नई आबकारी नीति…महंगा और घाटे का सौदा

  • राजधानी की 58 में से एक भी शराब दुकान का नहीं हुआ ठेका

    भोपाल/मंगल भारत।मनीष द्विवेदी। प्रदेश

  • सरकार की नई आबकारी नीति के कारण पीने वालों की संख्या में बढ़ोतरी का अनुमान है, लेकिन सरकार की शर्तों और दरों पर ठेकेदार शराब बेचने को तैयार नहीं हो रहे हैं। नई आबकारी नीति को लेकर राजधानी सहित प्रदेशभर के बड़े शराब ठेकेदार अड़ गए हैं। उनका कहना है कि नई आबकारी नीति में शराब महंगी हो गई है, वहीं हमें कोई मुनाफा नजर नहीं आ रहा है। यह घाटे का सौदा है। शायद यही कारण है कि भोपाल जिले की 22 ग्रुप की 58 दुकानों के लिए खोले गए टेंडर में सरकार पर दबाव बनाने के लिए बड़े समूह आगे नहीं आए। 11 समूहों ने टेंडर भरे थे, लेकिन यह प्राइज रेट से 45 फीसदी कम पर आए। इसके चलते भोपाल जिले की 58 में से एक भी दुकान का ठेका नहीं हो सका।
    गौरतलब है की इस बार प्रदेशभर में नई आबकारी नीति के खिलाफ ठेकेदार लामबंद हो गए हैं। किसी भी जिले में अभी तक सभी शराब दुकानों को ठेका नहीं हुआ है। वहीं भोपाल जिले के बड़े शराब ठेकेदार दूसरे दौर की टेंडर प्रक्रिया में एकजुट नजर आए। वे महंगे ठेके यानी अधिक रिजर्व प्राइज का विरोध कर रहे हैं। शराब के बड़े ठेकेदार अब भी अपने रवैए पर अडिग हैं। सरकार पर दबाव बनाने के लिए ये बड़े ठेकेदार दूसरे दौर की टेंडर प्रक्रिया से दूर ही रहे। यह  स्थिति राजधानी के अलावा प्रदेश के अन्य जिलों में भी रही।
    बड़े ठेकेदारों ने बना रखी है दूरी
    पूर्व में 11 फरवरी को भोपाल जिले में 33 ग्रुप की 90 शराब दुकानों के लिए आॅनलाइन टेंडर खोले गए थे। इनमें 11 ग्रुप की 32 दुकानें लेने के लिए छोटे-छोटे ग्रुप थे। बड़े ग्रुप ने पहले दौर की टेंडर में भी आगे नहीं आए और उन्होंने प्रक्रिया से भी दूरी बना ली थी। उस समय भी इनका विरोध ज्यादा प्राइज रेट को लेकर था। बड़े ठेकेदारों द्वारा टेंडर से दूरी बनाने के चलते ही एमपी नगर, दस नंबर और न्यू मार्केट ग्रुप की 58 दुकानों की नीलामी नहीं हो सकी थी। इसके चलते सरकार को सोमवार को दूसरी बार टेंडर प्रक्रिया अपनानी पड़ी, लेकिन इसमें भी अपने रुख पर अड़े रहे।
    प्राइज रेट 10 से 15 फीसदी कम करने की तैयारी
    जानकारी के अनुसार आबकारी विभाग प्राइज रेट 10 से 15 फीसदी कम करने के लिए पुनर्विचार प्रस्ताव सरकार को भेजने की तैयारी कर रहा है। इसकी वजह यह है कि ठेकेदार नई आबकारी नीति को महंगा और घाटे का सौदा बता रहे हैं। जानकारों के मुताबिक, पिछले साल शराब ठेकेदारों ने रिजर्व प्राइज से 30 प्रतिशत अधिक दरों पर बोली लगाई थी। इस बार नई आबकारी नीति के तहत सरकार ने 15 प्रतिशत प्राइज रेट बढ़ा दिए हैं। इस कारण पिछले साल की तुलना में इस बार प्राइज रेट 45 प्रतिशत ज्यादा हैं।
    देकेदारों का मार्जिन कम
    शराब ठेकेदार नई आबकारी नीति को महंगा और घाटे का सौदा बताकर इसके विरोध में उतर आए हैं। उनकी मांग है कि प्राइज रेट 15 फीसदी ही किया जाए। उनका कहना है कि नई नीति के तहत लोगों को 20 फीसदी सस्ती शराब मिलेगी। वहीं, देकेदारों का मार्जिन भी कम कर दिया गया है और ड्यूटी भी बढ़ा दी गई है। इन ठेकेदारों का कहना है कि अंग्रेजी और देशी शराब एक ही दुकान से बिकेगी, इसके चलते उनका धंधा मारा जाएगा। यही तथ्य ठेकेदारों का रास नहीं आ रहे हैं। उनका कहना है कि महंगा ठेका लेना हमारे लिए घाटे का सौदा है। हमें मार्जिन तो कम मिलेगा ही, साथ ही ड्यूटी भी ज्यादा चुकानी होगी। यह हमें मंजूर नहीं है।
    इन दुकानों के लिए ये प्राइज रेट आए
    जहांगीराबाद आईसीई कोल्ड 14 करोड़
    खटलापुरा आईसीई कोल्ड 18 करोड़
    सुभाष नगर आईसीई कोल्ड 15 करोड़
    गांधी नगर शिवहरे लिकर्स 12.25 करोड़
    बस स्टैंड हमीदिया रोड शिवहरे लिकर्स 4.80 करोड़
    बस स्टैंड आईसीई कोल्ड 17.75 करोड़
    हमीदिया रोड आईसीई कोल्ड 14 करोड़
    रत्नागिरी तिराहा आईसीई कोल्ड 16 करोड़
    रत्नागिरी तिराहा शिवहरे लिकर्स 15.12 करोड़
    कोलार आईसीई कोल्ड 30.08 करोड़
    एमपी नगर आईसीई कोल्ड 40.12 करोड़
    (नोट: सूत्रों के मुताबिक, यह दर प्राइजरेट से 45 प्रतिशत तक कम है)