जिलाध्यक्षों ने पार्टी को नहीं दिया चंदे का हिसाब

पार्टी को मिलने वाले डोनेशन की जानकारी अब विशेष पोर्टल करनी होगी अपलोड

भोपाल/मनीष द्विवेदी।मंगल भारत।
संगठन को आत्मनिर्भर बनाने के लिए भाजपा हर वर्ष समर्पण निधि जुटाती है। इस साल भी यह अभियान चलाया गया। लेकिन अभी तक अधिकांश जिलाध्यक्षों ने पाई-पाई का हिसाब नहीं दिया है। इस कारण पार्टी का आॅडिट अटका हुआ है। जिलाध्यक्षों की सुस्ती को देखते हुए पार्टी ने कई बार निर्देश जारी कर जिलाध्यक्षों को चंदे का हिसाब देने को कहा, लेकिन अभी तक चंदे का हिसाब पार्टी को नहीं दिया गया है। इसको देखते हुए अब निर्णय लिया गया है कि पार्टी को मिलने वाले डोनेशन की जानकारी अब विशेष पोर्टल पर अपलोड करनी होगी। गतदिनों भाजपा संगठन की चार्टर्ड एकाउंटेंट वेणी थापर ने मध्यप्रदेश भाजपा सहित सभी जिलाध्यक्ष व कोषाध्यक्षों को पाई-पाई का हिसाब रखने के साथ फंड मैनेजमेंट में पारदर्शिता की समझाइश दी है। वह बोलीं कि मध्यप्रदेश का हिसाब नहीं मिलने से पार्टी का आॅडिट अटका है। पार्टी को मिलने वाले डोनेशन की जानकारी विशेष पोर्टल अपलोड करें। बैठक को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा ने भी संबोधित किया। शर्मा ने कहा कि अब कार्यालय भवन का कमर्शियल उपयोग नहीं होगा। उन्होंने सिस्टम को पारदर्शी बनाने पर जोर दिया। प्रदेश के जिन जिलों में पार्टी का कार्यालय भवन नहीं है वहां भवन बनाने को कहा गया। जिलों को कार्यक्रमों का खर्च स्वयं ही उठाने को कहा गया है। भाजपा संगठन के सभी 57 जिलाध्यक्ष, कोषाध्यक्ष और सह कोषाध्यक्षों की बैठक में कहा गया कि समय पर बैलेंसशीट भेजें ताकि काम-काज सरल हो सके। बैठक में फंड मैनेजमेंट की जानकारी दी गई।
एक ही बैलेंसशीट में सारा हिसाब-किताब
दिल्ली से आई पार्टी की सीए वेणी थापर ने कहा कि पार्टी ने डोनेशन के लिए एक पोर्टल तैयार किया है, जिसे हमें जिलास्तर तक पहुंचाना है। सभी कोषाध्यक्ष पार्टी को मिलने पर डोनेशन की जानकारी इस पोर्टल पर ही दर्ज करें। पार्टी की एक ही बैलेंसशीट तैयार होती है, जिसमें हर जिले का हिसाब- किताब शामिल होता है। जिले की जानकारी इसमें शामिल न हो जाए, तब तक पूरी बैलेंस शीट रुकी रहती है। इसलिए सभी कोषाध्यक्ष पाई-पाई का हिसाब, अपनी जानकारी और बैलेंस शीट समय पर भेजें।
दिया जा रहा है प्रशिक्षण
वीडी शर्मा ने कहा कि भाजपा आज दुनिया का सबसे बड़ा राजनीतिक दल है। हम सभी इस सिस्टम के अंग हैं और इसे पारदर्शी बनाना हम सबकी जिम्मेदारी है। यही हमारा केंद्रीय नेतृत्व चाहता है। वित्तीय पारदर्शिता के लिए ही प्रधानमंत्री ने शपथ लेने के बाद सबसे पहले जनधन खाते खुलवाए, ताकि डीबीटी के माध्यम से पूरी पारदर्शिता के साथ राशि संबंधित व्यक्ति के खाते में पहुंच सके। वहीं कोषाध्यक्ष अखिलेश जैन ने बताया कि कोषाध्यक्षों के प्रशिक्षण के लिए हर दो माह में कार्यशालाओं का आयोजन किया जाएगा। पार्टी ने भी अपने वित्तीय कामकाज के लिए एक डिजिटल सॉफ्टवेयर तैयार किया है। आने वाले तीन महीनों में इस पर काम शुरू हो जाएगा। इसके बाद किसी भी जिले के एकाउंट्स प्रदेश कार्यालय में बैठकर देखे जा सकेंगे। इससे पारदर्शिता भी बढ़ेगी।
बडे स्तर पर चलता है अभियान
गौरतलब है की भाजपा में समर्पण निधि संग्रहण का अभियान बड़ स्तर पर चलता है। संगठन द्वारा तय की गई जिम्मेदारी के तहत मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा सहित पार्टी सांसद, प्रदेश कैबिनेट के मंत्री और विधायक अपने क्षेत्र में अभियान में हिस्सा लेते हैं। जिलों की क्षमता के अनुसार लक्ष्य तय किया जाता है। हालांकि 2018 के बाद से समर्पण निधि एकत्र करने में लगातार गिरावट देखी जा रही है। विधानसभा चुनाव में पराजय के बाद सत्ता हाथ से निकल जाने की स्थिति में पदाधिकारियों और कार्यकतार्ओं का रुझान समर्पण निधि की ओर घट गया था। 2022 में कार्यकर्ताओं में नया जोश भरने के उद्देश्य से अब तक की सबसे बड़ी राशि 150 करोड़ तय की गई, तब भी कार्यकतार्ओं ने इसमें विशेष रुचि नहीं दिखाई।