सरकार आदिवासियों के प्रति राम के भावनात्मक प्रेम का देगी संदेश

  • ओरछा व चित्रकूट में होगा नवरात्रि में भव्य आयोजन

भोपाल।कोरोना काल समाप्त होने के बाद अब प्रदेश की

शिव सरकार का फोकस सामाजिक और धार्मिक आयोजनों पर शुरू हो गया है। इसके तक अब सरकार द्वारा उन जगहों पर रामलीला का मंचन कराने का फैसला किया गया है, जहां से भगवान राम वनवास के दौरान न केवल निकले थे, बल्कि रुके भी थे। यानी की रामलीला के मंचन के लिए स्थान तय करने में राम वन गमन मार्ग को प्राथमिकता में रखा जा रहा है। दरअसल यह वो मार्ग है जो आदिवासी बाहुल्य इलाकों से होकर गुजरता है।
इस तरह के आयोजन के पीछे सरकार की मंशा राम सबके हैं, उनके जनजातियों से भी उतने ही प्रगाढ़ संबंध हैं जितने अपनी प्रजा से रहा है। इसका संदेश देना है। इनके आयोजन का जिम्मा संस्कृति विभाग को दिया गया है। विभाग इसका आयोजन नवरात्रि पर्व के समय करने की तैयारी कर रहा है। फिलहाल अब तक इसके आयोजन के लिए एक दर्जन जिलों का चयन कर लिया गया है। राम के विभिन्न पक्षों को आमजन तक पहुंचाने के लिए नवरात्रि में प्रदेश के अंचलों में रामलीला का आयोजन करने जा रहा है। इसमें उन स्थानों को केंद्रित किया गया है, यह वे जिले हैं जहां से भगवान राम का संबंध रहा है।
रामलीला का आयोजन नवरात्रि के पहले दिन से लेकर रामनवमी तक किया जाएगा। खास बात यह है कि रामलीला के सबसे बड़े दो आयोजन ओरछा और चित्रकूट में किए जाने का तय किया गया है। इन दोनों ही स्थानों पर सात दिन तक रामलीला का मंचन किया जाएगा। चित्रकूट में होने वाली रामलीला में ऐसे जनजातीय क्षेत्रों को केंद्र में रखा गया है जिसके तहत यहां के निवासी जान सकें कि निषादराज और शबरी से भी राम का उतना ही अपनत्व है। संस्कृति संचालनालय के अधिकारियों के मुताबिक ओरछा में राम राजा हैं। इसलिए ओरछा में दो लाख से ज्यादा दीए जलाए जाएंगे। खास बात यह है कि ओरछा में होने वाली रामलीला में पुनीत इस्सर, बिंदु दारा सिंह, परिधि शर्मा जैसे कई कलाकार भी भाग लेंगे। यह वे कलाकार हैं जो रामायण सीरियल में बतौर किरदार काम कर चुके हैं।
हर दिन अलग -अलग शैली में होगा आयोजन
चित्रकूट में सात दिनों तक होने वाली रामलीला में अलग-अलग शैलियों में मंचन किया जाएगा।  इनमें उड़ीसा, दक्षिण, उत्तर भारतीय सहित अन्य विदेशी शैलियां भी शामिल हैं। अधिकारियों के मुताबिक जिस पथ से श्रीराम का आना-जाना हुआ, वहां भी रामलीला का मंचन होगा। इसके अलावा रामलीला का मंचन उज्जैन, नीमच, राजगढ़, रतलाम, शहडोल, उमरिया, सतना, पन्ना, विदिशा, दमोह और शिवपुरी में भी किया जाएगा। इसमें जनजातीय अंचल में राम से जुड़े पात्रों को प्रमुखता से दिखाया जाएगा। इसमें निषादराज  और शबरी प्रसंग पर पूरी तरह से फोकस रहेगा।
ओरछा में कई दशकों से है जारी है पंरपरा
यूनेस्को की वर्ल्ड हेरिटेज सूची में शामिल मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड की अयोध्या ओरछा में रामलीला का आयोजन बीते कई दशकों से होता आ रहा है। यहां पर बीते साल हुई रामलीला का प्रसारण दुनिया के 142 देशों में किया गया था। बताया जा रहा है कि इस बार होने वाले आयोजन में रामचरित की चौपाइयों पर होने वाली इस रामलीला में स्पेशल इफेक्ट्स, एलईडी ग्राफिक्स और लेजर लाइट आदि का पूरा इस्तेमाल किया जाएगा।  दरअसल ओरछा को लेकर राजा राम की नगरी के रूप में प्राचीन कथा है। इसके अनुसार ओरछा की महारानी गणेश कुंवर पुष्य नक्षत्र में श्रीराम की प्रतिमा को अयोध्या से नंगे पैर चलकर यहां लेकर आयी थीं और भगवान श्रीराम को ओरछा के राजा की मान्यता दी थी। भगवान श्रीराम का ओरछा में राज्याभिषेक हुआ था। तब से भगवान राम ही ओरछा के राजा हैं। यही वह कारण भी है कि बुंदेलखंड की अयोध्या मानी जाने वाली ओरछा नगरी में प्रतिदिन चारों पहर भगवान श्रीराम को गार्ड ऑफ ऑनर दिया जाता है। इस भव्य रामलीला को देखने के लिए बुंदेलखंड के साथ-साथ पूरे देश से लोग यहां आते हैं।
दतिया में जगन्नाथ जी की तर्ज पर निकलेगा मां पीतांबरा का रथ
भगवान जगन्नाथ की तरह अब दतिया में मां पीतांबरी की भी रथयात्रा निकाली जाएगी। सोमवार को गहोई वाटिका में व्यापारियों की बैठक में गृह मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि श्री पीतांबरा पीठ पर माई की जयंती 4 मई को मनाई जा रही है। इसी दिन भव्य आयोजन होगा। जगन्नाथ भगवान रथयात्रा की तर्ज पर लकड़ी का रथ तैयार कराया जाए। इसे किसी मशीन या घोड़े से नहीं बल्कि भक्तों द्वारा अपने हाथों से खींचकर यात्रा को पूरा किया जाए। ऐसी मान्यता है कि भक्त भगवान का रथ खींचता है तो उसकी सफलता के साथ मोक्ष के द्वार खुलते हैं। इच्छा रखने वाले हर भक्त को रथ खींचने का मौका दिया जाएगा।