग और रोजगार के अवसरों पर फोकस करने की मांग ही है। ज्यादातर सुझाव अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति को लेकर आए हैं। वहीं गो-अभ्यारण्यों और गो सदनों को चलाने के लिए संसाधन जुटाने सरकार को शराब की प्रति बोतल पर एक रुपए टोकन उपकर लगाने की सलाह दी है। 2022-23 के लिए ढाई लाख करोड़ से अधिक का अनुमान है। वित्तीय वर्ष 2021-22 का बजट प्रावधान 2 लाख 41 हजार करोड़ का था। अब वर्ष सरकार का फोकस बिजली, सिंचाई, शहरी विकास, मेट्रो ट्रेन, स्मार्ट सिटी, पेयजल तथा रोजगार पर है। मप्र में ज्यादा से ज्यादा निवेश लाने के साथ हर क्षेत्र में आधुनिक टेक्नालॉजी का व्यापक उपयोग करने, कृषि के जरिए खेती में आधुनिक ढंग से उत्पादन और उत्पादकता बढ़ाकर खेती को लाभ का धंधा बनाने पर काम किया जा रहा है। इसके अलावा एनवीडीए की 11 सिंचाई परियोजनाओं के लिए भी बजट में भरपूर प्रावधान होगा।
बजट के लिए लोगों के कई तरह के सुझाव दिए हैं। किसी ने कहा है कि गांव में प्राकृतिक चिकित्सा केंद्र, हर्बल गार्डन और आयुर्वेद औषधि केंद्र खोले जाएं, ताकि वहां के लोग भारत की प्राकृतिक चिकित्सा से जुड़ सकें। किसी ने कहा है कर्मचारियों को केंद्र के बराबर डीए देना चाहिए। प्रदेश के किसानों के साथ फसल खरीददारी में पारदर्शिता होना चाहिए, सरकारी नौकरियां मप्र के लोगों को मिलना चाहिए। व्यवसायिक परीक्षा मंडल की परीक्षा में 5 अंक दिए जाने का कैबिनेट का निर्णय बेरोजगारों को शासकीय सेवा में शामिल होने के अवसर को कम से कम करना है। इसमें गौर हो। मप्र में ग्रामीण पर्यटन के अभूतपूर्व अवसर हैं। एग्री टूरिज्म, रिलीजियम टूरिज्म, हेरिटेज टूरिज्म, इको टूरिज्म की मार्केटिंग में ग्राम के स्थानीय युवाओं को अवसर देकर स्थापित किया जा सकता है। 15 वर्षों से अधिक समय से नि:शुल्क कार्य कर रहे गो-सेवकों के परिवार के भरण-पोषण के लिए 20 से 25 हजार रुपए तक वेतन दिया जाना चाहिए।
जन-सहभागिता सरकार की नीति निर्माण का अंग: देवड़ा
प्रदेश के वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा का राज्य के आगामी बजट को लेकर कहना है कि जन-सहभागिता राज्य सरकार की नीति निर्माण का महत्वपूर्ण अंग है। सरकार के सीमित संसाधनों के कारण जनहित में निजी क्षेत्र की पूंजी एवं कार्यकुशलता का लाभ उठाना आवश्यक है। कठिन आर्थिक परिदृश्य के बावजूद प्रदेश का सकल घरेलू उत्पाद 10 लाख करोड़ से ज्यादा होना उल्लेखनीय उपलब्धि है। वर्ष 2022-23 के बजट में समाज के सभी वर्गों के हितों के अनुकूल रखने के प्रयास होंगे। इस दृष्टि से यह बजट प्रदेश की विकास यात्रा में मील का पत्थर साबित होगा। वित्त मंत्री का कहना है कि विषम आर्थिक परिस्थितियों में भी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में प्रदेश की विकास की गति बनी रही। केंद्र और राज्य में समान विचारों की सरकारें होने से समन्वय एवं परस्पर सहयोग में आसानी है। केंद्र का पूरा सहयोग मध्यप्रदेश को मिल रहा है। महत्वकांक्षी लक्ष्य भारत को पांच ट्रिलियन डालर की अर्थ-व्यवस्था बनाने में प्रधानमंत्री के महत्वाकांक्षी लक्ष्य को पूरा करने में मध्यप्रदेश सरकार अपना पूरा योगदान देगी। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री चौहान के मार्गदर्शन में 2023 तक के लिए विकास का रोडमैप तैयार किया गया है, जिसमें सभी विभागों के लिये लक्ष्य तय कर जिम्मेदारियां दी गई है। कोविड के कारण आए आर्थिक संकट से प्रदेश को उबारने में कृषि क्षेत्र में विशेष सहयोग मिला है। इस क्षेत्र में सकल घरेलू उत्पाद उत्साहजनक बना रहा। राज्य सरकार ने भी किसानों की आय को बढ़ाने को सर्वोच्च प्राथमिकता दी और उनके हर मुद्दे के प्रति संवेदनशील रही है। उद्योग एवं व्यापार के महत्व को देखते हुए व्यापार की कार्य-प्रणाली को सहज बनाने की दिशा में राज्य सरकार कदम उठा रही है। इस क्षेत्र में विशेषज्ञों के सुझाव का हमेशा स्वागत रहेगा। राज्य सरकार अर्थ-व्यवस्था को और ज्यादा गतिशील बनाने के लिए अधो-संरचना में निवेश बढ़ाने प्रोत्साहन पैकेज भी दे रही है।