वीडी हो सकते हैं रिपीट नहीं तो नरोत्तम या हेमंत

मुख्यमंत्री की जिस नाम पर होगी हरी झंडी उसे ही मिलेगी संगठन की कप्तानी.

मंगल भारत। मनीष द्विवेदी। मप्र भाजपा के नए मुखिया को लेकर हलचल तेज हो गई है। दिल्ली से मिले संकेतों से यह तय है कि मप्र भाजपा का अध्यक्ष वही होगा, जिसके नाम को मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव हरी झंडी दिखाएंगे। इस बीच प्रदेश की राजनीतिक वीथिका में कयास लगने शुरू हो गए हैं कि पहले तो वीडी शर्मा को रिपीट किया जा सकता है, नहीं तो फिर डॉ. मोहन की पसंद नरोत्तम मिश्रा या हेमंत खंडेलवाल में से कोई एक हो सकता है। दरअसल प्रदेश में संगठन अब तक यह तय नहीं कर सका है कि अगला प्रदेशाध्यक्ष कौन होगा। मौजूदा अध्यक्ष वीडी ही काम करेंगे या फिर उनकी जगह कोई और लेगा। वीडी शर्मा पांच साल से ज्यादा समय से राज्य पार्टी के अध्यक्ष हैं। मप्र भाजपा के बूथ से लेकर जिला स्तर तक के चुनाव जनवरी में पूरे हो गए थे। ऐसे में नए प्रदेश अध्यक्ष का इंतजार लंबा होता जा रहा है। वैस तो मप्र में भाजपा अध्यक्ष के लिए कई नेताओं के नाम सामने आ रहे हैं। बैतूल विधायक हेमंत खंडेलवाल, डॉ. नरोत्तम मिश्रा, डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ल, सांसद फग्गन सिंह कुलस्ते व राज्यसभा सदस्य सुमेर सिंह सोलंकी का नाम भी रेस में शामिल है। माना जा रहा है कि संघ, संगठन और सामान्य वर्ग के दिग्गजों की अध्यक्ष पद पर नजर बनी हुई है और मौजूदा अध्यक्ष वीडी शर्मा मजबूती के साथ मैदान में डटे हुए हैं। चर्चा उन्हें भी एक्टेंशन दिए जाने की है। संभावना है कि आरएसएस के पसंदीदा होने और प्रभावशाली संगठनात्मक रिकॉर्ड होने के कारण उन्हें दूसरा कार्यकाल मिल सकता है।
मुख्यमंत्री की पसंद सर्वोपरि
भाजपा सूत्रों का कहना है कि दिल्ली दरबार से मिले संकेत के बाद मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की पसंद के नेता को ही प्रदेश अध्यक्ष बनाया जाएगा। ऐसे में सबकी नजर मुख्यमंत्री पर टिक गई है। भाजपा में भी यह चर्चा जोरों पर है कि मुख्यमंत्री की पसंद कौन बनेगा। सवर्ण नामों में पूर्व मंत्री नरोत्तम मिश्रा दावेदार माने जा रहे हैं। पूर्व मंत्री नरोत्तम मिश्रा विधानसभा का चुनाव हार गए हैं। इसके बाद उनके लोकसभा और राज्यसभा चुनाव लडऩे की अटकलें थीं, लेकिन उन्हें मौका नहीं मिला। लोकसभा चुनाव के दौरान पार्टी ने उन्हें न्यू ज्वाइनिंग टोली के मुखिया बनाया था। इस दौरान उन्होंने कांग्रेस के कई दिग्गज नेताओं को भाजपा में शामिल कराया जिस कारण से उनको इनाम मिल सकता है। मिश्रा, जो एक ब्राह्मण हैं, दो दशकों तक कैबिनेट मंत्री रहे हैं और उन्होंने स्वास्थ्य, जल संसाधन, गृह और विधायी मामलों जैसे महत्वपूर्ण विभाग संभाले हैं। मप्र में भाजपा ने जातिगत समीकरण का संतुलन बनाया है। सीएम मोहन यादव ओबीसी वर्ग से आते हैं। वहीं, ओबीसी वर्ग के दूसरे बड़े नेता शिवराज सिंह चौहान केंद्र में मंत्री हैं। सवर्ण समाज से राजेन्द्र शुक्ला डेप्युटी सीएम हैं। वहीं, आदिवासी वर्ग से जगदीश देवड़ा डेप्युटी सीएम हैं। वीडी शर्मा प्रदेश अध्यक्ष हैं। नए प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति में भाजपा जातिगत समीकरण को साध सकती है।
मुलाकातों ने बढ़ाई संभावना
नरोत्तम मिश्रा की अमित शाह से मुलाकात ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है। गतदिनों अमित शाह मप्र और नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड के डेयरी यूनियनों के बीच एक समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए भोपाल आए थे। लंच के दौरान मिश्रा और शाह के बीच बातचीत हुई और बाद में उनकी एक लंबी मीटिंग भी हुई। इस घटनाक्रम ने राज्य भाजपा में संभावित नेतृत्व परिवर्तन और आगामी 2028 के विधानसभा चुनावों के लिए पार्टी की रणनीति को लेकर चर्चाओं को जन्म दिया है। अटकलें लगाई जा रही हैं कि नरोत्तम मिश्रा को कोई बड़ी जिम्मेदारी मिल सकती है। मिश्रा राज्य भाजपा के उन नेताओं में से हैं ,जिन्हें अमित शाह का करीबी माना जाता है। शहरी प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय भी शाह के करीबियों में गिने जाते हैं। 25 फरवरी को, भोपाल में ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में अमित शाह के भाषण के बाद, जब वे नई दिल्ली के लिए रवाना होने वाले थे, तो उन्होंने कैलाश विजयवर्गीय को फोन किया। उस समय विजयवर्गीय उज्जैन में एक शादी में जा रहे थे। शाह का फोन आने के बाद विजयवर्गीय तुरंत वापस लौटे और स्टेट हैंगर के लिए रवाना हो गए। शाह और विजयवर्गीय के बीच आधे घंटे से ज्यादा बात हुई थी। उस मीटिंग के बाद भी राजनीतिक गलियारों में खूब चर्चा हुई थी।
हेमंत व नरोत्तम सबसे आगे
प्रदेश अध्यक्ष की दौड़ में हेमंत खंडेलवाल और डॉ. नरोत्तम मिश्रा सबसे आगे हैं। सूत्रों के मुताबिक हेमंत व नरोत्तम शीर्ष नेतृत्व के कई दिग्गजों के संपर्क में बताए जा रहे हैं। संघ के कुछ नेताओं से भी संपर्क कर चुके हैं तो कैबिनेट मंत्रियों का भी भरोसा जीतने का प्रयास कर रहे हैं। प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव में भाजपा जातिगत और क्षेत्रीय समीकरण को भी ध्यान में रखेगी। दरअसल मप्र की राजनीति में भाजपा ने सभी वर्गों को साधने का प्रयास किया है। ब्राह्मण समाज से आने वाले राजेन्द्र शुक्ल को डिप्टी सीएम बनाया है। ऐसे में माना जा रहा है कि भाजपा किसी ब्राह्मण वर्ग से आने वाले नेता को प्रदेश अध्यक्ष बनाएगी। इस लिस्ट में नरोत्तम मिश्रा का पलड़ा भारी माना जा रहा है। वहीं बैतूल से विधायक हेमंत खंडेलवाल का नाम भी भाजपा प्रदेश अध्यक्ष की रेस में सामने आ रहा है। अगर भाजपा हेमंत खंडेलवाल को प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपती है तो यह वाकई में चौंकाने वाला फैसला होगा। मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा का कार्यकाल पूरा हो चुका है। वीडी शर्मा को एक्सटेंशन दिया गया था। ऐसे में माना जा रहा है कि भाजपा वीडी शर्मा को रिपीट नहीं करेगी। हालांकि अंतिम फैसला पार्टी हाईकमान को करना है। राज्यसभा सांसद सुमेर सिंह सोलंकी के साथ दुर्गादास उइके का भी नाम शामिल है। हालांकि दुर्गादास उइके मोदी कैबिनेट में मंत्री हैं इसलिए उनके प्रदेश अध्यक्ष बनने की संभावना कम ही है। सुमेर सिंह सोलंकी लो प्रोफाइल नेता हैं और आरएसएस बैकग्राउंड से आते हैं। अगर पार्टी आदिवासी चेहरे पर दांव लगाती है तो मंडला लोकसभा सीट से सांसद फग्गन सिंह कुलस्ते का नाम सबसे आगे हैं। वह केंद्र सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं। इस बार उन्हें मंत्री नहीं बनाया गया है। ऐसे में माना सकता है कि वह रेस में शामिल हैं।