कांग्रेस के बागी विधायक कमलनाथ के टारगेट पर

भोपाल/मंगल भारत।मनीष द्विवेदी। प्रदेश में कांग्रेस की सरकार

The Union Minister for Urban Development & Parliamentary Affairs, Shri Kamal Nath addressing a Press Conference on the Winter Session, 2012 of Parliament (12th Session of Fifteenth Lok Sabha and the 227thSession of the Rajya Sabha), in New Delhi on November 20, 2012…The Minister of State for Parliamentary Affairs & Planning, Shri Rajiv Shukla and the Minister of State (Independent Charge) for Development of North Eastern Region and Minister of State for Parliamentary Affairs, Shri Paban Singh Ghatowar are also seen..

गिराने वाले पार्टी के बागी 29 विधायकों के लिए अगला विधानसभा चुनाव मुश्किल वाला रहने वाला है। इसकी वजह है इन विधायकों का कमलनाथ के निशाने पर रहना। इन विधायकों के लिए कमलनाथ और प्रदेश कांग्रेस के रणनीतिकारों द्वारा अलग से रणनीति तैयार की गई है। यही नहीं कुछ माह के बाद नाथ खुद हर विधानसभा क्षेत्र का दौरा करने की तैयारी कर रहे हैं। इस रणनीति पर अब कमलनाथ द्वारा अमल करना शुरू कर दिया गया है।
यही वजह है कि अभी इसे इन विधायकों के इलाकों पर पूरी तरह से फोकस करना शुरू कर दिया गया है। इसकी शुरूआत उनके द्वारा बुंदेलखंड अंचल के तहत आने वाले बड़ामलहरा से कर दी गई है। यह वो इलाका है जिसे पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती के गढ़ के रुप में माना जाता है। इसकी वजह है इस इलाके का लोधी बाहुल होना।
अपने दौरे पर पहुंचे कमलनाथ ने न केवल यहां पर मंडलम, सेक्टर और बूथ कमेटियों की बैठक ली बल्कि, एक सभा को भी संबोधित किया। दरअसल इस क्षेत्र से बीते आम चुनाव में कांग्रेस के प्रधुम्र लोधी ने चुनाव जीता था, लेकिन बाद में वे भाजपा में शामिल हो गए थे। यह बात अलग है कि उपचुनाव में यहां पर भी भाजपा प्रत्याशी को जीत मिली थी। यह वो विधानसभा क्षेत्र है, जहां पर 2003 में भाजपा की सरकार बनने पर इसी सीट से ही उमा भारती विधायक बनी थीं। इसी सीट से उनके बड़े भाई स्वामी लोधी भी विधायक रह चुके हैं। उमा की कट्टर समर्थक रेखा यादव भी 2008 में उमा की पार्टी भारतीय जनशक्ति पार्टी से इसी सीट से विधायक निर्वाचति हुई थीं। लोधी समाज बहुल बड़ामलहरा विधानसभा से साल 2018 में कांग्रेस के टिकट पर प्रद्युम्न सिंह लोधी चुनाव जीते , लेकिन वे प्रदेश में सरकार बदलने के बाद भाजपाई बन गए थे। बीते रोज कमलनाथ ने यहीं से पार्टी के बागियों के खिलाफ मोर्चाबंदी शुरू कर दी है। दरअसल जिन विधायकों ने कांग्रेस से बागी होकर भाजपा का कमल थामा, उनमें से अधिकांश विधानसभाएं ऐसी हैं, जहां लंबे समय बाद कांग्रेस ने जीत हासिल की थी। कांग्रेसियों का दावा है कि इन क्षेत्रों में मतदाता अभी भी कांग्रेस के पक्ष में है। लिहाजा इन सीटों को लेकर अलग से रणनीति तैयार की गई है। योजना के तहत इन क्षेत्रों में कांग्रेस के बूथ लेवल वर्कर्स से लेकर मंडलम, सेक्टर के पदाधिकारियों से कमलनाथ सीधे चर्चा तो करेंगे ही साथ ही पार्टी के पक्ष में माहौल बनाने का भी काम करेंगे। यही नहीं इन इलाकों में उनका फोकस संगठन को मजबूत करने पर भी बना हुआ है। गौरतलब है कि प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के पहले 22 विधायकों द्वारा पार्टी छोड़ने के बाद नेपानगर विधायक सुमित्रा देवी कास्डेकर, बड़वाह विधायक सचिन बिरला, बड़ामलहरा विधायक, प्रद्युम्न लोधी, दमोह विधायक राहुल लोधी ने भी अलग-अलग समय पर कांग्रेस छोड़ दी थी। यह बात अलग है कि इनमें से दमोह विधायक राहुल लोधी को उपचुनाव में हार का सामना करना पड़ गया।
कई नए प्रकोष्ठों का भी किया गठन
पीसीसी चीफ कमलनाथ ने कांग्रेस कार्यकर्ताओं को जोड़ने और संगठन का विस्तार करने के लिए 34 प्रकोष्ठ और विभाग बनाए हैं। इनमें कांग्रेस के कर्मठ कार्यकर्ताओं और सीनियर लीडर्स को जिम्मेदारी दी गई है। कांग्रेस खादी एवं ग्रामोद्योग प्रकोष्ठ, झुग्गी-झोपडी प्रकोष्ठ, सद्भावना एवं कौमी एकता प्रकोष्ठ, सूचना का अधिकार प्रकोष्ठ, पंचायती राज संस्था प्रकोष्ठ, केश शिल्पी प्रकोष्ठ, महिला उत्पीड़न निवारण प्रकोष्ठ, विमुक्त घुमक्कड़ जनजाति प्रकोष्ठ, परिवहन प्रकोष्ठ, डॉक्टर एवं चिकित्सा प्रकोष्ठ, शिक्षक प्रकोष्ठ, उपभोक्ता संरक्षण प्रकोष्ठ, पूर्व अधिकारी-कर्मचारी प्रकोष्ठ, उद्योग एवं व्यापार प्रकोष्ठ, बूथ प्रबंधन प्रकोष्ठ, दिव्यांग प्रकोष्ठ, कर्मचारी प्रकोष्ठ, बुनकर प्रकोष्ठ, इंटक प्रकोष्ठ, कृषि-कृषक प्रकोष्ठ, सफाई मजदूर कामगार प्रकोष्ठ, सांस्कृतिक प्रकोष्ठ, धर्म एवं उत्सव प्रकोष्ठ, वरिष्ठ नागरिक प्रकोष्ठ, नगरीय निकाय प्रकोष्ठ, तकनीकी प्रकोष्ठ, समाज कल्याण प्रकोष्ठ, वन एवं पर्यावरण प्रकोष्ठ, खेल एवं खिलाडी प्रकोष्ठ, फुटकर एवं लघु व्यावसायिक प्रकोष्ठ, समाज समन्वय प्रकोष्ठ, आजीविका प्रकोष्ठ, राज्य स्तरीय सिंधी कल्याण समिति ऐसे 34 प्रकोष्ठ बनाए।
किसान व कर्मचारियों को साधने की कवायद
पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा कि प्रदेश में 11 महीने बाद कांग्रेस पार्टी की सरकार बन रही है और सरकार बनते ही प्रदेश के किसानों का कर्ज माफ किया जाएगा। हम सरकारी कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना बहाल करेंगे। यह वादे उनके द्वारा बड़ा मलहरा में जनसभा को संबोधित करने के दौरान किए गए हैं। उन्होंने कहा कि हम किसानों के हित में काम करते हैं। कांग्रेस में किसानों की कर्ज माफी शुरू की थी, उसे शिवराज सिंह चौहान सरकार ने बंद कर दिया। उन्होंने कहा कि शिवराज सिंह चौहान ने 18 साल के कार्यकाल में प्रदेश को किसान आत्महत्या में नंबर वन बना दिया है, महिलाओं पर अत्याचार में नंबर वन बना दिया है और बेरोजगारी में नंबर वन बना दिया है। उनके द्वारा इस दौरान मुख्यमंत्री से उनके कार्यकाल के 18 साल के कामकाज का हिसाब भी मांगा गया। नाथ ने कहा कि शिवराज सिंह बताएं कि प्रदेश के लाखों बेरोजगारों को रोजगार कैसे मिलेगा?
छह माह में करेंगे नाथ प्रदेश का पूरा दौरा
प्रदेश में कांग्रेस के मुखिया कमलनाथ मिशन 2023 की तैयारी के लिए खुद मैदान में उतर रहे हैं। बताया जा रहा है कि कमलनाथ दीपावली के बाद पूरे प्रदेश का सघन दौरा करेंगे। उनकी लगभग सभी विधानसभा क्षेत्रों में सभाएं होगी। इसके बाद उनके द्वारा संभावित प्रत्याशियों के बारे में निर्णय लिया जाएगा। गौरतलब है कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ पिछले कुछ महीनों से मध्यप्रदेश की सत्ता पर वापसी करने मेहनत कर रहे हैं, उनके द्वारा जहां रणनीति बनाई जा रही है, वहीं वे मैदानी स्तर पर सक्रिय दिखाई देने लगे हैं। प्रदेश प्रभारी जयप्रकाश अग्रवाल ने भी मोर्चा संभाल लिया है। उनका फोकस नगरों पर है, जहां उनके प्रवास हो रहे हैं। वहां वे वरिष्ठ कांग्रेसियों के घर पहुंचकर उनसे भी मुलाकात की योजना है। उनके दौरे के समय लगभग सभी विधानसभा क्षेत्रों में सभाएं या रोड शो जैसे कार्यक्रम कराएं जाएंगे। उनका छह माह में सभी विस क्षेत्रों तक पहुंचने का लक्ष्य है। उनकी एक दिन में दो या उससे ज्यादा कार्यक्रम होगे।

इन विधायकों ने की थी बगाबत

प्रद्युम्न सिंह तोमर ग्वालियर, 2. रघुराज कंसाना मुरैना, 3. कमलेश जाटव अम्बाह, 4. रक्षा सरोनिया भाण्डेर, 5. जजपाल सिंह जज्जी अशोकनगर, 6. इमरती देवी डबरा, 7. डॉ. प्रभुराम चौधरी सांची, 8. तुलसी सिलावट सांवेर, 9. सुरेश धाकड़ पोहरी, 10. महेंद्र सिंह सिसोदिया बमोरी, 11. ओपीएस भदौरिया मेहगांव, 12. रणवीर जाटव गोहद, 13. गिर्राज दंडोतिया दिमनी, 14. जसवंत जाटव करैरा, 15. गोविंद सिंह राजपूत सुरखी, 16. हरदीप सिंह डंग सुवासरा, 17. मुन्ना लाल गोयल ग्वालियर पूर्व , 18. बृजेन्द्र सिंह यादव मुंगावली, 19. राजवर्धन सिंह दत्तीगांव बदनावर, 20. बिसाहूलाल सिंह अनूपपुर, 21. ऐदल सिंह कंसाना सुमावली, 22. मनोज चौधरी हाटपिपल्या।
यह भी बन चुके भाजपाई
विधानसभा चुनाव परिणामों के बाद कांग्रेस को बहुमत दिलाने के लिए कमलनाथ सरकार का समर्थन देने वाले सपा और बसपा के विधायकों द्वारा भी भाजपा का अब दामन थामा जा चुका है। इनमें भिंड से बसपा विधायक संजीव सिंह कुशवाह संजू और छतरपुर जिले की बिजावर से सपा विधायक राजेश शुक्ला बबलू और सुसनेर के निर्दलीय विधायक राणा विक्रम सिंह का नाम शामिल है। इन तीनों विधायकों की पूर्व में पारिवारिक और राजनैतिक पृष्ठभूमि कांग्रेस की ही रही है। राजेश शुक्ला के बड़े भाई जगदीश शुक्ला छतरपुर जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रहे हैं। राणा विक्रम सिंह भी पुराने कांग्रेसी हैं।