पहलगाम आतंकी हमले पर संसद के विशेष सत्र की बढ़ती मांग के बीच दोनों सदनों के विपक्ष के नेताओं सहित सांसदों ने केंद्र सरकार को कम से कम चार पत्र लिखे हैं. इनमें कहा गया कि इस महत्वपूर्ण समय में भारत को यह दिखाना होगा कि हम आतंकवाद के ख़िलाफ़ हमेशा एकजुट हैं.
नई दिल्ली: पहलगाम आतंकी हमले पर संसद के विशेष सत्र की बढ़ती मांग के बीच दोनों सदनों के विपक्ष के नेताओं सहित सांसदों ने केंद्र सरकार को कम से कम चार पत्र लिखे हैं.
लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी और राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दो अलग-अलग पत्रों में विशेष सत्र बुलाने की मांग की है.
गांधी ने अपने पत्र में कहा, ‘इस महत्वपूर्ण समय में भारत को यह दिखाना होगा कि हम आतंकवाद के खिलाफ हमेशा एकजुट हैं.’
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने मोदी को पत्र लिखकर शीघ्र ही विशेष सत्र बुलाने की मांग की.
खरगे ने अपने पत्र में लिखा, ‘इस समय, जब एकता और एकजुटता आवश्यक है, विपक्ष का मानना है कि संसद के दोनों सदनों का विशेष सत्र जल्द से जल्द बुलाना महत्वपूर्ण है.’
इसमें कहा गया है, ‘यह 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम में निर्दोष नागरिकों पर हुए क्रूर आतंकवादी हमले से निपटने के हमारे सामूहिक संकल्प और इच्छाशक्ति का एक शक्तिशाली प्रदर्शन होगा. हमारी हार्दिक आशा है कि सत्र तदनुसार बुलाया जाएगा.’
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) के सांसद पी.संदोष कुमार और राजद सांसद मनोज कुमार झा ने भी अलग-अलग पत्रों में सोमवार (28 अप्रैल) को केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर सत्र बुलाने की मांग की.
झा ने लिखा कि संसद को ‘पहलगाम हमले के पीड़ितों को हार्दिक श्रद्धांजलि अर्पित करने, उनकी स्मृति का सम्मान करने और एकता, न्याय और शांति के साझा आदर्शों के प्रति हमारी प्रतिबद्धता की पुष्टि करने के लिए एक साथ आना चाहिए.’
उन्होंने अपने पत्र में कहा, ‘ऐसे समय में यह आवश्यक है कि सरकार राष्ट्र और उसके निर्वाचित प्रतिनिधियों को पूर्ण विश्वास में ले. राजनीतिक सीमाओं के पार पारदर्शी संवाद और खुली भागीदारी लोकतांत्रिक संस्थाओं में लोगों के विश्वास को मजबूत करती है और प्रतिकूल परिस्थितियों से उबरने के लिए आवश्यक सामूहिक संकल्प को मजबूत करती है. परामर्श और आम सहमति के माध्यम से बनाई गई साझा राष्ट्रीय प्रतिक्रिया एकता को बनाए रखने और राष्ट्र की सुरक्षा के लिए सबसे सुरक्षित मार्ग है.’
झा ने प्रधानमंत्री से आग्रह किया कि वे इस सत्र को विशेष रूप से पहलगाम हमले और भारत के लोगों की सुरक्षा, कल्याण और आकांक्षाओं पर इसके व्यापक प्रभाव पर एक खुली और सैद्धांतिक चर्चा के लिए समर्पित करें, ताकि एक शक्तिशाली और आश्वस्त करने वाला संदेश भेजा जा सके.
रिजिजू को लिखे एक अलग पत्र में भाकपा के कुमार ने जल्द से जल्द संसद का विशेष सत्र बुलाने का भी आग्रह किया.
उन्होंने लिखा, ‘ऐसा सत्र विभिन्न दलों के सदस्यों को एक स्वर में एकत्रित होकर क्षति पर शोक व्यक्त करने, राष्ट्र की इच्छा व्यक्त करने तथा यह स्पष्ट और कड़ा संदेश देने का अवसर देगा कि भारत उन लोगों के विरुद्ध एकजुट और दृढ़ है जो आतंकवादी कृत्यों के माध्यम से हमें नुकसान पहुंचाना चाहते हैं.’
कुमार ने कहा कि संसद को राजनीतिक मतभेदों से ऊपर उठकर जनता की भावनाओं को मूर्त रूप देना चाहिए.
उन्होंने लिखा, ‘राष्ट्रीय शोक की इस घड़ी में लोकतंत्र के सर्वोच्च मंच से एकजुटता की सामूहिक अभिव्यक्ति समसामयिक और आवश्यक दोनों होगी.’
इससे पहले रविवार को निर्दलीय सांसद कपिल सिब्बल ने एक बयान में कहा कि उन्होंने सुझाव दिया है कि ‘दुख की इस घड़ी में राष्ट्र की एकता दिखाने के लिए’ संसद का एक विशेष सत्र बुलाया जाना चाहिए.
उन्होंने कहा, ‘मैं सभी राजनीतिक दलों से अनुरोध करता हूं कि वे सरकार से मई में यथाशीघ्र ऐसा सत्र बुलाने का आग्रह करें.’