सैकड़ों पंचायतों में… नहीं मिल रहे ‘सरपंच’

आरक्षण ने बिगाड़ा खेल, पंचायती राज व्यवस्था फेल.

भोपाल/मंगल भारत।मनीष द्विवेदी। त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों में नामांकन भरने की प्रक्रिया पूरी होने के बाद सैकड़ों पंचायतों में आरक्षण ने ऐसा खेल बिगाड़ा है कि वहां सरपंच और पंच के प्रत्याशी ही नहीं मिले हैंं। इस कारण कई ग्राम पंचायतें ऐसी हैं जिनमें सरपंच पद के लिए एक भी नामांकन पत्र जमा नहीं हुआ। इससे पंचायती राज व्यवस्था फेल हो गई है।
दरअसल प्रदेश में सैकड़ों ग्राम पंचायतों में सरपंच पद जिस वर्ग के लिए आरक्षित किया गया है, वहां उस वर्ग का एक भी परिवार नहीं होने के कारण यह स्थिति बनी है। ऐसे में या तो यहां पद खाली रहेंगे या छह माह बाद आरक्षण परिवर्तन कर दोबारा चुनाव होगा। संचालक पंचायत राज आलोक कुमार सिंह का कहना है कि ऐसा अपवाद स्वरूप ही होता है कि किसी ग्राम पंचायत में उस वर्ग का कोई भी व्यक्ति निवास नहीं करता हो, जिसके लिए पद आरक्षित हुआ हो। ऐसा मामला होने पर तहसीलदार को पुन: निरीक्षण का अधिकार होता है। पुन: निरीक्षण में यह स्थिति पुष्ट हो जाने के बाद वहां फिर से चुनाव कराए जाते हैं।
अब छह महीने बाद कराए जाएंगे चुनाव
त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में इस बार गुना जिले की 11 पंचायतों में सरपंच पद पर चुनाव नहीं होंगे। इन पंचायतों में जिस वर्ग के लिए आरक्षण हुआ है, उसमें उस वर्ग का व्यक्ति निवास नहीं करने के चलते एक भी नामांकन पत्र जमा नहीं हुआ है। इनमें राघौगढ़ जनपद की लक्ष्मणपुरा, परसोलिया, करोंदी, सारसहेला, परेवा, आवन, बैरवार और चांचौड़ा जनपद की. पाखरियापुरा, खानपुरा के साथ गुना जनपद की रेहपुरा और कलेछरी शामिल हैं। यही स्थिति छिंदवाड़ा की रोहना, गुजरखेड़ी, सीहोर की सतोरनिया, विदिशा की मुडरा और करैया पंचायत में अनुसूचित जनजाति वर्ग का प्रत्याशी नहीं होने के कारण सरपंच पद के लिए नामांकन नहीं भरा गया। वही बैरसिया जनपद पंचायत की 126 पंचायतों में से ग्राम पंचायत करारिया में अब छह महीने बाद चुनाव कराए जाएंगे। यह पंचायत अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए आरक्षित की गई थी, लेकिन यहां पर इस वर्ग का एक भी व्यक्ति निवास नहीं करता है। इसी वजह से यहां से सरपंच पद के लिए कोई आवेदन दाखिल नहीं किया गया है। दरअसल 2011 की जनगणना के आधार पर 2022 में पंचायत में आरक्षण किया गया है। पहले यहां पर गरेठिया वजायप्त में एसटी परिवार निवास भी करते थे। अब इस गांव को पंचायत मन्ख्याई में जोड़ दिया गया है। इससे यह पंचायत एसटी विहीन हो गई है।
पंच पद के लिए तीन लाख 73 हजार नामांकन पत्र हुए जमा
पंचायत चुनाव को लेकर प्रदेश में जबरदस्त उत्साह देखने को मिल रहा है। तीन लाख 63 हजार 726 पंच के लिए तीन लाख 73 हजार 268 नामांकन पत्र जमा हुए हैं। वहीं, सरपंच के 22 हजार 921 पद के लिए एक लाख 40 हजार 109 ने दावेदारी की है। यही स्थिति जिला और जनपद पंचायत के सदस्य पद के लिए भी है। पहले चरण का चुनाव 25 जून, दूसरे चरण का एक जुलाई और तीसरे चरण का आठ जुलाई को होगा। राज्य निर्वाचन आयोग के सचिव राकेश सिंह ने बताया कि त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के लिए कुल पांच लाख 57 हजार 191 नामांकन पत्र प्राप्त हुए हैं। जिला पंचायत सदस्य के 875 पदों के लिए सात हजार 794, जनपद सदस्य के 6 हजार 771 पद के लिए 36 हजार 20 नामांकन पत्र जमा हुए हैं। इसी तरह 22 हजार 921 सरपंच पद के लिए कुल एक लाख 40 हजार 109 नामांकन पत्र मिले हैं। इसमें महिलाएं 74 हजार 476 और नौ अन्य हैं। इसी तरह पंच पद के लिए जो नामांकन पत्र प्राप्त हुए हैं, उनमें महिलाएं एक लाख 97 हजार 711 और एक अन्य है। एक लाख 75 हजार 556 पुरुषों ने नामांकन पत्र जमा किए हैं। कई पंचायतों में एक-एक नामांकन पत्र होने की वजह से निर्विरोध निर्वाचन की संभावना है।
रोटेशन प्रक्रिया में बने ऐसे हालात
चुनाव प्रक्रिया के जानकारों का कहना है कि पंचायत चुनावों में सरपंच और पंच के पदों के लिए जनसंख्या के मान से नहीं रोटेशन प्रक्रिया से आरक्षण होता है। पहले विकासखंड की आबादी के आधार पर अजा, अजजा और ओबीसी के लिए आरक्षित सीटें निर्धारित की जाती हैं, फिर लाटरी पद्धति से पदों का आरक्षण किया जाता है। इस प्रक्रिया में यह देखने की व्यवस्था ही नहीं है कि किस ग्राम पंचायत में किस वर्ग के कितनी आबादी है। कुछ मामलों में ऐसी स्थिति भी बन जाती है। बाद में पुन: निरीक्षण की प्रक्रिया की जाती है, जिसमें एक अधिकारी को नियुक्त कर पंचायतों की जांच कराई जाती है। यदि पंचायत में आरक्षित वर्ग का मतदाता नहीं पाया जाता है तो छह माह के भीतर दोबारा आरक्षण कर चुनाव कराए जाएंगे।