पोषण पखवाड़ा में आए चौंकाने वाले आंकड़ें-
मप्र में कुपोषण को समाप्त करने के लिए सरकार कई योजनाएं और कार्यक्रम चला रही है। लेकिन विडंबना यह है कि कुपोषण कम होने की बजाय बढ़ रहा है। पोषण पखवाड़े के दौरान चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए है। उसके अनुसार जहां प्रदेश में 2025 में कम वजन वाले बच्चों की संख्या में पिछले साल की तुलना में 2 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है, जबकि इसी अवधि में कम वजन वाले बच्चों की संख्या में 1 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। यह दर्शाता ह कि राज्य में 0-6 वर्ष आयु वर्ग के बच्चों में कुपोषण पिछले एक साल में थोड़ा बढ़ा है। वहीं शिवपुरी, अशोकनगर में आधे से अधिक बच्चे कुपोषित पाए गए हैं। पोषण ट्रैकर ऐप के अनुसार, मार्च 2024 में राज्य में कम वजन वाले बच्चों का प्रतिशत 23 था। इस साल मार्च में यह बढ़कर 25 प्रतिशत हो गया। इसी अवधि में बौने बच्चों का प्रतिशत 40 प्रतिशत से बढ़कर 41 प्रतिशत हो गया। अखिल भारतीय स्तर पर, 2025 में कम वजन वाले बच्चों का प्रतिशत 16 प्रतिशत और बौने बच्चों का प्रतिशत 36 प्रतिशत था। इस प्रकार, प्रदेश में कम वजन वाले बच्चों का प्रतिशत राष्ट्रीय स्तर से 7 प्रतिशत अधिक था और बौने बच्चों का प्रतिशत 16 प्रतिशत अधिक था।
भोपाल में 33 प्रतिशत बच्चे बौने
राजधानी भोपाल में भी 2025 में 33 प्रतिशत बच्चे बौने और 18 प्रतिशत कम वजन वाले थे। पिछले साल ये दोनों आंकड़े क्रमश: 32 प्रतिशत और 15 प्रतिशत थे। शिवपुरी में मार्च 2025 में बौने बच्चों का प्रतिशत 55 प्रतिशत था, जो पिछले साल 49 प्रतिशत था। इसी तरह, कम वजन वाले बच्चों का प्रतिशत पिछले एक साल में 26 प्रतिशत से बढक़र 30 प्रतिशत हो गया। अशोकनगर जिले में मार्च 2024 और मार्च 2025 के बीच अविकसित बच्चों का प्रतिशत 47 प्रतिशत से बढकऱ 51 प्रतिशत और कम वजन वाले बच्चों का प्रतिशत 28 प्रतिशत से बढक़र 29 प्रतिशत हो गया। इंदौर में, मार्च 2025 में, 34 प्रतिशत बच्चे अविकसित और 19 प्रतिशत कम वजन वाले थे। 2024 में यह क्रमश: 33 प्रतिशत और 17 प्रतिशत था। उज्जैन में, बौने बच्चों का प्रतिशत 37 प्रतिशत से बढक़र 42 प्रतिशत और कम वजन वाले बच्चों का प्रतिशत 21 प्रतिशत से बढक़र 26 प्रतिशत हो गया। जबलपुर में भी, पिछले एक साल में बच्चों में कुपोषण की दर में वृद्धि हुई है – बौने बच्चों का प्रतिशत 39 प्रतिशत से बढक़र 44 प्रतिशत और कम वजन वाले बच्चों का प्रतिशत 20 प्रतिशत से बढक़र 25 प्रतिशत हो गया है। प्रदेश 2025 तक कम वजन वाले बच्चों की संख्या में पिछले वर्ष की तुलना में 2 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जबकि इसी अवधि में अविकसित बच्चों की संख्या में 1 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। इससे यह पता चलता है कि राज्य में 0 से 6 वर्ष आयु वर्ग के बच्चों में कुपोषण पिछले एक साल की तुलना में थोड़ा बढ़ा है। महिला एवं बाल विकास मंत्री निर्मला भूरिया का कहना है कि बेहतर निगरानी और रिकॉर्ड रखने की वजह से संख्या में वृद्धि हो सकती है। केंद्र और राज्य सरकारें बच्चों में कुपोषण से निपटने के लिए गहन प्रयास कर रही हैं। हम इस दिशा में काम करना जारी रखेंगे।