सीता माता ने भरी शिव सरकार की झोली

भोपाल/मंगल भारत।मनीष द्विवेदी। नरेन्द्र मोदी की

सरकार की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन ने शिवराज सरकार की झोली भरकर आर्थिक संकट का सामना कर रहे खजाने को बड़ी राहत देने का रास्ता साफ कर दिया है।  जिस तरह के प्रावधान इस बार बजट में किए गए हैं उसकी वजह से प्रदेश में कई सेक्टर में आने वाले समय में बेहद ही अच्छे परिणाम आना तय  हो गए हैं। फिर मामला चाहे सिंचाई को हो या फिर लघु उद्योगों का। किसान आर्थिक संपन्नता प्राप्त करेंगे तो प्रदेश में अधोसंरचना को भी गति मिलने का रास्ता भी खुलेगा। बजट में मप्र के सर्वाधिक सूख ग्रस्त  बुंदेलखंड अंचल को हरा भरा करने वाली महत्वाकांक्षी केन -बेतवा लिंक परियोजना
के लिए 1400 करोड़ रुपए की व्यवस्था की गई है।
इसी तरह से आयुध निर्माण के लिए किए गए प्रावधानों से इस सेक्टर में भी प्रदेश की ताकत में अत्याधिक इजाफा होना तय है। बजट में जिस तरह से खेती में ड्रोन के उपयोग को बढ़ावा देने पर जोर दिया गया है उससे प्रदेश में पहले से उपयोग की जा रही इस तकनीक पर भी मुहर लगने से प्रोत्साहन मिला है। सीतारमन द्वारा किए गए प्रावधानों से नए वित्त वर्ष में प्रदेश सरकार के खाते में केन्द्रीय करों से मिलने वाली हिस्सेदारी के रुप में मप्र को छह हजार करोड़ रुपए अधिक मिलने का भी रास्ता खुल गया है। इसी तरह से अधोसंरचना विकास के मामलों में भी मप्र के खाते में दो एक्सप्रेस वे आए हैं। अगर बात स्टेट फॉर कैपिटल इन्वेस्टमेंट की बात की जाए तो इसके लिए किए गए 15 हजार करोड़ के प्रावधान की वजह से अब प्रदेश को 300 करोड़ रुपए अतिरिक्त मिलेंगे। अगर बात पन्ना जिले में प्रस्तावित केन-बेतवा लिंक परियोजना की करें तो इससे न केवल मध्य प्रदेश के हिस्से के बुंदेलखंड का सूखा समाप्त होगा, बल्कि कई लाख हेक्टेयर इलाके में सिंचाई सुविधा मिल जाएगी। इसके अलावा कई गांव व शहरों का पेयजल संकट भी दूर हो जाएगा। पानी की उपलब्धता की वजह से इस इलाके में औद्योगिकीकरण होने से रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे। इस परियोजना से प्रदेश के पन्ना, छतरपुर, दमोह, टीकमगढ़, निवाड़ी, सागर, रायसेन, विदिशा, शिवपुरी और दतिया जिले को सिंचाई और पेयजल के लिए पानी मिलेगा। गैर वषार्काल (नवंबर से मई तक) में दौधन बांध से मध्य प्रदेश को 1834 एमसीएम (मिलियन क्यूबिक मीटर यानी 1834 अरब लीटर) और उत्तर प्रदेश को 750 एमसीएम (750 अरब लीटर) पानी मिलेगा। सामान्य वर्षा काल में मध्य प्रदेश को दो हजार 350 और उत्तर प्रदेश को एक हजार 700 एमसीएम (अरब लीटर) वार्षिक जल मिलेगा। दौधन के पास बांध बनाकर केन नदी का पानी रोका जाएगा। यहां से 221 किमी लंबी नहर के माध्यम से केन बेसिन के 1074 अरब लीटर पानी बेतवा बेसिन में पहुंचाया जाएगा। तीन बांध बेतवा नदी पर बनाए जाएंगे। उल्लेखनीय है कि 470 किमी लंबी केन नदी बुंदेलखंड की प्रमुख नदी है।
खेती में ड्रोन का उपयोग
मप्र ऐसा प्रदेश है जहां पर पहले से ही खेती में ड्रोन का इस्तेमाल किया जा रहा है। अब बजट में इसके प्रोत्साहन की घोषणा की गई है। अभी इसका उपयोग जबलपुर इलाके में कीटनाशक छिड़काव के रुप में किया जा रहा है , लेकिन जल्द ही इसका उपयोग बुबाई में किया जा सकेगा। इसके उपयोग से फसलों का डिजिटलाइजेशन , फसलों की उपज और फसलों के नुकसान का रिकार्ड भी तैयार किया जा सकेगा।
इन इलाकों को मिलेगा फायदा
छतरपुर में राजनगर, बिजावर, लवकुशनगर अनुभाग के ज्यादा हिस्से की भूमि सिंचित हो सकेगी। अभी जिले की भूमि पर फिलहाल जौ, बाजरा, दलहन, तिलहन, गेहूं, मूंगफली, चना/ जैसी फसलें पैदा होती हैं। इन फसलों में ज्यादा पानी की जरूरत नहीं पड़़ती  हैं।  बुंदेलखंड क्षेत्र के 4000 से भी ज्यादा तालाबों को भरा  जा सकेगा। पलेरा, जतारा और निवाड़ी क्षेत्र से होकर नहरें गुजरेगी। इन तीनों तहसीलों के करीब 30 हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल में सिंचाई हो सकेगी। दतिया में इस परियोजना से उदगवां सर्किल के 28 गांवों की लगभग 14 हजार हेक्टेयर जमीन को सिंचाई के लिए पानी मिल सकेगा। परियोजना के पूरे होने के बाद दतिया में नहर से सिंचाई का रकबा एक लाख 48 हजार हेक्टेयर से बढ़कर एक लाख 62 हजार हो जाएगा। प्रोजेक्ट के पहले चरण में केन नदी पर ढोडन  गांव के पास बांध बनाकर पानी बेतवा नदी तक पहुंचाया जाएगा। दूसरे चरण में बेतवा नदी पर विदिशा जिले में 4 बांध बनाए जाएंगे। बेतवा की सहायक बीना नदी (जिला सागर) और उर नदी (जिला शिवपुरी) पर भी बांधों का निर्माण किया जाएगा।
आयुध निर्माण में बढ़ेगी ताकत  
इस क्षेत्र के लिए घोषित की गई नीति से इस मामले में स्टार्टअप को मौका मिलेगा। इससे जबलपुर की ऑर्डिनेंस, जीसीएफ, व्हीकल, सीओडी जीआईएफ सहित पांचो सुरक्षा मामलों के संस्थानों को नया बल मिलेगा। इसकी वजह से इनमें आधुनिक बम, गोला बारुद, तोप वाहन आदि का निर्माण शुरू हो सकेंगे । यहां बनने वाली धनुष तोप  बेहद चर्चा में  है। इसके अलावा कई अन्य तरह के आधुनिक बम भी यहां पर बनाए जा चुके हैं।