प्रदेश में लगातार बढ़ती जा रही ठगी की घटनाएं.
भोपाल/मंगल भारत। शातिर ठग अब मंत्री-विधायकों को भी नहीं छोड़ रहे हैं। हाल ही में मुरैना जिले की सबलगढ़ सीट से भाजपा विधायक सरला रावत को फोन कर ठगों ने उनके भतीजा-भतीजी से ठगी कर ली, वहीं अब मंत्री रामनिवास रावत के साथ भी ठगी का प्रयास का मामला सामने आया है। अब राज्य मंत्री नरेंद्र शिवाजी पटेल की फेसबुक आईडी हैक कर सहपाठी से 70 हजार ऐंठे लिए हैं। पूर्व में भी मंत्री- विधायक के अलावा आईएएस-आईपीएस के नाम से फर्जी सोशल मीडिया पेज बनाए गए है। जानकारी के अनुसार, स्वास्थ्य राज्य मंत्री नरेंद्र शिवाजी पटेल की फेसबुक आईडी हैक होने का मामला सामने आया है। जालसाज ने उनके सहपाठी से 70 हजार रुपए ऐंठ लिए। यह रकम उसने फेसबुक के मैसेंजर के माध्यम से एक जरूरतमंद ऑफिसर को देने के नाम पर ट्रांसफर करवाई थी। जालसाज अभी कुल दो लोगों को ठग पाए थे कि मंत्री को उनके से नाम की जा रही ठगी का पता चल गया। शिकायत पर साइबर क्राइम ने एफआईआर दर्ज करने के बाद जांच शुरू कर दी है।
ऐसे की गई ठगी: जानकारी के मुताबिक, स्वास्थ्य राज्य मंत्री नरेंद्र शिवाजी पटेल की सोशल मीडिया फेसबुक पर आईडी है। जालसाज ने हूबहू वैसे ही फेसबुक का फर्जी पेज बना उनकी गैलरी से फोटो ले लिए। जालसाज मंत्री के नाम से उनसे जुड़े लोगों से पैसे मांगने लगे। मंत्री के एक सहपाठी से जालसाज ने 70 हजार रुपए ठग लिए। फेसबुक के मैसेंजर से मैसेज कर जालसाज ने बोला कि एक अधिकारी को तुरंत 70 हजार रुपए की जरूरत है। उसका अकाउंट नंबर भेज रहा हूं। अभी तत्काल ऑनलाइन ट्रांसफर कर दो। मंत्री की फेसबुक आईडी से आए मैसेज को सहपाठी ने सही समझा। उन्होंने तुरंत बताए गए अकाउंट नंबर पर रकम ट्रांसफर कर दी। बाद में जब सहपाठी ने मंत्री को कॉल कर बताया कि उन्होंने पैसे भेज दिए हैं। तब जालसाजी का खुलासा हुआ। मामले की जांच में सामने आया है कि जालसाज ने एक और उनके परिचित से 10 हजार रुपए की धोखाधड़ी की है। इस संबंध में मंत्री की ओर से साइबर क्राइम भोपाल में शिकायत की गई। पुलिस ने अज्ञात के खिलाफ धोखाधड़ी का केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
ये भी बन चुके हैं शिकार
बीते कुछ समय से देखने में आ रहा है कि ठगों के निशाने पर प्रदेश के मंत्री-विधायक है। पापुरिलिटी होने के कारण जल्द ही इनके फोटो और सामान्य जानकारी सोशल मीडिया पर उपलब्ध हो जाती है। सबलगढ़ विधायक सरला रावत के मोबाइल पर ठग ने स्टेट बैंक आफ इंडिया का मैनेजर बनकर फोन किया। बैंक में दो रिक्तियां होने का झांसा दिया। उनके भतीजे और भतीजी को ही ठग लिया। वहीं मंत्री रामनिवास रावत के पास ठग ने भाजपा के संगठन महामंत्री के नाम पर ही पांच लाख रुपये ठगने के लिए फोन किया। रावत को बातों पर शंका हुई और वह न केवल झांसे में आने बचे बल्कि समय रहते पुलिस से संपर्क करने से आरोपित भी पकड़ लिया गया। प्रदेश के कई पुलिस अधिकारियों से लेकर नेता, मंत्रियों के नाम पर फेक फेसबुक, इंस्टाग्राम आईडी बनाकर ठगी की कई घटनाएं हो चुकी हैं, जबकि इसकी तुलना में आरोपितों के पकड़े जाने और रकम वापस मिलने की संख्या कम ही है।
नए-नए तरीके से साइबर फ्रॉड
पड़ताल के लिए जिन टूल्स, सॉफ्टवेयर की जरूरत है, वह पर्याप्त नहीं हैं। जबकि अपराधी नए-नए तरीके अपनाकर साइबर फ्रॉड करते हैं। बल की कमी और ट्रेंड स्टाफ भी सीमित है। साइबर क्राइम विंग में जो स्टाफ है, उसमें सभी तकनीकी रूप से दक्ष नहीं हैं। प्रदेश में लगभग हर जिले की ऐसी ही स्थिति है जबकि घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही हैं।
ऐसे दूर हो सकती है बल की कमी: जानकार कहते हैं कि अगर साइबर क्राइम कैडर के लिए अलग से ही पुलिसकर्मियों की भर्ती की जाए। अगर अलग से भर्ती नहीं की जा सकती तो रेडियो एसएएफ से बल को यहां प्रतिनियुक्ति पर लाया जा सकता है। अमूमन इन्हें चुनाव, बड़े धार्मिक आयोजन, बड़े राजनीतिक कार्यक्रम, मेलों में ही ड्यूटी करनी होती है। यहां एसएएफ के जवानों को लगाया जा सकता है। इन्हें इसके लिए ट्रेंड किया जा सकता है। आंकड़ों पर नजर डालें तो 5 शिकायतें औसतन हर दिन साइबर क्राइम विंग में ठगी और अन्य साइबर अपराधों की पहुंचती हैं।