भारत ने पाकिस्तानी डिफेंस अताशे को निष्कासित किया; अटारी सीमा बंद, सिंधु जल संधि रोकी

पहलगाम आतंकी हमले के एक दिन बाद भारत ने पाकिस्तान के डिफेंस अताशे को निष्कासित कर दिया और इस्लामाबाद से अपने डिफेंस अताशे को वापस बुला लिया. इसके साथ ही सिंधु जल संधि में अपनी भागीदारी को रोक दी और पाकिस्तानी नागरिकों को सार्क वीज़ा छूट योजना का लाभ देना बंद कर दिया.

नई दिल्ली: कश्मीर में पर्यटकों पर हुए आतंकी हमले के एक दिन बाद भारत ने बुधवार (23 अप्रैल) को पाकिस्तान के डिफेंस अताशे को निष्कासित कर दिया और इस्लामाबाद से अपने डिफेंस अताशे को वापस बुला लिया, राजनयिक मिशनों को छोटा कर दिया, सिंधु जल संधि में अपनी भागीदारी को रोक दिया, एकमात्र चालू भूमि सीमा क्रॉसिंग को बंद कर दिया और पाकिस्तानी नागरिकों को सार्क वीजा छूट योजना का लाभ उठाने से रोक दिया.

मालूम हो कि मंगलवार को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में नागरिकों पर हुए सबसे भीषण हमलों में से एक में 25 भारतीय, जिनमें से अधिकांश पर्यटक थे और एक नेपाली नागरिक मारे गए, जबकि कई अन्य घायल हो गए.

यह 2008 के मुंबई हमलों के बाद से भारत में किसी एक आतंकवादी घटना में मारे गए नागरिकों की सबसे बड़ी संख्या है.

सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति (सीसीएस) की बैठक के बाद विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने एक तैयार बयान पढ़ा जिसमें इसके निर्णयों की रूपरेखा दी गई थी, लेकिन उन्होंने किसी प्रश्न का उत्तर नहीं दिया.

मिस्री की टिप्पणी पाकिस्तान पर सीधे आरोप लगाने वाला पहला आधिकारिक बयान था.

उन्होंने कहा, ‘सीसीएस को दी गई ब्रीफिंग में आतंकवादी हमले के सीमा पार संबंधों का खुलासा किया गया.’ इसमें कहा गया कि यह हमला केंद्र शासित प्रदेश में चुनावों के सफल आयोजन और आर्थिक वृद्धि और विकास की दिशा में इसकी निरंतर प्रगति के मद्देनजर हुआ.

उन्होंने कहा कि समिति ने समग्र सुरक्षा स्थिति की समीक्षा की है और सभी बलों को ‘उच्च सतर्कता’ बनाए रखने का निर्देश दिया है.

मिस्री ने कहा, ‘यह संकल्प लिया गया है कि हमले के अपराधियों को न्याय के कटघरे में लाया जाएगा और उनके प्रायोजकों को जवाबदेह ठहराया जाएगा. तहव्वुर राणा के हाल ही में प्रत्यर्पण की तरह भारत उन लोगों की तलाश में लगातार आगे बढ़ेगा, जिन्होंने आतंकी वारदातों को अंजाम दिया है या उन्हें संभव बनाने की साजिश रची है.’

विदेश सचिव ने पांच कदम सूचीबद्ध किए, जो भारत प्रतिक्रिया स्वरूप उठाएगा – ऐसे कदम, जो पाकिस्तान के साथ राजनयिक संबंधों को और खराब कर देंगे, जो पहले से ही लगभग एक दशक से ठंडे पड़े हैं.

सबसे पहले मिस्री ने कहा कि 1960 की सिंधु जल संधि ‘तत्काल प्रभाव से स्थगित रहेगी, जब तक कि पाकिस्तान विश्वसनीय और अपरिवर्तनीय रूप से सीमा पार आतंकवाद के लिए अपने समर्थन करना बंद नहीं कर देता.’

पिछले वर्ष भारत ने दूसरी बार औपचारिक रूप से संधि में संशोधन की मांग की थी, जो सिंधु नदी और उसकी सहायक नदियों के जल बंटवारे को नियंत्रित करती है. दोनों देशों के बीच किशनगंगा और रतले जलविद्युत परियोजनाओं को लेकर भी लंबे समय से मतभेद चल रहा है.

संधि के अनुच्छेद XII (4) के अनुसार, यह तब तक लागू रहेगा जब तक कि दोनों सरकारों के बीच इस उद्देश्य के लिए संपन्न विधिवत अनुसमर्थित संधि द्वारा इसे समाप्त नहीं कर दिया जाता.

दूसरा, अटारी में एकीकृत चेक पोस्ट को ‘तत्काल प्रभाव से बंद कर दिया जाएगा.’ उन्होंने कहा, ‘जो लोग वैध अनुमोदन के साथ सीमा पार कर चुके हैं, वे 1 मई, 2025 से पहले उस मार्ग से वापस आ सकते हैं.’

भारत-पाकिस्तान वीज़ा प्रणाली के तहत आगंतुक केवल एक ही प्रवेश मार्ग से प्रवेश और निकास कर सकते हैं.

इसके अलावा, मिस्री ने कहा कि पाकिस्तानी नागरिकों को सार्क वीजा छूट योजना (एसवीईएस) वीजा के तहत भारत की यात्रा करने की अनुमति नहीं दी जाएगी.

उन्होंने कहा, ‘अतीत में पाकिस्तानी नागरिकों को जारी किए गए सभी एसवीईएस वीज़ा रद्द माने जाएंगे. एसवीईएस वीज़ा के तहत भारत में मौजूद किसी भी पाकिस्तानी नागरिक के पास भारत छोड़ने के लिए 48 घंटे का समय है.’
अंतिम दो उपाय राजनयिक प्रतिनिधित्व को कम करने के लिए थे, जो पहले ही काफी कम कर दिया गया था.

भारतीय विदेश सचिव ने कहा कि ‘नई दिल्ली स्थित पाकिस्तानी उच्चायोग में रक्षा/सैन्य, नौसेना और वायु सलाहकारों को अवांछित घोषित किया जाता है’ तथा उनके पास भारत छोड़ने के लिए एक सप्ताह का समय है.

पाकिस्तान सरकार के एक्स हैंडल भारत में बंद

इसके अलावा भारत सरकार ने पाकिस्तान सरकार के आधिकारिक एक्स (पूर्व में ट्विटर) एकाउंट तक पहुंच रोक दी है.

बताया जा रहा है कि पाकिस्तानी प्रभारी साद अहमद वराइच को तलब किया गया और उन्हें अवांछित व्यक्ति के नोट सौंपे गए.

उन्होंने कहा, ‘भारत इस्लामाबाद स्थित भारतीय उच्चायोग से अपने रक्षा/नौसेना/वायु सलाहकारों को वापस बुलाएगा. संबंधित उच्चायोगों में इन पदों को निरस्त माना जाएगा. सेवा सलाहकारों के पांच सहायक कर्मचारियों को भी दोनों उच्चायोगों से वापस बुलाया जाएगा.’

इसके अलावा, उन्होंने कहा कि उच्चायोगों की कुल संख्या को वर्तमान 55 से घटाकर 30 तक लाया जाएगा, जो 1 मई, 2025 तक और कटौती के माध्यम से किया जाएगा.

भारत और पाकिस्तान ने 2019 में अनुच्छेद 370 को खत्म होने के बाद अपने उच्चायुक्तों को वापस बुला लिया था.

पाकिस्तान के उपप्रधानमंत्री और विदेश मंत्री इशाक डार ने एक्स पर घोषणा की कि पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने ‘भारत सरकार के बयान पर प्रतिक्रिया देने के लिए’ गुरुवार को राष्ट्रीय सुरक्षा समिति की बैठक बुलाई है.

इससे पहले पाकिस्तानी रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने पहलगाम आतंकी हमले में पाकिस्तान की किसी भी संलिप्तता से इनकार किया था और दावा किया था कि यह एक ‘झूठा अभियान’ हो सकता है.

उन्होंने हम टीवी को दिए एक साक्षात्कार में कहा, ‘हम इस बात से कभी इनकार नहीं कर सकते, इसकी संभावना बनी रहेगी.’

पाकिस्तान के विदेश कार्यालय ने भी एक बयान जारी कर कहा कि इस्लामाबाद ‘भारत के अवैध कब्जे वाले जम्मू और कश्मीर के अनंतनाग जिले में हुए हमले में पर्यटकों की जान जाने से चिंतित है. हम मृतकों के परिजनों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करते हैं और घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करते हैं.’

उल्लेखनीय है कि फरवरी 2019 में भी इसी तरह की घटना हुई थी, जब पुलवामा में हुए आतंकी हमले में 40 भारतीय अर्धसैनिक बल के जवान मारे गए थे. जवाब में भारत ने पाकिस्तान का मोस्ट फेवर्ड नेशन का दर्जा रद्द कर दिया और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में हवाई हमले किए.

पाकिस्तान ने जवाबी हमले करते हुए दावा किया कि उसने भारतीय क्षेत्र में बम गिराए हैं.