संविदाकर्मियों को नियमित करने वाले जिम्मेदारों से की जाएगी करोड़ों की रिकवरी

भोज विश्वविद्यालय में फर्जीवाड़ा करने वालों पर कसी नकेल

भोपाल/मंगल भारत।मनीष द्विवेदी। भोज मुक्त विश्वविद्यालय में संविदाकर्मियों कर्मचारियों को नियमों से हटकर नियमित करने के मामले में जिम्मेदारों की मुसीबत बढ़ती जा रही है। आपत्तियों का निराकरण नहीं होने से कर्मचारियों को दिया जा रहा वेतन अनियमितता की श्रेणी में दर्ज किया गया है। यही नहीं संविदाकर्मियों को नियमित करने वाले जिम्मेदारों से करोड़ों की रिकवरी करने की तैयारी की जा रही है। गौरतलब है कि भोज विश्वविद्यालय द्वारा 2013-14 में 67 कर्मचारियों को नियमित किया गया है। जिसे शासन ने निरस्त कर दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई करने को कहा था। खास बात यह है कि जिस गड़बड़ी के कारण तत्कालीन कुलपति डॉ. तारिक जफर को हटाया गया, लेकिन वर्तमान अधिकारी भी इस मामले में हाईकोर्ट के स्टे होने का कारण बताकर कार्रवाई नहीं करने का तर्क दे रहा है, जबकि हकीकत यह है विवि ऐसे कर्मचारियों को भी बचाने में लगा है जो हाईकोर्ट गए ही नहीं है।
निकाली 20 करोड़ की रिकवरी
मप्र भोज मुक्त विश्वविद्यालय में कर्मचारियों के नियमितिकरण, नियुक्तियों का मामला फिर गरमाया हुआ है। इसे नियमविरुद्ध बताते हुए फंड आॅडिट ने जिम्मेदार कर्मचारी और अधिकारियों पर लगभग 20 करोड़ रुपए की वसूली निकाली है। वहीं ईओडब्ल्यू ने इस मामले में रजिस्ट्रार को इसी महीने में दस्तावेजों के साथ तलब किया है। 30 जून को हुई प्रबंध बोर्ड की बैठक वर्ष 2014 में हुई थी। इसमें 27 कर्मचारियों को अवैधानिक रूप से नियमित करने का मामला कुलपति ने रखा। अभी तक कार्रवाई नहीं होने पर उच्च शिक्षा विभाग के एसीएस शैलेंद्र सिंह ने नाराजगी जाहिर की और रजिस्ट्रार को तत्काल कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं। लेकिन अब विवि प्रशासन ने इस मामले में एक बार फिर जांच बैठा दी है। जबकि इस मामले में पहले भी जांच हो चुकी है।
अवैधानिक तरीके से वेतन का भुगतान
विवि में संविदा कर्मचारियों को नियम विरुद्ध नियमितीकरण और नियुक्ति करने का विवाद लंबे समय से चल रहा है, लेकिन अलग-अलग कारणों से कार्रवाई नहीं हो सकी। वहीं अवैधानिक तरीके से वेतन का भुगतान किया जाता रहा। 2013 में 39 लोगों का नियमितकरण/ नियुक्तियां की थी। इनको निरस्त करने की कार्रवाई हुई तो 27 कर्मचारी कोर्ट पहुंच गए। स्थगन आदेश पर यह अभी कार्यरत है। 10 साल बाद भी विवि कोर्ट से स्थगन का आदेश समाप्त नहीं करा पाया। इसके बाद एक बार फिर 2014 में पूर्व की तरह बिना नियमों के 27 लोगों को दोबारा नियमितिकरण और नियुक्ति कर दिया गया। 25 के आदेश जारी किए गए। बाद में पता चला कि इन सभी को श्रेणी बदल कर नियमित किया गया था।
आरक्षण नीति का पालन नहीं
गौरतलब है कि सलाहकार से प्रोग्राम एवं कंप्यूटर आपरेटर पदों पर भी नियमितिकरण कर दिया गया। एक जांच में यह पाया कि आरक्षण नीति का पालन नहीं किया। इसकी जानकारी 2018 में तत्कालीन रजिस्ट्रार ने राज्य शासन को भेजी। प्रतिनियुक्ति के स्वीकृत पदों पर भी नियमितिकरण कर दिया। रोस्टर भी निरस्त कर दिया। लेकिन कार्रवाई नहीं हो सकी। इसी बीच दो कुलपति बदले जा चुके हैं। तीसरे कुलपति कार्यकाल समाप्त होने वाला है।
पूर्व डायरेक्टर हो चुके हैं बर्खास्त
उल्लेखनीय है कि भोज मुक्त विश्वविद्यालय में 20 साल से पदस्थ और 2017 से निलंबित चल रहे पूर्व डायरेक्टर डॉ. प्रवीण जैन को जुलाई में नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया। उन पर लगे आरोप सिद्ध होने के बाद विश्वविद्यालय की प्रबंध बोर्ड की बैठक में यह निर्णय लिया गया। सेवानिवृत्त जिला न्यायाधीश अनिल पारे, सेवानिवृत्त एडीसी आरके गुप्ता की अध्यक्षता में चार साल तक जांच चलने के बाद रिपोर्ट तैयार कर सौंपी गई थी। डॉ. जैन पर गलत ढंग से नियुक्तियां करने समेत वित्तीय अनमितताओं के आरोप लगे थे। 28 बिंदुओं पर शिकायत के बाद अगस्त 2017 में उन्हें निलंबित कर दिया गया था। उन्हें रीवा स्थित विश्वविद्यालय के क्षेत्रीय अध्ययन केंद्र में अटैच किया गया था। उन पर आर्थिक अनियमितता कर बाउंड्रीवाल के लिए निर्धारित 38 लाख रुपये का उपयोग कैंपस में सड़क बनवाने में खर्च करने, 80 संविदा कर्मियों को गलत तरीके से नियमित करने के आरोप लगे। बाद में शासन ने नियमितीकरण के आदेश को खारिज कर दिया। चपरासियों की पदस्थापना तृतीय श्रेणी में करने, सुरक्षा एजेंसी के तहत कार्यरत स्टाफ को असिस्टेंट प्रोफेसर बनाने का आरोप सिद्ध हुआ है। इसके अलावा जैन की नियुक्ति से जुड़े दस्तावेज विश्वविद्यालय से गायब होने के मामले में विश्वविद्यालय ने उन पर एफआइआर भी दर्ज कराई थी। निलंबन के साथ विश्वविद्यालय ने डॉ. जैन को आरोप पत्र जारी किया था। जवाब से संतुष्ट नहीं होने पर विश्वविद्यालय ने जांच कमेटी बनाई थी। कमेटी की रिपोर्ट में आरोप सिद्ध पाए गए। प्रबंध बोर्ड की बैठक में इस रिपोर्ट को प्रस्तुत किया गया। भोज विवि के रजिस्ट्रार एलएस सोलंकी का कहना है कि प्रवीण जैन को बर्खास्त किया जा चुका है। अन्य कर्मचारियों पर कार्रवाई करने के लिए जांच की जा रही है। जांच कार्रवाई का हिस्सा है।