पहलगाम हमले के बाद सरकार से सवाल पूछने वाली लखनऊ यूनिवर्सिटी की असिस्टेंट प्रोफेसर माद्री काकोटी उर्फ़ डॉ. मेड्यूसा के ख़िलाफ़ एबीवीपी से जुड़े एक छात्र की शिकायत पर एफआईआर दर्ज हुई है. उन पर देश की संप्रभुता और एकता को ख़तरे में डालने समेत कई गंभीर धाराओं के तहत आरोप लगाए गए हैं.
नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश पुलिस ने लोक गायिका नेहा सिंह राठौर के बाद एक्टिविस्ट व प्रोफेसर माद्री काकोटी उर्फ डॉ. मेड्यूसा के खिलाफ देश की संप्रभुता, एकता और अखंडता को खतरे में डालने समेत कई धाराओं में एफआईआर दर्ज की है.
डॉ. मेड्यूसा लखनऊ यूनिवर्सिटी में भाषा विज्ञान विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर हैं. वह सोशल मीडिया के माध्यम से सामाजिक एवं राजनीतिक मुद्दों को उठाती रहती हैं. साथ ही सरकार की आलोचना के लिए अक्सर व्यंग्यात्मक शैली अपनाती हैं.
हाल ही में उन्होंने पहलगाम आतंकी हमले के बाद एक वीडियो पोस्ट किया था, जो पाकिस्तान में भी वायरल हुआ. इसमें उन्होंने धार्मिक आधार पर देश में एकता की कमी को रेखांकित करते हुए और कश्मीरियों की सुरक्षा की मांग की थी. उन्होंने कहा कि देश इतना बंटा हुआ है कि दंगे भड़कने में एक पल भी नहीं लगेगा.
डॉ. मेड्यूसा का एक और पोस्ट सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है, जिसमें उन्होंने लिखा था-
‘धर्म पूछकर गोली मारना आतंकवाद है.
और धर्म पूछकर लिंच करना,
धर्म पूछकर नौकरी से निकालना,
धर्म पूछकर घर न देना,
धर्म पूछकर घर बुलडोज़ करना, वगैरह वगैरह भी आतंकवाद है.
असली आतंकी को पहचानो.’
अब डॉ. मेड्यूसा के खिलाफ लखनऊ के हसनगंज थाने में एफआईआर दर्ज हुई है. शिकायतकर्ता लखनऊ विश्वविद्यालय का छात्र है. जतिन शुक्ला नाम का यह छात्र राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के छात्र संगठन एबीवीपी से जुड़ा बताया जा रहा है. शुक्ला का मानना है कि डॉ. मेड्यूसा के हालिया पोस्ट देश की शांति और सद्भावना को भंग कर सकते हैं.
एफआईआर के अलावा डॉ. मेड्यूसा पर विभागीय कार्रवाई का संकट भी मंडरा रहा है. 28 अप्रैल को लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलसचिव विद्या नंद त्रिपाठी ने माद्री काकोटी के नाम एक कारण बताओ नोटिस जारी किया.
नोटिस में ‘असली आतंकी को पहचानो’ वाले सोशल मीडिया पोस्ट का जिक्र करते हुए लिखा है, ‘आपके इस कृत्य से देश व समाज के प्रति गलत संदेश गया है. आपका उक्त कृत्य लखनऊ विश्वविद्यालय की प्रथम परिनियमावली की अनुसूची सी (कोड ऑफ कन्डक्ट फॉर टीचर्स) में शिक्षकों हेतु निर्धारित व्यवस्था के प्रतिकूल है. आतंकवाद सम्पूर्ण विश्व देश व समाज सब के लिए विष के समान एवं घातक तथा अमानवीय है. आपकी उक्त टिप्पणी से छात्रों में व्यापक रोष व्याप्त है और आपके विरुद्ध कार्यवाही की मांग की जा रही है.’
नोटिस में पूछा गया है, ‘आपको निर्देशित किया जाता है कि उक्त कृत्य के संबंध में अपना स्पष्टीकरण पांच कार्य दिवस के अंदर साक्ष्य सहित उपलब्ध कराना सुनिश्चित करें. साथ ही यह भी स्पष्ट करें कि आपके उक्त कृत्य के लिए क्यों न आपके विरुद्ध अनुशासनिक कार्यवाही प्रारम्भ कर दी जाए.’
नेहा सिंह राठौर और डॉ. मेड्यूसा, दोनों के मामलों में भारतीय न्याय संहिता की विभिन्न उपधाराएं लगाई गई हैं:
धारा 196: धर्म, नस्ल, जन्म स्थान, भाषा आदि के आधार पर विभिन्न समूहों में दुश्मनी को बढ़ावा देना
धारा 197: राष्ट्रीय एकता को नुकसान पहुंचाने वाले आरोप या दावे
धारा 353: लोक विघटन से संबंधित बयान
धारा 302: धार्मिक भावनाओं को जानबूझकर आहत करने वाले शब्द
धारा 152: भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को खतरे में डालने वाले कृत्य (बीएनएस में सीधे तौर पर राजद्रोह (जो पहले भारतीय दंड संहिता की धारा 124A में था) का जिक्र नहीं है, लेकिन नई आपराधिक संहिता में धारा 152 लगभग वही काम करता है.)
इसके अलावा सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 69A भी इन पर लागू की गई है, जो सरकार को इंटरनेट कंटेंट को ब्लॉक करने का अधिकार देती है.