कश्मीर: सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बावजूद प्रशासन ने बिना नोटिस पहलगाम हमले के आरोपी, अन्य के घर ढहाए

पहलगाम आतंकी हमले के बाद पिछले तीन दिनों में कश्मीर के कई हिस्सों में लश्कर-ए-तैयबा के संदिग्ध सदस्यों के परिवारों के कम से कम नौ घरों को ध्वस्त कर दिया गया है. इस कार्रवाई के चलते कम से कम दो संदिग्धों के परिवार सड़क पर आ गए हैं.

गुरी, अनंतनाग: पहलगाम आतंकी हमले के बाद पिछले तीन दिनों में कश्मीर के कई हिस्सों में लश्कर-ए-तैयबा के संदिग्ध सदस्यों के परिवारों के कम से कम नौ घरों को ध्वस्त कर दिया गया है.

रविवार (27 अप्रैल) को आई ख़बरें बताती हैं कि कश्मीर के अनंतनाग, बांदीपोरा, कुपवाड़ा, कुलगाम, पुलवामा और शोपियां जिलों में नौ संदिग्ध आतंकवादियों के परिवारों के घरों को ध्वस्त कर दिया गया, जिनमें से कुछ पर पहलगाम हमले में शामिल होने का आरोप है.

इनमें से सात के घर गुरुवार (24 अप्रैल) और शुक्रवार (25 अप्रैल) को ध्वस्त कर दिए गए, जबकि दो और घरों को शनिवार रात को ध्वस्त किया गया.

ऐसा माना जा रहा है कि संदिग्ध प्रतिबंधित जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर, हिजबुल मुजाहिदीन और उनके सहयोगियों के सदस्य हैं.

संदिग्ध लश्कर सदस्यों की पहचान पुलवामा के रहने वाले अहसान उल हक शेख, आसिफ अहमद शेख और आमिर नजीर, बांदीपोरा जिले के जमील अहमद शेरगोजरी, कुलगाम जिले के जाकिर अहमद गनी, शोपियां जिले के रहने वाले शाहिद अहमद कुटे और अदनान शफी डार, अनंतनाग जिले के आदिल थोकर और कुपवाड़ा के रहने वाले फारूक अहमद तड़वा के रूप में हुई है.

शेख और थोकर पर पहलगाम हमले में सीधे तौर पर शामिल होने का आरोप है. ख़बरों के अनुसार, कुटे और गनी 2022 और 2023 में आतंकवाद का रास्ता अख्तियार किया था. ऐसा कहा जा रहा है कि कुछ लोग आतंकवादी संगठनों में शामिल होने से पहले 2018 में वैध पासपोर्ट पर पाकिस्तान गए थे.

माना जा रहा है कि अधिकारियों ने इमारतों को उड़ाने के लिए नियंत्रित विस्फोटों का इस्तेमाल किया, जिसके परिणामस्वरूप कथित तौर पर उनके आसपास के कुछ घरों को नुकसान पहुंचा. जम्मू-कश्मीर प्रशासन, भारतीय सेना या जम्मू-कश्मीर पुलिस की ओर से इन ध्वस्तीकरणों के बारे में कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है.

सुप्रीम कोर्ट के ध्वस्तीकरण पर निर्देश

उल्लेखनीय है कि जहां कश्मीर में रिहायशी मकानों को उनके मालिकों को कारण बताओ नोटिस जारी किए बिना ध्वस्त किया गया है, वहीं हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि संविधान के मूल ढांचे के तहत आश्रय का अधिकार एक मौलिक अधिकार है.

अदालत ने इलाहाबाद के उक्त मामले में प्रभावित अपीलकर्ताओं को मुआवज़ा देने का भी आदेश दिया था. अदालत ने कहा था कि इन मामलों में कारण बताओ नोटिस व्यक्तिगत रूप से या पंजीकृत डाक से नहीं दिए गए थे, बल्कि केवल ध्वस्तीकरण से पहले उनकी संपत्तियों पर चिपका दिए गए थे.

अदालत ने यह कहते हुए कि इस मामले ने उसकी ‘अंतरात्मा को झकझोर दिया’, अधिकारियों और विशेष रूप से प्रयागराज विकास प्राधिकरण को यह याद दिलाया था कि आश्रय का अधिकार भी संविधान के अनुच्छेद 21 का एक अभिन्न अंग है. साथ ही कहा था कि अफसर कानून द्वारा प्रभावित पक्षों को विध्वंस से पहले कारण बताने का उचित अवसर देने के लिए बाध्य थे.
हमारे पास बस दो कमरे थे’

पहलगाम हमले में शामिल पांच संदिग्ध लश्कर सदस्यों में से एक आसिफ शेख की बहन यास्मीना ने द वायर से बात करते हुए कहा कि जब उन्हें पता चला कि उनके पिता को हमले के दिन पुलिस ने हिरासत में लिया था, वह गुरुवार को त्राल के मोंघामा गांव में अपने माता-पिता के घर गई थीं.

‘जब वहां पहुंची, तो देखा कि मेरी मां और बहनों को भी पुलिस ले गई थी. रात के समय मैंने भेस बदले एक व्यक्ति को देखा जो शायद बम लगाने आया था. हमें (पहलगाम में) हमले के बारे में कोई जानकारी नहीं है. यह घर हमारे दादा ने बनवाया था. इसमें हमारे पास केवल दो कमरे हैं, लेकिन उन्होंने इसे पूरी तरह से तबाह कर दिया है,’ उन्होंने बताया.

यास्मीना ने कहा, ‘भले ही मेरा भाई पहलगाम हमले में शामिल था, लेकिन हमारे परिवार का इससे क्या लेना-देना है? हमारे माता-पिता को उनकी कोई गलती न होने की सजा क्यों दी जा रही है?’

दक्षिण कश्मीर में ऐसे दो परिवारों, जिनके घरों को सुरक्षा बलों ने निशाना बनाया, के अनुसार प्रशासन या अधिकारियों ने तोड़फोड़ करने से पहले उन्हें कोई कारण बताओ नोटिस नहीं दिया.
बेटे को तो घर का हिस्सा ही नहीं मिला था’

पहलगाम हमले में शामिल होने के आरोपी आदिल थोकर की मां शहजादा बानो ने द वायर को बताया कि सुरक्षा बलों ने गुरुवार रात उनके गांव की घेराबंदी की थी. उन्होंने कहा कि उनके पति को दो बेटों के साथ 22 अप्रैल को ही पुलिस ने हिरासत में ले लिया गया था.

अनंतनाग जिले के गुरी गांव की निवासी बानो ने कहा, ‘मैं घर पर अकेली थी. एक सुरक्षाकर्मी ने मुझे बाहर आने को कहा क्योंकि उन्हें घर की तलाशी लेनी थी. कुछ ही मिनटों में पूरा गांव खाली हो गया और लोगों को आदेश दिया गया कि वे अपने लिए ठिकाना खोजें क्योंकि विस्फोट होने वाला था.’

हालांकि अधिकारियों ने इस कार्रवाई के बारे में कुछ नहीं कहा है, लेकिन सुरक्षा बलों के हवाले से एक मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि गुरुवार रात थोकर के घर की तलाशी के दौरान विस्फोटक ‘पहले से ही घर के अंदर रखे गए थे (जो) फट गए.’

अब अपने देवर के घर में रह रही बानो ने कहा कि अधिकारियों ने उनके घर को ध्वस्त करने से पहले कोई नोटिस नहीं दिया. अब इस घर का एक हिस्सा मलबे में तब्दील हो चुका है. उन्होंने कहा कि यह घर उनके ससुर ने बनवाया था, जो कई साल पहले गुजर चुके हैं और सरकार की कार्रवाई के चलते उन्हें विस्थापित होना पड़ा.

वो सवाल करती हैं, ‘मेरे बेटे को घर में उसका हिस्सा भी नहीं मिला था. यह अब भी मेरे पति के नाम पर है. अगर वह (आदिल) हमले में शामिल था, तो शायद कार्रवाई उचित है. लेकिन अगर वह निर्दोष निकला तो हमें कौन मुआवजा देगा?’