भोपाल/मंगल भारत.
मध्य प्रदेश देश का पहला ऐसा राज्य बन गया है, जहां आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित रियल-टाइम फॉरेस्ट अलर्ट सिस्टम को पायलट प्रोजेक्ट के रूप में लागू किया गया है। इस सिस्टम की मदद से वन विभाग अब जंगलों में अवैध कब्जा, पेड़ों की कटाई, भूमि के गलत इस्तेमाल वन क्षरण जैसी गतिविधियों की सीधे निगरानी कर पाएगा। वन विभाग के मुताबिक यह अत्याधुनिक प्रणाली सैटेलाइट इमेज, मोबाइल फीडबैक और मशीन लर्निंग के जरिए काम करती है और इसे राज्य के पांच संवेदनशील वन मंडलों-शिवपुरी, गुना, विदिशा, बुरहानपुर और खंडवा में पायलट रूप में लागू किया गया है। इन क्षेत्रों में हाल के वर्षों में कई बार अतिक्रमण और पेड़ कटाई की घटनाएं सामने आ चुकी हैं। इस योजना को मुख्य वन बल प्रमुख असीम श्रीवास्तव और अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक (आईटी) बीएस अन्निगेरी के नेतृत्व और संस्थागत समर्थन से लागू किया गया है। इस नवाचार से अब वन क्षेत्र की रखवाली और संरक्षण पहले से अधिक सक्षम और प्रभावशाली हो सकेगा। यह पहल देश के अन्य राज्यों के लिए भी मॉडल साबित हो सकती है।
कैसे काम करता है एआई फॉरेस्ट अलर्ट सिस्टम
सिस्टम गूगल अर्थ इंजिन पर आधारित है जो मल्टी-टेम्पोरल सेटेलाइट डेटा का विश्लेषण करता है। इसमें तीन अलग-अलग तारीखों की सैटेलाइट इमेज को मिलाकर फसल, बंजर भूमि, निर्माण आदि में बदलाव की पहचान की जाती है। हर संभावित बदलाव की जानकारी मोबाइल ऐप के जरिए फील्ड स्टाफ को भेजी जाती है, ताकि वे मौके पर जाकर पुष्टि कर सकें।
प्रत्येक अलर्ट में 20 से अधिक फीचर्स शामिल
यह आधुनिक सिस्टम है, जिसमें प्रत्येक अलर्ट में 20 से अधिक फीचर्स शामिल होते हैं। इसमें पिक्सेल बदलाव पर आधारित पॉलीगॉन अलर्ट, फील्ड स्टाफ द्वारा टैग्ड फोटो, वॉयस नोट्स और टिप्पणियां भी शामिल हैं। इस प्रणाली की परिकल्पना गुना डीएफओ अक्षय राठौर ने की है। उन्होंने बताया कि यह पहली बार है जब वन विभाग ने सेटेलाइट, एआई और फील्ड फीडबैक को एक निरंतर चक्र में जोडक़र उपयोग किया है।
डैशबोर्ड से लाइव मॉनिटरिंग भी सुविधा
यह प्रणाली एक सतत फीडबैक साइकिल पर काम करती है- अलर्ट जनरेशन, फील्ड वेरिफिकेशन और डेटा अपलोड के जरिए सिस्टम खुद को समय के साथ बेहतर बनाता है। हर वन मंडल अधिकारी के डैशबोर्ड पर लाइव मॉनिटरिंग की सुविधा उपलब्ध है, जिसमें रीयल-टाइम अलर्ट देखे जा सकते हैं, जिन्हें बीट, क्षेत्र, तिथि और घनत्व के अनुसार फ़िल्टर किया जा सकता है। मोबाइल एप में जियो फेंसिंग, दूरी मापन और सर्वे डेटा अपलोड जैसे फीचर्स भी मौजूद हैं।