प्रदेश में राज्यसभा के लिए …बिसात बिछना शुरू

  • कांग्रेस में मुस्लिम चेहरे के लिए शुरू हुई लांबिग तो भाजपा में भी चेहरे बदलने के कयास

भोपाल/मंगल भारत।मनीष द्विवेदी। मध्यप्रदेश में तीन

माह बाद रिक्त हो रहीं राज्यसभा की तीन सीटों के लिए अभी से बिसात बिछना शुरू हो गई है। कांग्रेस में कुछ नेताओं ने मुस्लिम चेहरे को मौका दिए जाने के लिए लांबिग शुरू कर दी है, तो इस बीच भाजपा में भी चेहरे बदलने के कयास लगना शुरू हो गए हैं। फिलहाल जो तीन सीटें 9 जून 2022 को रिक्त हो रही हैं उनमें से दो भाजपा व एक कांग्रेस के पास है। इस बार भी विधायकों की संख्या के हिसाब से लगभग यही स्थिति रहने वाली है। फिलहाल प्रदेश के जिन तीन राज्यसभा सदस्यों का कार्यकाल समाप्त हो रहा है उनमें भाजपा के एमजे अकबर, सम्पतिया उइके और कांग्रेस के विवेक कृष्ण तन्खा की सीटें शामिल हैं। भाजपा-कांग्रेस दोनों दलों के सामने सूबे में चल रहे ओबीसी वर्ग को लेकर विवाद की वजह से दोनों दलों में ओबीसी वर्ग को राज्य सभा में भेजने का दबाव भी रहना तय माना जा रहा है। गौरतलब है कि एमजे अकबर, सम्पतिया उइके और कांग्रेस के विवेक कृष्ण तन्खा का कार्यकाल 29 जून 2022 को खत्म हो रहा है। एमजे अकबर और विवेक तन्खा 11 जून 2016 को राज्यसभा के लिए निर्वाचित हुए थे। वहीं, सम्पतिया उइके का निर्वाचन 31 जुलाई, 2017 को हुआ था। वे केंद्रीय मंत्री अनिल माधव दवे के निधन से खाली हुई सीट पर निर्वाचित हुई थीं।
कांग्रेस की एक मात्र इस सीट के लिए अल्पसंख्यक नेताओं की दावेदारी के लिए  विधायक आरिफ मसूद और दिग्विजय खेमा मुहिम को आगे बढ़ा रहा है। यह बात अलग है कि अभी वे इस मामले में खुलकर कुछ नहीं बाले रहे हैं। इसके बाद भी इस खेमे द्वारा जिन नामों के लिए मुहिम शुरू की गई उनमें पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एसई कुरैशी, पूर्व केंद्रीय मंत्री गुलाम नबी आजाद के नाम बताए जा रहे हैं। इसके अलावा इसमें एक अन्य नाम चौकाने वाला भी सामने आ रहा है। वह है पूर्व विधानसभा चुनावों में न्यूट्रल रहने एआईएमआईएम चीफ असदउद्दीन ओवैसी के करीबी और  मौजूदा सदस्यता प्रभारी रईस खान का। यह बात अलग है कि भले ही जी-23 में विवेक तन्खा शामिल हैं, लेकिन उनकी विश्वसनीयता अब भी सोनिया गांधी की नजर में बनी हुई है। यही नहीं पार्टी को अब भी उनकी कानूनी लड़ाई के लिए भी जरूरत है। यही नहीं उनके द्वारा जिस तरह से कश्मीरी पंडितों को लेकर पार्टी की ओर से मामला उठाया गया  है उससे भी उनकी छवि पार्टी हाईकमान की नजर में अच्छी बनी है। इसकी वजह से माना जा रहा है कि पार्टी आलाकमान उन पर एक बार फिर से दांव लगा सकता है। इस बीच प्रदेश के दो दिग्गज नेता अजय सिंह और अरुण यादव का दिल्ली में सक्रियता से कयासों का दौर तेज हो गया है। दोनों ने नेता अभी प्रदेश में उपेक्षित नजर आ रहे हैं और ये दोनों ही लगातार कुछ चुनाव हार चुके हैं। इससे अब उन्हें राज्यसभा के रास्ते से दिल्ली बुलाया जा सकता है।
उधर, भाजपा के खाते वाली दो सीटों पर इस बार पार्टी नए चेहरों पर दांव लगा सकती है। इनमें से एक सीट पर आदिवासी चेहरा उतारना तय है। भाजपा की जो सीट रिक्त  हो रही है उसमें संपतिया उइके, मुब्बशर जावेद अकबर का नाम शामिल है। हालांकि संपतिया उइके भी आदिवासी वर्ग से आती हैं लेकिन उनके परफार्मेंस को देखकर उन्हें बदला जा सकता है। आदिवासी वर्ग से होने का लाभ भी उन्हें मिल सकता है। इस वर्ग के दूसरे नेता की जगह उन्हें दोहराया जा सकता है। भाजपा का एक प्रत्याशी किसी अन्य राज्य के पार्टी नेता को दिया जा सकता है और मुब्बशर जावेद अकबर को दोहराए जाने की संभावनाएं न के बराबर है। भाजपा की एक सीट पर किसी अन्य राज्य के प्रत्याशी का विकल्प इस बार ड्रॉप किया जाता है, तो फिर पार्टी राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय या उमा भारती का नाम भी आ सकता है। उमा भारती ने हाल ही में चुनाव लड़ने का ऐलान किया है जिससे पार्टी के कई नेताओं की चिंताएं बढ़ी है। ऐसे में उन्हें राज्यसभा भेजने का रास्ता अपनाया जा सकता है।
अभी यह है प्रदेश से राज्यसभा का गणित
राज्यसभा में प्रदेश की कुल ग्यारह सीटें हैं। जिनमें से कांग्रेस के राजमणि पटेल और भाजपा से कैलाश सोनी ओबीसी वर्ग से हैं। इधर भाजपा से दो सीटों पर आदिवासी नेता सुमेर सिंह सोलंकी और सम्पतिया उइके हैं, तो अनुसूचित जाति वर्ग से एल मुरूगन हैं और अल्पसंख्यक वर्ग से एमजे अकबर हैं। बाकी सारे सदस्य सामान्य वर्ग से हैं। फिलहाल इस साल भाजपा को दो सीटों पर अपने प्रत्याशी तय करना होगा, जिनमें एक तो आदिवासी हैं तो पार्टी आने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर उन्हें बदलने का रिस्क शायद ही ले। वहीं अकबर की जगह ओबीसी को भेजने के लिए अभी से संगठन पर दबाव पड़ने लगा है। वैसे केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को भी ओबीसी वर्ग का ही माना जाता है।प्रदेश में राज्यसभा के लिए …बिसात बिछना शुरू