सीएम राइज स्कूल साबित हुए फिसड्डी.
भोपाल/मंगल भारत.
सरकार जिन स्कूलों को शिक्षा के लिए सर्वसम्पन्न बनाने में लगी हुई है, वे सीएम राइज स्कूल परीक्षा परिणाम में फिसड्डी साबित हुए हैं। हालत यह है कि इन स्कूलों का कोई भी छात्र टॉप टेन में जगह नहीं बना सका है। लगभग यही हालत बड़े शहरों के सरकारी स्कूलों की रही है। उनमें राजधानी भोपाल के स्कूल भी शामिल हैं। सीएम राइज स्कूलों की हालत यह तब है जबकि इन पर सरकार हर साल करोड़ों रुपए खर्च कर रही है। भोपाल को तो परीक्षा परिणाम के मामले में हालत और भी खराब है। भोपाल को इस मामले में 36 वां स्थान मिला है। ाहर के सीएम राइज स्कूलों से मेरिट की टॉप टेन में कोई विद्यार्थी जगह नहीं बना पाया है। 10वीं में इस बार जिले में 73.28 प्रतिशत तो 12वीं में 73.87 छात्र पास हुए। पिछले साल के मुकाबले नतीजे बेहतर रहे हैं। भोपाल से 10वी, 12वीं की परीक्षा में 35 हजार छात्र शामिल हुए थे। इनमें आठ सीएम राइज स्कूलों के स्टूडेंट भी थे। शिक्षा विभाग के मुताबिक बीते साल 10वीं में 56.56 और 12वीं का रिजल्ट 68 प्रतिशत रहा था।
अधूरी बिल्डिंग, ट्रांसफर में बने रहे शिक्षक: एक्सपर्ट के मुताबिक रिजल्ट बिगड़ने का मुख्य कारण अधूरे संसाधन रहे। राजधानी के आठ सीएम राइज में से अधिकांश के पास अपना भवन तक नहीं है। ऐसे में पढ़ाई कैसे होगी। वहीं छह माह स्कूलों में पढ़ाई ही नहीं है। इस दौरान शिक्षक अपनी पूरी मेहनत मनमाफिक जगह पदस्थापना कराने में ही लगाए रहे।
सुभाष एक्सीलेंस स्कूल के चार छात्रों ने मारी बाजी: राजधानी का सुभाष एक्सीलेंस स्कूल जिला ही नहीं पूरे प्रदेश पर भारी रहा। एक्सीलेंस स्कूल से दसवीं की मेरिट सूची में चार छात्रों ने जगह बनाई है। इसी तरह से बारहवीं में आठ छात्र इस स्कूल के मेरिट सूची में जगह बनाने में सफल रहे हैं। मॉडल स्कूल से दो स्टूडेंट और कन्या जहांगीराबाद स्कूल से एक स्कूल ने मेरिट में जगह बनाई है। बेहतर अंक पाने वालों में ज्यादातर बच्चे मध्यम वर्ग से हैं।
परीक्षा का दोबारा मौका 17 जून से
दसवीं और बारहवीं के स्टूडेंट को कॅरियर काउंसलिंग मंडल ने शुरू की है। फेल होने वाले दसवीं के स्टूडेंट के लिए 17 जून से लेकर 26 जून तक नौ पेपर होंगे। बारहवीं में 17 जून से लेकर 5 जुलाई तक 17 पेपर होगा। मंडल परीक्षा कराएगा। फेल होने वाले इसमें शामिल हो सकेंगे।
नरसिंहपुर का प्रदर्शन सबसे बेहतर
हायर सेकेंडरी के रिजल्ट में शिक्षा मंत्री राव उदय प्रताप सिंह का जिला नरसिंहपुर सबसे बेहतर रहा। यहां 91.91 प्रतिशत रेगुलर और 50.85 फीसदी प्राइवेट स्टूडेंट पास हुए हैं। इस लिस्ट में दमोह जिला सबसे नीचे हैं। यहां 48.05 प्रतिशत रेगुलर और 8.13 फीसदी प्राइवेट स्टूडेंट पास हुए हैं।
किस जिले से कितने टॉपर
– मैथ्स साइंस के टॉप 10 में 25 स्टूडेंट्स, रीवा सबसे आगे
– मैथ्स साइंस में 25 स्टूडेंट टॉपर हैं। इनमें रीवा के 4, मुरैना के 3, रीवा के 3, शिवपुरी के 3, टीकमगढ़ के 3 और सतना के 2 स्टूडेंट हैं।
आट्र्स के टॉप 10 में 26 स्टूडेंट्स, रीवा सबसे आगे
– आट्र्स में 26 स्टूडेंट ने टॉप किया है। इनमें रीवा के 6, छिंदवाड़ा के 4, पन्ना के 3, ग्वालियर के 3 और शहडोल के 2 स्टूडेंट हैं।