वित्त विभाग ने सभी विभागों के लिए जारी की गाइडलाइन.
मप्र में ब्यूरोक्रेट्स अब अपनी मनमानी की सरकारी गाड़ी में नहीं चल सकेंगे। इस संदर्भ में वित्त विभाग ने सभी सरकारी विभागों में नए वाहनों की खरीदी के लिए नई गाइडलाइन्स जारी की हैं। अधिकारी अपनी ग्रेड के आधार पर 7 से 18 लाख तक के वाहन खरीद सकेंगे। गाइड लाइन के अनुसार कलेक्टर-एसपी स्तर के अधिकारी 10 लाख रुपए से अधिक कीमत वाली गाडिय़ों में सफर नहीं कर सकेंगे। कमिश्नर भी 12 लाख रुपए तक की पेट्रोल-डीजल और सीएनजी कारों का ही यूज करेंगे। पेट्रोल, डीजल, सीएनजी के अलावा ईवी भी खरीदने की पात्रता अधिकारियों को दी गई है। जरूरत के आधार पर विभाग वाहन किराये पर भी ले सकेंगे। वित्त विभाग ने सोमवार को नए वाहनों की खरीदी और वाहन किराये पर लेने के लिए सभी सरकारी विभागों के लिए दिशा-निर्देश जारी किए हैं।
दरअसल, वित्त विभाग ने नए वाहनों की खरीदी और वाहन बदलने को लेकर जो गाइडलाइन जारी की उसके अनुसार अधिकारियों के वेतनमान के आधार पर गाडिय़ों की अधिकतम कीमत का निर्धारण किया है। गाइडलाइन के मुताबिक उपसचिव और अपर सचिव स्तर के आईएएस, आईपीएस, आईएफएस अधिकारी अब तय सीमा से अधिक कीमत के वाहन का उपयोग नहीं कर सकेंगे। विभाग ने अखिल भारतीय सेवा के इन अफसरों का सातवें वेतन मान के आधार पर वेतन मैट्रिक्स तय कर गाडिय़ों की कीमतें तय की हैं। ऐसे में इन अधिकारियों द्वारा उपयोग की जा रही लग्जरी गाडिय़ों के उपयोग पर बैन की स्थिति बन सकती है। वित्त विभाग ने सभी विभागों को तय फॉर्मेट में अपनी आवश्यकता भेजने के निर्देश दिए हैं। विभाग ने निर्देश दिए हैं कि उपलब्ध बजट और वाहन की आवश्यकता बताते हुए प्रस्ताव देना होगा। वाहन वित्त विभाग की स्वीकृति के बाद ही खरीदा जा सकेगा। जो वाहन तय 15 साल की अवधि पूरी कर चुके हैं, उन्हें स्क्रैप पॉलिसी के मुताबिक स्क्रैपिंग के लिए देकर सर्टिफिकेट ऑफ डिपॉजिट दिखाना होगा। इसके बाद वित्त विभाग उनके स्थान पर नए वाहनों की खरीदी की स्वीकृति देगा।
वाहनों के लिए स्लैब तय
आमतौर पर अखिल भारतीय सेवा में उप सचिव (सातवें वेतन मान के अंतर्गत वेतन मैट्रिक्स लेवल 12) या अपर सचिव (वेतन मैट्रिक्स लेवल-13) स्तर के जिला कलेक्टर के लिए भी गाड़ी की कीमत तय की गई है। उपसचिव वेतनमान वाले आईएएस को 7 लाख तक पेट्रोल, डीजल, सीएनजी और 10 लाख तक ईवी की पात्रता होगी। अपर सचिव वेतनमान वाले आईएएस अफसर दस लाख रुपए कीमत वाले पेट्रोल, डीजल, सीएनजी या हाइब्रिड वाहन का उपयोग कर सकेंगे। इलेक्ट्रिक वाहन में यह लिमिट 15 लाख होगी। मैट्रिक्स लेवल की यही स्थिति पुलिस महकमे में एसपी, डीआईजी स्तर और वन महकमे में डीएफओ, एसीएफ स्तर के अधिकारियों पर लागू होगी। वित्त विभाग ने नए वाहनों की खरीदी और वाहन बदलने को लेकर भी निर्देश जारी किए हैं। वाहन की कमी होने पर विभाग उपलब्ध बजट का उल्लेख करते हुए वित्त विभाग को जानकारी देंगे। पहले से उपलब्ध वाहन की निर्धारित अवधि पूरी होने के आधार पर वित्त विभाग परमिशन देगा। वित्त विभाग ने सभी विभागाध्यक्षों, कलेक्टरों, संभागीय आयुक्तों को इस संबंध में जारी निर्देश का पालन करने को कहा है।
कमिश्नर के लिए यह व्यवस्था
गाइडलाइन के मुताबिक अपर सचिव स्तर के अधिकारी (सातवें वेतनमान में मैट्रिक्स लेवल 13) दस लाख तक के पेट्रोल, डीजल और सीएनजी वाहन तथा 15 लाख तक के ईवी उपयोग कर सकते हैं। वहीं, सचिव स्तर के (सातवें वेतन मान में मैट्रिक्स लेवल 14 ) वाले अधिकारी 12 लाख तक की पेट्रोल, डीजल, सीएनजी या हाइब्रिड गाड़ी और 18 लाख तक की ईवी का उपयोग कर सकेंगे। आईपीएस, आईएफएस में भी यही वेतन मैट्रिक्स लागू होगा। जारी निर्देशों के मुताबिक अखिल भारतीय सेवा के सातवें वेतन मान के मैट्रिक्स लेवल 14 या उससे अधिक लेवल के आईएएस अफसर 12 लाख तक की गाड़ी और 18 लाख तक की ईवी उपयोग कर सकेंगे। यानी सचिव, प्रमुख सचिव, अपर मुख्य सचिव और मुख्य सचिव एक ही कीमत वाले वाहनों का उपयोग कर सकेंगे। आईपीएस, आईएफएस में भी यही वेतन मैट्रिक्स लागू होगा। वहीं क्लास 2 और 3 कैटेगरी के अफसरों के लिए पेट्रोल, डीजल, सीएनडी, हाइब्रिड वाहनों की कीमत 7 लाख रुपए तय की गई है। ईवी के मामले में यह 10 लाख तक हो सकती है। अखिल भारतीय सेवा में इस कैटेगरी में मैट्रिक्स लेवल 10, 11 और 12 के अधिकारी शामिल होंगे। इसी तरह क्लास 3 अफसरों में सातवें वेतनमान मैट्रिक्स लेवल 9 और 10 वाले अफसर इतनी कीमत वाले वाहनों का उपयोग कर सकेंगे। केंद्र की स्क्रैपिंग पॉलिसी के मुताबिक 1 अप्रैल 2024 से 15 साल से अधिक पुराने सरकारी वाहन हटने थे, पर मप्र सहित लगभग सभी राज्यों में इनकी लिस्टिंग ही पूरी नहीं हो सकी। इस वजह से अब तक इन्हें हटाने का काम प्रारंभिक तौर पर ही जारी है। मप्र में भी सरकारी वाहनों की लिस्टिंग 2024 से शुरू हुई थी, जो अब तक जारी है।