प्रदेश के संजीवनी क्लीनिकों में मोहल्ला क्लीनिक की तरह होंगी सुविधाएं.
भोपाल/मंगल भारत।मनीष द्विवेदी। प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार करने के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के नक्शे कदम पर चलेंगे। इसके तहत शिवराज सरकार स्वास्थ्य सुविधाओं को भी मोहल्ला क्लीनिक की तरह ही विकसित करने जा रही है। अब प्रदेश के संजीवनी क्लीनिकों में मोहल्ला क्लीनिक की तरह सुविधाएं होंगी। संजीवनी क्लीनिक को अब 20 हजार की आबादी पर खोला जाएगा। अभी यह 50 हजार की आबादी पर एक हैं। गौरतलब है कि 2019 में कमलनाथ की कांग्रेस सरकार ने प्रदेशभर में संजीवनी क्लीनिक खोले थे। कमलनाथ ने संजीवनी क्लीनिक खोलते समय कहा था कि इन्हें मोहल्ला क्लीनिक की तरह बनाएंगे, लेकिन यह न उनके कार्यकाल में हुआ और न ही शिवराज सरकार के कार्यकाल में। अब फिर इस तरफ ध्यान गया है। इसके तहत मोहल्ला क्लीनिक के साथ शहरी सुरक्षा केंद्रों में अब अरविंद केजरीवाल के मोहल्ला क्लीनिक की तर्ज पर सुविधाएं देने की तैयारी है।
जांचे बढ़ानी होगी
मप्र में मोहल्ला क्लीनिक की संख्या और जांचे बढ़ानी होगी। मप्र के संजीवनी क्लीनिक में अभी 11 प्रकार की जांचें होती हैं। एक-दो माह में यह संख्या 45 तक होने वाली है। दिल्ली में 230 से ज्यादा जांचें होती हैं। हर रोग की दवा भी उपलब्ध है। प्रदेश के संजीवनी क्लीनिक में अभी एचआईवी, प्रेग्नेंसी, हिमोग्लोबिन, वीडीआरएल, मलेरिया, शुगर, कोरोना जांच, डेंगू, हैपेटाइटिस-बी, यूरिन, टाइफायड और ब्लड प्रेशर की जांचें होती हैं। ब्लड सैंपल कलेक्शन शुरू होने के बाद 34 जांचें बढ़ जाएंगी। विश फाउंडेश के कंसलटेंट सविता गौतम ने बताया कि सुविधाएं बढ़ाएंगे तो सभी चीजें बेहतर होंगी। भोपाल को ही देखें तो अशोका गार्डन के संजीवनी क्लीनिक में सेंट्रल लैब ने काम शुरू कर दिया है। इससे 34 तरह की जांचें बढ़ऩे वाली हैं। राजधानी की 27
क्लीनिक व शहरी सुरक्षा केंद्रों से ब्लड सैंपल लिए जा सकेंगे।
बजट सबसे बड़ी चुनौती
शिवराज सरकार स्वास्थ्य सुविधाओं को भी मोहल्ला क्लीनिक की तरह ही विकसित करने जा रही है। स्वास्थ्य विभाग ने इसकी कवायद शुरू कर दी है, लेकिन इसमें सबसे बड़ी चुनौती बजट की है। स्वास्थ्य विभाग के सूत्रों का कहना है कि संविदा पर संजीवनी क्लीनिक में काम कर रहे मेडिकल आॅफिसरों ने हाल ही में मांग उठाई है कि उन्हें भी दिल्ली की तरह ही वेतन मिले। अधिकारियों ने कहा कि वेतन व्यवस्था इंसेटिव बेस्ड इसलिए हैं ताकि डॉक्टर पूरे समय क्लीनिक पर मौजूद रहें। अगले वित्तीय वर्ष में व्यवस्था बदलने पर विचार होगा। मप्र में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन और विश (डब्ल्यूआईएसएच) फाउंडेशन की भागीदारी में संजीवनी क्लीनिक चल रहे हैं।
सरकार की राह में कई अड़चनें
दिल्ली की तरह मोहल्ला क्लीनिक चलाने के लिए प्रदेश में सरकार के सामने कई अड़चने हैं। बड़ी अड़चन बजट की है। इसके लिए बजट आवंटन कई गुना बढ़ाना होगा। दिल्ली में 189 मोहल्ला क्लीनिक के लिए 7485 करोड़ का बजट है। मप्र सरकार ने संजीवनी क्लीनिक और शहरी सुरक्षा केंद्रों के लिए 400 करोड़ रुपए रखे हैं। एक बड़ी समस्या संविदा आधारित सिस्टम और इंसेटिव पर वेतन की है। मप्र में 103 संजीवनी क्लीनिक संविदा पर नियुक्त मेडिकल आॅफिसर (एमओ), एएनएम, लैब टैक्निशियन के भरोसे हैं। यहां इंसेटिव आधारित वेतन है। एमओ को कम से कम 25 हजार और ओपीडी के आधार पर अधिकतम 75 हजार रुपए तक मिलते हैं। यानी 25 पेशेंट से ज्यादा मरीज देखने पर प्रति मरीज 40 रुपए मिलते हैं। दिल्ली में ऐसी कोई बाध्यता नहीं है। वहीं संजीवनी क्लीनिक को मप्र में हर साल एक लाख 75 हजार रुपए मिलते हैं। इसी में वेतन व अन्य खर्च शामिल हैं। दिल्ली में यह सीमा नहीं है।