पश्चिम बंगाल में वक़्फ़ संशोधन कानून को लेकर हुई हिंसा पर अदालत ने कहा कि जरूरत पड़ने पर राज्य के अन्य इलाकों में भी केंद्रीय बलों की तैनाती की जा सकती है, लेकिन ये बल राज्य और बीएसएफ के सहयोग से अपना कर्तव्य निभाएगा.
नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल मे वक़्फ़ संशोधन अधिनियम 2025 के खिलाफ विरोध तेज़ होने के साथ ही कलकत्ता उच्च न्यायालय ने शनिवार (12 अप्रैल) को मुर्शिदाबाद जिले के अशांत क्षेत्रों में केंद्रीय बलों की तैनाती का आदेश दे दिया.
मालूम हो कि वक़्फ़ संशोधन अधिनियम के खिलाफ राज्य में विरोध प्रदर्शन के दौरान हुई झड़पों में तीन लोग मारे गए हैं.
द टेलीग्राफ की रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेता सुवेंदु अधिकारी ने ‘जान-माल की रक्षा’ के लिए ‘अशांत क्षेत्रों’ में केंद्रीय बलों की तैनाती के संबंध में अपनी याचिका पर तत्काल सुनवाई की मांग करते हुए उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था.
इससे पहले, मंगलवार (8 अप्रैल) को रघुनाथपुर में झड़प शुरू होने के बाद से बीएसएफ की तैनाती हिंसा को और अधिक बढ़ने से रोकने में विफल रही थी.
मुर्शिदाबाद में केंद्रीय बलों की तैनाती का आदेश देते हुए जस्टिस सौमेन सेन और जस्टिस राजा बसु चौधरी की पीठ ने कहा, ‘जरूरत पड़ने पर राज्य के अन्य इलाकों में भी केंद्रीय बलों की तैनाती की जा सकती है, लेकिन ये बल राज्य और बीएसएफ के सहयोग से अपना कर्तव्य निभाएगा.’
पुलिस पर प्रारंभिक निष्क्रियता का आरोप
इस आरोप के बीच कि पुलिस की प्रारंभिक निष्क्रियता के कारण हिंसा बढ़ी है, केंद्रीय गृह सचिव गोविंद मोहन ने मुर्शिदाबाद के हालात पर राजीव कुमार और मुख्य सचिव मनोज पंत के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंस की.
बैठक के दौरान मोहन ने बताया कि जिले में स्थानीय स्तर पर उपलब्ध 300 बीएसएफ कर्मियों और राज्य सरकार के अनुरोध पर आसपास के जिलों से अतिरिक्त पांच कंपनियों को मुर्शिदाबाद में तैनात किया गया है.
उन्होंने राज्य के अधिकारियों को हिंसा को फैलने से रोकने के लिए अन्य संवेदनशील जिलों पर कड़ी नज़र रखने की सलाह भी दी. उन्होंने कहा कि केंद्र स्थिति पर बारीकी से नज़र रख रहा है और ज़रूरत पड़ने पर अतिरिक्त बलों की तैनाती सहित हर संभव सहायता का आश्वासन दिया.
पुलिस ने बताया कि शुक्रवार (11 एप्रैल) को सुती में सुरक्षा बलों की गोलीबारी में घायल हुए 16 वर्षीय इजाज अहमद की शनिवार को मुर्शिदाबाद मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में मौत हो गई. सुती गोलीबारी में गोली लगने से घायल हुए दो अन्य लोगों को भी इसी अस्पताल में लाया गया है.
ज्ञात हो कि शनिवार को समसेरगंज के धुलियान में 74 वर्षीय हरगोबिंदो दास और उनके 40 वर्षीय बेटे चंदन दास की हत्या कर दी गई.
नबाना के सूत्रों ने बताया कि शुक्रवार दोपहर को ताज़ा उपद्रव तब शुरू हुआ, जब प्रदर्शनकारियों ने नए वक़्फ़ कानून को वापस लेने की मांग करते हुए सुती और समसेरगंज में एनएच 12 को जाम कर दिया. तनाव बढ़ने पर भीड़ ने सुती के काशीपुर में दो बसों और दो एंबुलेंस को आग के हवाले कर दिया.
लगभग उसी समय, प्रदर्शनकारियों ने समसेरगंज में एक यातायात चौकी और दो मोटरसाइकिलों में आग लगा दी.
राज्य सरकार ने शुक्रवार शाम को सुती और समसेरगंज में बीएसएफ को बुला लिया.
लेकिन शनिवार की सुबह समसेरगंज में तब हिंसा भड़क उठी, जब बीएसएफ ने उग्र भीड़ को तितर-बितर करने के लिए गोली चलाई, जिसमें 12 वर्षीय हसन शेख और 21 वर्षीय मुद्दीन शेख घायल हो गए. समसेरगंज के कई इलाकों में प्रतिद्वंद्वी समूहों के बीच झड़पें हुईं.
पुलिस ने बताया कि लोगों के एक समूह ने समसेरगंज में धुलियान नगरपालिका के मिलनमंदिर इलाके में प्रवेश किया और हरगोबिंदो और चंदन की हत्या कर दी.
जवानों को अपनी जान बचाने के लिए मजबूरन गोली चलानी पड़ी: बीएसएफ
कुछ जिला अधिकारियों ने दावा किया कि बीएसएफ के गोली चलाने के बाद स्थिति नियंत्रण से बाहर हो गई, जबकि सीमा बल ने अपना बचाव करते हुए कहा कि उसके जवानों को अपनी जान बचाने के लिए मजबूरन गोली चलानी पड़ी.
बीएसएफ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘एक समूह पेट्रोल बम और पत्थर फेंक रहा था और उनमें से कुछ ने बीएसएफ के गश्ती दल पर छतों से गोलियां चलाईं. यह एक भयावह स्थिति थी, जिससे जवानों की जान को गंभीर खतरा था और बीएसएफ के पास आत्मरक्षा में गोली चलाने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा था.’
डीजीपी कुमार शनिवार दोपहर मुर्शिदाबाद के लिए रवाना हुए और शाम को जिले में पहुंचे.
कुमार ने कहा, ‘हम किसी भी तरह की हिंसा की अनुमति नहीं देंगे. किसी को भी कानून अपने हाथ में नहीं लेना चाहिए. मैं लोगों से पुलिस के साथ सहयोग करने का आग्रह करता हूं.’
हालांकि, प्रशासन के भीतर कई लोग पूछ रहे थे कि पुलिस ने शुरू से ही सख्त कदम क्यों नहीं उठाए – यह राज्य सरकार और सत्तारूढ़ पार्टी के लिए असहज करने वाला सवाल है.
सीएम ममता ने की शांति की अपील
शांति की अपील में ममता ने इस बात पर जोर दिया कि उनकी सरकार वक़्फ़ संशोधन विधेयक का समर्थन नहीं करती है और उन्होंने दोहराया कि राज्य में इस अधिनियम को लागू नहीं किया जाएगा. उन्होंने कहा कि कुछ राजनीतिक दल बंगाल में दंगा भड़काने के लिए लोगों को भड़का रहे हैं.
उन्होंने शनिवार को अपने एक्स हैंडल पर लिखा, ‘यह याद रखना चाहिए कि जिस अधिनियम के खिलाफ कई लोग आक्रोशित हैं, उसे हमने लागू नहीं किया. यह अधिनियम केंद्र सरकार ने पारित किया है और केंद्र से सवाल पूछे जाने चाहिए.’
हालांकि, पूरे दिन जिले में तनाव बना रहा. समसेरगंज के रहने वाले तीन तृणमूल विधायकों और जंगीपुर से पार्टी के सांसद को स्थानीय लोगों ने उस समय खदेड़ दिया जब वे झड़प रोकने का संदेश लेकर धुलियान में घुसने की कोशिश कर रहे थे.
कांग्रेस नेता और बेहरामपुर के पूर्व सांसद अधीर चौधरी ने पुलिस को दोषी ठहराते हुए कहा कि उनकी शुरुआती निष्क्रियता ने स्थिति को हाथ से निकल जाने दिया.
अधीर ने कहा, ‘पुलिस को वक़्फ़ संशोधन अधिनियम पर अल्पसंख्यकों के गुस्से के बारे में खुफिया जानकारी जुटानी चाहिए थी. अधिकारियों को समस्या को शुरू में ही रोकने के लिए समय रहते प्रतिक्रिया देनी चाहिए थी.’
पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में वक़्फ़ संशोधन क़ानून को लेकर हुई हिंसा पर तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) और भारतीय जनता पार्टी के नेता एक-दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं.
भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता शहज़ाद पूनावाला ने मुर्शिदाबाद हिंसा को लेकर ममता बनर्जी पर आरोप लगाते हुए कहा कि मुस्लिम तुष्टिकरण के चक्कर में बंगाल जल रहा है.
वहीं, मुर्शिदाबाद में ही जंगीपुर सीट से टीएमसी सांसद ख़लीलुर रहमान ने कहा है कि मुर्शिदाबाद में हर एक संप्रदाय के लोग भाईचारे के साथ रहते आए हैं और आगे भी भाईचारे के साथ रहेंगे.
उन्होंने आगे कहा, ‘यहां जो आंदोलन हुआ, उसका न कोई नेता था, न उसका कोई बैनर या प्लेटफॉर्म था. बस कुछ किशोरों ने प्रदर्शन किया. वो प्रदर्शन कुछ देर के लिए ख़राब भी हुआ, पत्थरबाज़ी की घटना भी हुई. कुछ पुलिस अधिकारी घायल भी हुए. ये नहीं होना चाहिए था.’
ख़लीलुर रहमान ने बताया कि उन्होंने सभी से यहां शांति बनाए रखने की अपील की है. साथ ही, उन्होंने शांति और सद्भाव की अपील करने के लिए कुछ विधायकों और इलाके के सम्मानित लोगों के साथ रूट मार्च निकाला.