2023 के लिए संगठन मजबूत करके भाजपा उतरेगी मैदान में
भोपाल/मंगल भारत।मनीष द्विवेदी। विधानसभा चुनाव 2023 के लिए प्रदेश भाजपा ने अब संगठन को और मजबूत व रिफार्म करके आगे कदम बढ़ाना तय किया है। इस कारण अब निकाय व पंचायत चुनाव के नतीजों, फीडबैक और जिलों से बुलाई रिपोर्ट के आधार पर संगठन में मुख्यालय से निचले स्तर तक सर्जरी के कदम उठेंगे। इसमें जिलाध्यक्षोंं से लेकर चुनाव प्रभारी और बूथ प्रभारी तक के स्तर पर कसावट लाई जाएगी। संगठन में और कसावट लाने के लिए भाजपा कई अहम निर्णय ले सकती है। इसमें कई निष्क्रिय पदाधिकारियों और जिलाध्यक्षों को बाहर का रास्ता दिखाया जाएगा, तो निकाय चुनावों में जो दगाबाज रहे हैं, उन पर भी कार्रवाई की जाएगी। प्रदेश नेतृत्व जल्द ही प्रदेश कार्यसमिति की बैठक की तारीख भी तय कर सकता है। गौरतलब है कि बीती 26 अगस्त को प्रदेश भाजपा पचमढ़ी में कार्यसमिति की बैठक करने वाली थी, लेकिन लगातार बारिश, बाढ़ की वजह से प्रदेश नेतृत्व ने बैठक को स्थगित कर दिया था, अब नई बैठक कब होगी, यह पार्टी नेतृत्व 30 अगस्त के बाद तय कर सकता है।
भाजपा की मंशा साफ है कि अब विधानसभा चुनाव के लिए पहले संगठन को मजबूती दी जाए, उसके बाद मैदान में उतरा जाए। इसके चलते जिन-जिन के खिलाफ भितरघात, बगावत या अन्य किसी प्रकार से पार्टी के खिलाफ काम करने की शिकायतें आई हैं, उन सबको जांच-परख कर एक्शन की ओर कदम उठाए जा सकते हैं। सूत्र बताते हैं, पार्टी के पास ऐसे जिलाध्यक्षों की जानकारी है, जिनके द्वारा अपने विधायक और प्रभारी मंत्रियों से तालमेल का अभाव है, उनके द्वारा इस बेहतर बनाने के लिए किसी भी तरह के प्रयास नहीं हुए। कई बार इन जिलाध्यक्षों ने संगठनात्मक निर्णय लेते वक्त दूसरों से राय नहीं ली और अपनी मनमर्जी चलाई, जिसका पार्टी को नुकसान हुआ है।
मिशन 2023 के हिसाब से ही सारे कदम
पार्टी की लाइन अब सीधे तौर पर विधानसभा चुनाव 2023 का मिशन है। इसके लिए पार्टी ने दलित, आदिवासी और ओबीसी वोटबैंक को प्राथमिकता पर रखना तय किया है। इसके तहत इनके प्रभाव वाले इलाकों को लेकर अलग से पूरी स्क्रूटनी होगी। वोट बैंक के हिसाब से भी इन टीमों को तैयार किया जाएगा। इनके मुद्दों को लेकर काम होगा। भाजपा के बूथ विस्तारीकरण में भी इस पर फोकस किया गया है। वहीं पार्टी अपने सांसद से जल्द ही इस बात की जानकारी लेगी कि उनके संसदीय क्षेत्र में केन्द्र सरकार और प्रदेश सरकार की योजनाओं का कितने प्रतिशत क्रियान्वय हो रहा है। अगर कहीं कमी है तो उसे दूर करने के लिए सांसद द्वारा क्या किया गया है। जानकार बताते हैं कि सांसदों की रिपोर्ट आने के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान इस संबंध में प्रशासनिक कसावट लाएंगे।
कमजोर कडिय़ों को किया जाएगा दुरूस्त
मप्र भाजपा ने निकाय चुनाव के कुछ अर्से पहले ही संभाग, जिला और बूथ स्तर पर नेटवर्क को बढ़ाया था। पार्टी की जिला समितियां, मोर्चे-विभाग और अन्य विंगों की राज्य, संभाग व जिलों की समितियां भी निकाय चुनाव के कुछ अर्से पूर्व ही घोषित की गई थी। इसके अलावा बूथ विस्तार अभियान के तहत चुनाव के कुछ समय पूर्व ही नई टीम गठित की गई थी। लेकिन, इस चुनाव में जिलों से लेकर बूथ तक अनेक नेताओं के खिलाफ शिकायतें मिली हैं। बूथ स्तर पर भी टीमों को लेकर संगठन संतुष्ट नहीं है। इस कारण पूरे प्रदेश की पूरी स्थिति को जांचकर ही अब आगे कदम उठेंगे। भाजपा का बूथ नेटवर्क काफी मजबूत हो चुका है, लेकिन इसमें जिन नेताओं के खिलाफ शिकायतें हैं ,उनको बदला जा सकता है। भाजपा ने भोपाल से भी जिलों में नेताओं को फीडबैक लेने भेजा था। इसके चलते भी जिलों से आई रिपोर्ट के आधार पर अब आगे एक्शन तय होगा। अनेक जगह पर प्रत्याशियों ने स्थानीय बड़े नेताओं के खिलाफ शिकायतें की हंै। इन शिकायतें की सत्यता को भी देखा जा रहा है।
दगाबाजों पर होगी कार्रवाई
इसी तरह पदाधिकारियों और दूसरे दल से आएं भाजपाइयों के लिए प्रशिक्षण वर्ग के लिए भी तारीख तय होनी है। बीजेपी नेतृत्व संगठन में और कसावट लाएगी, इसके लिए ऐसे निष्क्रिय पदाधिकारियों और जिलाध्यक्षों को बाहर का रास्ता दिखाया जा सकता है, जिन्हें पार्टी द्वारा कई बार चेतावनी मिली है और उनके क्षेत्रों में निकाय और पंचायत चुनावों में अपेक्षित परिणाम नहीं आए हैं। पार्टी ने जिन नगर निगमों में मेयर पद गंवाया है, वहां वरिष्ठ नेताओं को भेजकर पार्टी ने हार के कारण जुटाए हैं। कई निकायों में सांसद की वजह पार्टी पदाधिकारियों और वरिष्ठ नेताओं का असहयोग, पार्टी प्रत्याशी के चयन में लापरवाही जैसी बातें सामने आई हैं। इसके अलावा कई जीतने वाले नेताओं को पार्षद पद की टिकट से वंचित कराने के लिए जिला संगठन पर उंगली उठाई गई है। बताया गया है कि प्रदेश नेतृत्व इन सभी मामलों में जल्द ही बैठक बुलाकर इसलिए जिम्मेदारी तय करेगा और इसके बाद संबंधितों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।