पीएम गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत 4 किलो गेहूं की जगह मिल रहा 5 किलो चावल …
भोपाल/मंगल भारत। प्रदेश के कई जिले ऐसे हैं, जिनमें अब गेंहू की जगह गरीबों को सिर्फ चावल ही प्रदाय किया जा रहा है जिसकी वजह से अब गरीबों को चावल से पेट भरना पड़ रहा है। इसकी वजह से अब गरीबों को रोटी के लिए भी तरसना पड़ रहा है। दरअसल उन्हें अब हर माह राशन में 30 किलो के बजाय 5 किलो गेहूं और पीएम गरीब कल्याण अन्न योजना में 4 किलो गेहूं की जगह 5 किलो चावल ही दिया जा रहा है।
यानी की 40 किलो अनाज में 35 किलो चावल मिलेगा। उधर, लोगों को कहना है की जब तक गेहूं की रोटी नहीं मिलती तब तक पेट ही नहीं भरता है। रोज-रोज चावल नहीं खा सकते। अब हालात यह बन चुके हैं की लोगों को भोजन की आदत बदलने में बहुत कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है। इस तरह के हालातों का सामना सूबे के एक करोड़ से अधिक लोगों को करना पड़ रहा है। महाकोशल- विंध्य के अनूपपुर, बालाघाट, डिंडौरी, मंडला, शहडोल और उमरिया के गरीबों को गेहूं के स्थान पर अब पूरा 40 किलो चावल मिलेगा।
ग्वालियर चंबल इलाके में भी लगभग यही स्थिति बन रही है। मंडला जिले में पीएमजीकेएवाई के तहत पांच माह तक अब प्रति यूनिट केवल पांच किलो चावल मिलेगा। योजना के तहत गरीब व जरूरतमंदों को एक रुपए किलो और फ्री में राशन उपलब्ध कराया जा रहा है। इस राशन में पिछले इस माह से गेहूं के स्थान में भी चावल दिया जा रहा है, ऐसे में उपभोक्ताओं को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। जिले में चावल गेहूं की मांग लगभग बराबर है। ऐसे में उन्हें राशन में गेहूं नहीं मिलने के कारण बाजार से महंगे दाम पर गेहूं खरीदना पड़ेगा। जिसके चलते मंडी में भी गेहूं के दाम बढ़ने लगे हैं। जहां पिछले माह गेहूं के दाम 2000 हजार रुपए क्विंटल से 2800 रुपए क्विंटल तक थे, वहीं अब 22 सौ से तीन हजार हो गए हैं। गरीब तबके के लोग सस्ते अनाज के लिए राशन दुकानों पर निर्भर हैं। इसमें प्रति माह एक रुपए किलो मिलने वाले राशन के साथ प्रधानमंत्री खाद्यान्न योजना का निशुल्क राशन भी शामिल है।
चावल के साथ जितना गेहूं दिया जाता था अब उस गेहूं के वजन का चावल ही दिया जा रहा है। दूसरी ओर राशन दुकानों से जो गरीब सस्ता अनाज लेकर अपने परिवार का भरण-पोषण करते आ रहे हैं, उन्हें अभी से यह चिंता सताने लगी है कि यदि राशन दुकान से अत्यधिक मात्रा में सिर्फ चावल मिलेगा तो अपनी जरूरत का गेहूं बाजार से कैसे खरीदेंगे। क्योंकि बाजार में गेहूं काफी महंगा बिक रहा है। जिले में जुलाई माह से गेहूं वितरण ही बंद कर दिया गया। बताया गया कि यदि किसी को कुल 5 किलो चावल और गेहूं मिलता था तो उसमें 3 चावल व 2 किलो गेहूं रहता था। लेकिन इस बार 5 किलो चावल ही मिलेगा।
गरीबों को भोजन की आदत इसलिए बदलना पड़ेगी
आंकड़ों के अनुसार 1 जुलाई 2022 को केंद्रीय पूल में करीब 285.1 लाख टन गेहूं था । इस तारीख को बफर और आवश्यक भंडार के रूप में कम से कम 275.8 लाख टन गेहूं होना चाहिए। लेकिन, कुल मात्रा इससे केवल 10 लाख टन ही अधिक है। इसके उलट जुलाई में केंद्रीय पूल में करीब 315 लाख टन चावल होने का अनुमान है, जो 135 लाख टन के जरूरी भंडार से बहुत अधिक है। यही कारण है कि केंद्र सरकार ने इस साल मप्र को 12 लाख मीट्रिक टन गेंहू कम दिया है। इसके स्थान पर चावल की मात्रा दो गुना कर दी गई है।
यह बताई जा रही है वजह
दरअसल कोरोना महामारी के समय केन्द्र की मोदी सरकार ने गरीबों को प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्य योजना के तहत तीन किलो गेहूं और दो किलो चावल मुफ्त में देने का फैसला किया था। देशभर में इस योजना का लाभ 80 करोड़ गरीबों को मिल रहा है। केंद्र ने अब इस योजना की अवधि में वृद्वि कर दी है, जिसकी वजह से गेहूं की मांग में वृृद्वि हो गई है। यही वजह है कि पहले से रखे चावल के स्टॉक को खपाने के लिए गरीबों गेंहू की जगह अब चावल दिया जा रहा है। बताया जा रहा है की देश में गेहूं का उपार्जन कम होने की वजह से केंद्र ने चावल की मात्रा बढ़ा दी है।