प्रदेश में अब चुनावी मोर्चा संभालेंगे केंद्रीय मंत्री

कर्नाटक विधानसभा चुनाव परिणाम आने के बाद मध्यप्रदेश में


भी भाजपा नेताओं की आमद बढ़ने वाली है। इसके लिए पार्टी हाईकमान द्वारा तैयारी कर ली गई है। इसमें खासतौर पर केन्द्रीय मंत्रिमंडल में शामिल प्रदेश के सभी आधा दर्जन मंत्रियों को मप्र में ही अधिक से अधिक समय बिताना होगा तो वहीं हिंदी भाषी चर्चित मंत्रियों के अलावा जातिगत व क्षेत्रीय समीकरणों में फिट बैठने वाले अन्य प्रांतो के केन्द्रीय मंत्री भी मप्र में तैनात किए जाएंगे। यह तैनाती अगले माह तक कर दी जाएगी। इसके अलावा अन्य बड़े नेताओं के प्रवास भी तेज किए जाएंगे। इसकी वजह है मप्र उन तीन राज्यों में बेहद अहमियत रखता है , जिन प्रदेशों में इस साल के अंत में विधानसभा के आम चुनाव होने हैं। इसके लिए भाजपा के रणनीतिकरों ने मिशन मोड में अपनी चुनावी तैयारियों को धरातल पर लाने की योजना तैयार की है। इसके लिए पार्टी ने डेटा जुटाकर चुनाव प्रबंधन में परदे के पीछे के रणनीतिकारों की टीम बनानी शुरू कर दी है। मध्यप्रदेश में पार्टी के लिए बेहद कमजोर माने जाने वाली सीटों का प्रभार केंद्रीय मंत्रियों को सौंपा जाएगा , जिससे इस साल होने वाले विस चुनाव में पार्टी उम्मीदों के अनुरूप प्रदर्शन करने में सफल हो सके। इसकी वजह है मध्यप्रदेश में इस बार भी भाजपा को कांग्रेस से कड़ी चुनौती मिल रही है और कांग्रेस की भाजपा की तुलना में बेहतर स्थिति बताई जा रही है। दरअसल बीते चुनाव में भाजपा को कांग्रेस की तुलना में पिछडऩा पड़ा था। इस बार भी लगभग यही स्थिति रहने वाली है। यह बात अलग है कि प्रदेश में कांग्रेस के बागी विधायकों के दम पर बाद में भाजपा ने कांग्रेस की सरकार को गिरा दिया था और खुद सत्ता में वापसी कर ली थी। जिस तरह से पिछले चुनाव में चुनौतियां सामने आई थीं, उससे पार्टी इस बार सजग है। इस बार के विधानसभा चुनाव में बेहतर प्रदर्शन करने के लिए पार्टी ने फुलप्रूफ तैयारी शुरू कर दी है।
भाजपा इन्हें मान रही कमजोर
भाजपा ने इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनावों में 103 सीटों पर विशेष फोकस कर रही है, जिसमें कई सीटें ऐसी भी हैं, जिन पर भाजपा को लंबे समय से सफलता नहीं मिल सकी हैं। इसके अलावा बीते चुनाव में हारने वाली सीटें भी इस बार संगठन के फोकस पर हैं। इन्हें पार्टी द्वारा आकांक्षी नाम दिया है। इनमें भोपाल उत्तर, भोपाल दक्षिण-पश्चिम, भोपाल मध्य, ब्यावरा, राजगढ़, खिलचीपुर, सुसनेर, आगर, शाजापुर, कालापीपल, सोनकच्छ, बुरहानपुर, भीकनगांव, बड़वाह, महेश्वर, कसरावद, खरगोन, भगवानपुरा, सेंधवा, राजपुर, पानसेमल, अलीराजपुर, झाबुआ, थांदला, पेटलावद, सरदारपुर, गंधवानी, कुक्षी, मनावर, धर्मपुरी, देपालपुर, इंदौर -1, राऊ, नागदा, तराना, घट्टिया, बडऩगर, सैलाना, आलोट, भिंड, लहार, गोहद, ग्वालियर पूर्व, श्योपुर, सबलगढ़, सुमावली, मुरैना, छतरपुर, बिजावर, पथरिया, दमोह, गुनौर, चित्रकूट, रैगांव, सतना, सिंहावल, कोतमा, पुष्पराजगढ़, बड़वारा, बरगी, जबलपुर पूर्व, जबलपुर उत्तर, जबलपुर पश्चिम, शहपुरा, डिंडोरी, बिछिया, निवास, बैहर, लांजी, वारासिवनी, कटंगी, बरघाट, लखनादौन, गोटेगांव, तेंदूखेड़ा, गाडरवारा, जुन्नारदेव, अमरवाड़ा, चौरई, सौसर, छिंदवाड़ा, परासिया, पांढुर्णा, मुलताई, बैतूल, दिमनी, ग्वालियर दक्षिण, भितरवार, डबरा, सेंवड़ा, करेरा, महाराजपुर, राजनगर, घोड़ाडोंगरी, भैंसदेही, उदयपुरा, विदिशा, पिछोर, चाचौड़ा, राघोगढ़, चंदेरी, देवरी और बंडा विस की सीट शामिल है।
प्रदेश से आधा दर्जन मंत्री…
दरअसल मप्र के कोटे से अभी मोदी मंत्रिमंडल में आधा दर्जन मंत्री हैं। इनमें नरेन्द्र सिंह तोमर, धर्मेन्द्र प्रधान, ज्योतिरादित्य सिंधिया, वीरेन्द्र खटीक, प्रहलाद पटेल और फग्गन सिंह कुलस्ते शामिल हैं। इनमें से धर्मेन्द्र प्रधान भले ही उड़ीसा से आते हैं , लेकिन मप्र से राज्य सभा सासंद होने की वजह से उन्हें मप्र के कोटे में ही माना जाता है। पार्टी सूत्रों के अनुसार इन मंत्रियों को जातिगत और अन्य तरह के समीकरणों के हिसाब से कमजोर सीटों की जिम्मेदारी दी जाएगी। यही नहीं पार्टी ने इस बार कांग्रेस के बड़े नेताओं को उनके ही घरों में घेरने की योजना बनाई है। इसके लिए भी कुछ केन्द्रीय मंत्रियों की तैनाती की जाएगी। यही वजह है कि प्रदेश में चलाए गए बूथ विस्तारक अभियान-2 में भी केंद्रीय मंत्रियों की भी ड्यूटी लगाई गई थी। यह बात अलग है कि इस अभियान के दौरान केन्द्रीय मंत्री महज औपचारिकता करते ही नजर आए थे।
कराया जा रहा है सर्वे
चुनावी तैयारियों के लिए मैदानी हकीकत पता करने के लिए मध्यप्रदेश में भाजपा सर्वे के जरिए मुद्दों की तलाश करने में लगी हुई है। राज्य के किस हिस्से में कौन- कौन से मुद्दे जनता को प्रभावित कर रहे हैं। मौजूदा विधायक की क्या स्थिति है, विपक्ष से कौन उम्मीदवार हो सकता है और उसकी क्या स्थिति संभव है। इस सभी का सर्वे में पता कराया जा रहा है। सर्वे के आधार पर ही पार्टी टिकट देने का काम करेगी।