मंगल भारत।मनीष द्विवेदी। मप्र में भाजपा ने आगामी
विधानसभा चुनाव में 51 फीसदी वोट का जो लक्ष्य रखा है, उसे पाने के लिए पार्टी सरकार के नवाचारों का सहारा लेगी। भाजपा के रणनीतिकारों का मानना है की मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के अब तक के कार्यकाल में सरकार ने ऐसे कई नवाचार किए हैं जिसके सहारे इस बार 200 सीटों का आंकड़ा पार किया जा सकता है। खासकर चौथी पारी में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सरकार ने जितने नवाचार किए हैं ,उन्हें चुनाव के दौरान भुनाने की तैयारी की जा रही है।
गौरतलब है कि मप्र में नवंबर में चुनाव होंगे। इसके लिए पार्टियों ने तैयारियां तेज कर दी हैं। इस बार पार्टियों का सबसे अधिक फोकस महिला मतदाताओं पर है। क्योंकि 5 करोड़ 39 लाख 87 हजार 876 मतदाताओं में 2 करोड़ 60 लाख 23 हजार 711 महिला वोटर हैं। यानी इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव में महिलाएं निर्णायक भूमिका निभा सकती हैं। हार जीत का फैसला महिलाओं के हाथ में होगा। ऐसा इसलिए क्योंकि प्रदेश के 41 जिलों में पुरुषों के मुकाबले महिला मतदाताओं की संख्या ज्यादा हो गयी है। वहीं 18 विधानसभा सीटों पर पुरुषों के मुकाबले महिला वोटर्स की संख्या ज्यादा है। इस बार महिला वोटर जिस भी पार्टी की तरफ अपना रुख करेंगी उस पार्टी की जीत आसान होगी।
आधी आबादी का पूरा समर्थन पाने की कवायद
वैसे तो भाजपा ने आगामी चुनाव के मद्देनजर हर वर्ग को साधने का फार्मूला बना रखा है। इसके लिए कई तरह के नवाचार किए गए हैं। इसी कड़ी में आधी आबादी का पूरा समर्थन और सत्ता बरकरार, इस फार्मूले को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान लगभग 15 साल बाद नए अंदाज में दोहराने की तैयारी में दिख रहे हैं। 2007 में अपनी पहली पारी में उन्होंने लाड़ली लक्ष्मी योजना शुरू कर बेटियों को आगे बढ़ाने की जो पहल की, उससे उन्हें 2008 और 2013 के विधानसभा चुनावों में सफलता मिली। 2018 के चुनाव में हार से सबक लेते हुए इस वर्ष होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर वे खासे सतर्क हैं और उन्होंने लाड़ली लक्ष्मी योजना की तर्ज पर लाड़ली बहना योजना की घोषणा कर दी है। इसके तहत वह प्रदेश की उन सभी गरीब एवं मध्यम वर्ग की महिलाओं के खातों में प्रतिमाह 1000 रुपये देंगे, जो आयकर सीमा से बाहर हैं। एक अनुमान के मुताबिक मध्य प्रदेश में एक करोड़ से अधिक महिलाएं इस दायरे में आएंगी। ऐसे में सरकार पर प्रति वर्ष 12 हजार करोड़ रुपये का खर्च बढ़ सकता है। योजना का प्रारूप अभी तैयार होना है। इसके बाद रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया शुरू होगी, लेकिन शिवराज आश्वस्त कर रहे हैं कि रक्षाबंधन तक लाड़ली बहनों के खातों में पैसे आने शुरू हो सकते हैं।
अगले 3 महीने का रोडमैप तैयार
मप्र में अगले 3 महीने के लिए रोडमैप तैयार हो गया है। वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए बजट आवंटन, व्यय की त्रैमासिक कार्य योजना के लिए दिशा निर्देश जारी किए गए हैं। इस संबंध में वित्त विभाग ने आदेश जारी कर दिया है। चुनावी साल में प्रदेश सरकार का फोकस आदिवासियों पर रहेगा। इसके लिए अगले तीन माह के लिए रोडमैप तैयार किया गया है। वित्तीय वर्ष 2022-23 के जनवरी माह के लिए पुनरीक्षित विशेष मासिक व्यय सीमा निर्धारित की गई है। जिसमें ऊर्जा विभाग को 251 करोड़, जनजाति कार्य विभाग को 160 करोड़, लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग को 102 करोड़ आवंटित किया गया है। बता दें कि मप्र विधानसभा चुनाव में कुछ ही समय बचा है। 2018 के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को हार का सामना करना पड़ा था। इसके बाद बीजेपी ने पिछले डेढ़ साल में आदिवासियों को साधने के लिए पूरी ताकत लगा दी है। प्रदेश में आदिवासी के लिए आरक्षित सीटों की संख्या 47 है। एमपी में आदिवासियों की आबादी करीब दो करोड़ है। इसलिए बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही पार्टियां आदिवासी वोटरों को साधने की कोशिश कर रहे हैं।
आधी आबादी पर पूरा फोकस
अगर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के अब तक के कार्यकाल का आंकलन किया जाए तो यह तथ्य सामने आता है की उन्होंने आधी आबादी पर पूरा फोकस किया है। उनके अधिकांश नवाचार महिलाओं के लिए ही हैं। महिलाओं और बच्चियों के बीच उनकी मामा की छवि इसमें महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती है। शिवराज सरकार ने स्थानीय निकाय चुनाव से लेकर शासकीय सेवाओं तक में महिलाओं को 33 से 50 प्रतिशत तक आरक्षण की व्यवस्था की है। आजीविका मिशन के तहत महिलाओं के स्व सहायता समूहों को ऋण उपलब्ध कराकर उन्हें आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने की बड़ी पहल भी हो चुकी है। इसके अलावा आदिवासी वर्ग सहरिया-भारिया महिलाओं को भी प्रतिमाह एक हजार रुपये देने के साथ रोजगार से भी जोड़ा जा रहा है। महिलाओं की सुरक्षा को लेकर शिवराज लंबे समय से दुराचारियों को फांसी की सजा के पक्षधर रहे हैं। बालिका जन्म के प्रति जनता में सकारात्मक सोच, लिंग अनुपात में सुधार, बालिकाओं की शैक्षणिक स्तर तथा स्वास्थ्य की स्थिति में सुधार तथा उनके अच्छे भविष्य की आधारशिला रखने के उद्देश्य से मध्यप्रदेश में 01 अप्रैल 2007 से लाड़ली लक्ष्मी योजना लागू की गई थी। इस योजना ने पूरे देश में लोकप्रियता हासिल की थी और कई राज्यों ने इसे अलग-अलग नामों से लागू भी किया। आदिवासी क्षेत्रों के लिए पेसा एक्ट लागू करने में भी महिलाओं के साथ होने वाले अन्याय पर कड़ी सजा का प्रविधान है। आदिवासी महिलाओं से शादी कर पंचायत चुनाव लडऩे या जमीन खरीदने की मंशा रखने वालों को शिवराज ने सख्त चेतावनी दी है। इन प्रयासों के बाद लाड़ली बहना योजना शिवराज का ऐसा मास्टर स्ट्रोक है, जो भाजपा को 51 प्रतिशत वोट शेयर दिलाने में महत्वपूर्ण रूप से कारगर साबित हो सकता है।
हर वर्ग के लिए नवाचार
मिशन 2023 को साधने के लिए भाजपा ने किसी एक वर्ग को नहीं बल्कि सभी वर्गों का साधने का जतन किया है। इसके लिए हर वर्ग के लिए नवाचार किए गए हैं। दरअसल, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अलग तरीके की सोशल इंजीनियरिंग पर काम करते रहे हैं। लाड़ली लक्ष्मी योजना हो या मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना, किसानों को सम्मान निधि के साथ अतिरिक्त 4000 रुपये देने हों या हर महीने रोजगार दिवस का आयोजन कर 12 लाख से अधिक युवाओं को स्वरोजगार से जोडऩा। इसी तरह खेलो इंडिया गेम्स के माध्यम से खिलाडिय़ों के बीच भी शिवराज सरकार नए तरीके का संदेश दे रही है। शिवराज सिंह चौहान आयु, आमदनी और जीवन शैली के आधार पर अलग-अलग वर्गों को खुश कर अपने साथ जोडऩे का कोई मौका नहीं गंवाते हैं।