मसाले के नाम पर अफसरों ने किसानों को बांट दिया 7 करोड़ का मिर्ची बीज

केंद्र की मसाला योजना को मप्र में उद्यानिकी विभाग ने लगाया पलीता
– 500 के बीज को 35,000 में खरीदा उद्यानिकी विभाग ने
– मिर्ची बीज मसाला की श्रेणी में नहीं फिर भी किसानों को कर दी सप्लाई
भोपाल/मंगल भारत।मनीष द्विवेदी। किसानों की आय

दोगुनी करने और खेती को लाभ का धंधा बनाने के उद्देश्य से केंद्र सरकार ने मसाला क्षेत्र विस्तार योजना शुरू किया है। जिसका उद्देश्य है कि योजना में शामिल अजमोद, अजवाइन, मेथी, धनिया, लहसुन, हल्दी, जीरा, सौंफ, दिल और निगेला आदि की खेती कर किसान अधिक मुनाफा कमा सके। लेकिन मप्र के उद्यानिकी विभाग और मप्र एग्रो ने मिलीभगत कर केंद्र सरकार के दिशा निर्देशों को दरकिनार कर मिर्ची के बीज किसानों को बांट दिया। आरोप लगाया जा रहा है की योजना के तहत वर्ष 2021 में ही करीब 7 करोड़ 20 लाख रूपए की मिर्ची बीज किसानों को बांटे गए हैं। वह भी  200 से 500 रूपए प्रति किलो के बीज को करीब 35,000 रूपए प्रति किलो के मान से उद्यानिकी विभाग ने खरीद कर केंद्र की मसाला योजना को पलीता लगाया है। जानकारी के अनुसार, एकीकृत बागवानी विकास मिशन के तहत 2014 में मसाला क्षेत्र विस्तार योजना शुरू की गई थी। इसके तहत किसानों को 10 किस्म के मसाला बीज वितरीत किया जाना है। जिसमें केंद्र सरकार की तरफ से 40 फीसदी और राज्य सरकार की ओर से 60 फीसदी अनुदान का प्रावधान है। लेकिन उद्यानिकी विभाग के अफसरों ने केंद्र सरकार की गाइडलाइन को दरकिनार करते हुए किसानों को मिर्च के महंगे बीज वितरित कर दिए।
100 से 500 का बीज 35,090 में खरीदा
केंद्र की गाइडलाइन के हिसाब से विभाग को नेशनल रिसर्च सेंटर ऑन सीड स्पाइस (एनआरसीएसएस) के अनुसार योजना में बीजीय मसाला अर्थात धनिया, अजवाइन, मैथी समेत 10 बीज मसालों के बीज की खरीद करनी थी, लेकिन इन्हें दरकिनार कर दिया गया। विभाग ने सिर्फ शंकर मिर्च बीज की खरीदी की, जो बीज मसाला फसलों के समूह में नहीं आता। यह एनआरसीएसएस की सूची में शामिल भी नहीं है।  मिर्च सप्लाई के लिए 6 निजी कंपनियों मेसर्स यूनाइटेड फास्फोरस लिमिटेड हैदराबाद, महाराष्ट्र हाइब्रिड सीड्स प्राइवेट लिमिटेड इंदौर, मार्कफील्ड हाइब्रिड सीड्स लिमिटेड जालना, नामधारी सीड्स प्राइवेट लिमिटेड बेंगुलरू, मोनसेंटो होल्डिंग प्राइवेट लिमिटेड और इंडो यूएस बायोटेक लिमिटेड अहमदाबाद के रेट मप्र एग्रो में अनुमोदित है, जिनके शंकर मिर्च बीज के रेट 28,600 रुपए से 35090 रुपए किलो के बीच थे। तुलनात्मक देखा जाए तो योजना में लगने वाले किसी भी बीजीय मसाला एवं प्रकंदी फसलों के बीज की कीमत 100 रुपए से अधिकतम 500 रुपए प्रति किलोग्राम तक ही हो सकती है। इसके विपरीत विभाग के द्वारा जो शंकर मिर्च बीज मप्र एग्रो के माध्यम से खरीदा गया, उसकी कीमत 35,090 रुपए प्रति किलो तक है और इसी के चलते अधिकारियों ने इन कंपनियों से मिलीभगत कर इतना महंगा बीज किसानों को बांटने के लिए खरीदा। अब इस खरीदी का करोड़ों का भुगतान तेजी से करने की तैयारी है।
केंद्र के दिशा-निर्देशों को ही दरकिनार
केंद्र सरकार एकीकृत बागवानी विकास मिशन (एमआईडीएच) के तहत राज्यों को अनुदान देती है। इसके लिए वह राज्यों से एक्शन प्लान मांगती है। देश में 24 राज्यों की तरह मप्र ने भी एक्शन प्लान भेजा था, जिस आधार पर उसे केंद्र से बीज मसाला एवं प्रकंदी मसाला फसलों के क्षेत्र विस्तार योजना के तहत अनुदान स्वीकृत हुआ। इसके बाद खेल शुरू हुआ। मप्र के उद्यानिकी विभाग और मप्र एग्रो के अधिकारियों ने योजना के तहत अनुदान पाने के लिए केंद्र के दिशा-निर्देशों को ही दरकिनार कर दिया। केंद्रीय योजना के अनुसार, बीज मसाला के क्षेत्र विस्तार के लिए उद्यानिकी विभाग द्वारा किसानों को बीज बांटा जाना था, लेकिन विभाग ने इस योजना के दिशा-निर्देश के विपरीत जाकर हाइब्रिड मिर्ची बीज की खरीदी कर ली। योजना में बीजीय मसाला के अंतर्गत अजवाइन, मैथी, धनिया समेत 10 बीज मसाला फसलें शामिल हैं, लेकिन विभाग के द्वारा सिर्फ शंकर मिर्च बीज की ही मप्र एग्रो से महंगी दरों
पर खरीदी की गई, जो बीजीय मसाला फसल है ही नहीं।
जिसकी खेती उसका बीज दिया ही नहीं
हैरत की बात तो यह है कि मसाला क्षेत्र विस्तार योजना के तहत प्रदेश को जो भी लक्ष्य प्राप्त हुए थे, योजना के प्रावधान के अनुसार, जो फसलें प्रदेश के किसान लगाते हैं, उनमें लहसुन, हल्दी, धनिया, जीरा, मैथी आदि के कोई भी बीज कृषकों को उपलब्ध नहीं कराए गए, बल्कि केवल संकर मिर्ची बीज ही खरीदे। विभाग और मप्र एग्रो द्वारा इतने संकर मिर्ची बीज किसानों पर थोपे गए, जैसे किसान मिर्च के अलावा और कोई फसल लगाता ही नहीं। किसानों का कहना है कि केंद सरकार से 7 करोड़ 20 लाख बजट आया था, जिसे हाइब्रिड मिर्ची बीज खरीदी में लगा दिया गया। योजना में करीब 25 हजार किसानों ने रजिस्ट्रेशन कराया था, पर उन्हें अन्य मसाला बीज मिला ही नहीं।
पुरानी दर पर ही खरीद लिया बीज
मिलीभगत कर घोटाला करने के लिए अफसरों ने रेट कॉन्ट्रैक्ट के नियमों की जमकर धज्जियां उड़ाई हैं। निजी सप्लायरों से संकर बीजों की खरीद के लिए मप्र एग्रो ने अंतिम आरसीओ 2019 में आमंत्रित किया, जिसमें उक्त 6 कंपनियों के दर अनुमोदन किए गए। इस आरसीओ के तहत मप्र एग्रो ने इन 6 प्रदायकों की दरें 31 मार्च 2020 तक के लिए अनुमोदित की थी। उसके बाद विभाग को नए रेट कांट्रेक्ट करने थे, ताकि प्रतिस्पर्धा में बीज कम से कम दाम पर खरीदा जा सके, लेकिन मप्र एग्रो ने ऐसा नहीं किया। 2021 में मप्र एग्रो द्वारा संकर बीज के क्रय हेतु पुन: आरसीएओ आमंत्रित किए गए, पर पुराने रजिस्टर्ड सप्लायर्स से मिलीभगत कर इस साल की आरसीओ को निरस्त कर दिया गया। इसका नतीजा यह है कि आज भी पुराने सप्लायरों द्वारा मप्र एग्रो के जरिए अवैध पुरानी दरों पर कृषकों को बीज थोप रहे हैं। बता दें कि मप्र एग्रो में पंजीकृत सभी सप्लायरों की दर अधिकतम 30 सितंबर 2020 तक के लिए थी।
2019 से मप्र एग्रो से हो रही बीजों की खरीदी
पहले के सालों में प्रदेश के किसानों को बीज की व्यवस्था खुद करने के निर्देश दिए गए थे। इससे किसानों को बहुत परेशानी होती थी। इसके बाद उद्यानिकी विभाग द्वारा 2019 से किसानों को मप्र एग्रो के माध्यम से बीजों की व्यवस्था शुरू करवाई गई, लेकिन उद्यानिकी विभाग और मप्र एग्रो सप्लायरों से मिलीभगत कर केवल शंकर मिर्ची बीज ही किसानों को दिए गए।