अधिकारी व प्राचार्य के वायरल ऑडियो ने खोली सुशासन की पोल.
भोपाल/मंगल भारत। बच्चों को शिष्टाचार का पाठ पढ़ाने वाले शिक्षा विभाग में भ्रष्टाचार ही शिष्टाचार बन गया है। इस दावे पर मंत्रालय में पदस्थ एक अधिकारी व एक प्राचार्य का सोशल मीडिया पर बातचीत का वायरल हो रहा आडियो मुहर लगा रहा है। इस वायरल आडियों के अनुसार स्कूल शिक्षा विभाग में बिना रिश्वत पोस्टिंग पाना टेढ़ी खीर है।
वैसे तो स्कूल शिक्षा विभाग की भर्राशाही, लापरवाही, भ्रष्टाचार के मामले लगातार सामने आते रहते हैं। लेकिन स्कूल शिक्षा विभाग में भ्रष्टाचार का एक नया मामला सामने आया है। विभागीय परीक्षा में नंबर वन आने के बाद भी डीपीसी की पोस्टिंग में शिष्टाचार के नाम पर रिश्वत मांगी गई। मंत्रालय में पदस्थ अधिकारी व प्राचार्य का सोशल मीडिया पर बातचीत का आडियो वायरल हो रहा है। जिसमें अधिकारी कह रहे है कि डीपीसी की पोस्टिंग चाहिए, तो कुछ शिष्टाचार करना पड़ेगा।
पहला स्थान आने के बाद भी पोस्टिंग नहीं…
स्कूल शिक्षा विभाग में व्याप्त भर्राशाही, लापरवाही और भ्रष्टाचार का आलम यह है कि विभागीय परीक्षा में पहला स्थान आने के बाद भी प्राचार्य की पोस्टिंग नहीं की गई। मामले में करीब 25 दिन पहले राजस्व मंत्री करण सिंह वर्मा ने स्कूल शिक्षा मंत्री उदय प्रताप सिंह को नोटशीट भी लिखी है। जिसमें कहा गया है कि प्राचार्य एमके जाटव का राज्य शिक्षा केंद्र के माध्यम से आयोजित परीक्षा में प्रथम स्थान पर चयन हुआ है। राजस्व मंत्री ने प्राचार्य जाटव को सीहोर जिले में डीपीसी पद पर पदस्थ करवाने की अनुशंसा की है। जिला परियोजना समन्वयक (डीपीसी) पॉस्टिंग के लिए आयोजित विभागीय परीक्षा में सहायक संचालक, व्याख्याताओं व प्राचार्यों को शामिल किया गया था। विभागीय परीक्षा के परिणाम के बाद बीती 7 फरवरी 2024 को तत्कालीन संचालक धनराजू एस ने डीपीसी पद की पोस्टिंग के लिए पांच लोगों की सूची जारी की। इसमें पहले नंबर पर महेश कुमार जाटव, दूसरे पर दफेदार सिंह सिकरवार, तीसरे पर ओमप्रकाश शर्मा, चौथे पर जितेंद्र कुमार भनारिया व पाचवे नंबर पर शीला मरावी थी। सिकरवार की शिवपुरी, शर्मा की भोपाल, भनारिया की बैतूल व मरावी की इंदौर में डीपीसी पद पर पोस्टिंग की गई। जबकि महेश कुमार जाटव को सूची में पहले नंबर पर आने के बाद भी छोड़ दिया गया।
डीपीसी की पोस्टिंग के लिए शिष्टाचार की मांग
दरअसल स्कूल शिक्षा विभाग में मलाईदार पदों में जिला परियोजना समन्वयक (डीपीसी) की पोस्टिंग मानी जाती है। डीपीसी की पोस्टिंग को लेकर विभागीय परीक्षा होती है। सूची के अनुसार ही खाली पड़े पदों पर डीपीसी की पोस्टिंग की जाती है। इसी पोस्टिंग को लेकर विभागीय परीक्षा में नंबर वन आने वाले प्राचार्य को मंत्रालय के एक अधिकारी ने फोन लगाया। उनसे कहा कि डीपीसी की पोस्टिंग चाहिए, तो कुछ शिष्टाचार करना पड़ेगा। प्राचार्य ने मामले की शिकायत विभागीय मंत्री उदय प्रताप सिंह के निज सचिव वीरेंद्र कुमार तिवारी, प्रमुख सचिव समेत अन्य आला अधिकारियों के पास की है। बावजूद इसके रिश्वत मांगने वाले अधिकारी के खिलाफ अभी तक कोई कार्यवाही नहीं की गई है।