मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के अब तक के कार्यकाल का
आंकलन किया जाए तो यह तथ्य सामने आता है कि उनकी रणनीति साफ है कि जो कहना है, वह करना है। उनकी सरकार भी इसी मंत्र पर काम कर रही है। यानी मोहन ‘राज’ की रणनीति है…घोषणाएं कम…काम अधिक। अपने अब तक के कार्यकाल में मुख्यमंत्री कोरी घोषणाएं करने से परहेज करते नजर आए हैं। उनका पूरा फोकस प्रदेश में एक समान और संतुलित विकास पर है। इसलिए वे केवल वही घोषणाएं कर रहे हैं, जिसे अमलीजामा पहनाया जा सके। इसका परिणाम भी देखने को मिल रहा है कि मुख्यमंत्री द्वारा की गई घोषणाओं का क्रियान्वयन भी कुछ दिनों में शुरू कर दिया जाता है। मोहन यादव ने कई मायनों में यह साबित कर दिया कि उन्हें मुख्यमंत्री बनाने का भाजपा का फैसला दूरदर्शी था। चुनौतियां कई थीं, पर उन्होंने काल के प्रवाह में इन फैसलों को मजबूती में बदलकर नेतृत्व के फैसले को सही साबित किया। शहर से ग्रामीण व्यवस्था तक हर मोर्चे पर सरकार ने अपना विजन बनाकर काम शुरू किया। जो काम प्रदेश में 20 साल में भी नहीं हुए थे उन पर सरकार ने सबसे ज्यादा फोकस किया।
अगर आंकड़ों पर नजर डालें तो 13 दिसंबर 2023 को मुख्यमंत्री का पद संभालने वाले डॉ. मोहन यादव ने डेढ़ साल के भीतर प्रदेश में विकास कामों से जुड़ी सिर्फ 611 ही घोषणाएं की हैं।
भाजपा के ही पूर्व मुख्यमंत्री की तरह उन्हें अभी तक घोषणा वीर का तमगा नहीं मिला है। मोहन किसी भी काम या योजना की घोषणा तभी करते हैं, जब उसके जल्द पूरी होने की संभावना हो, इसलिए डेढ़ साल में की गई घोषणाओं में 150 पूर्ण भी हो गई है। इससे उनका विजन और काम करने का तरीका प्रशंसा के काबिल बन जाता है। मोहन सरकार में अगर सबसे अधिक खुश कोई वर्ग है तो वह है कर्मचारी। सरकार ने कर्मचारियों की वर्षों पुरानी मांगों को पूरा करने की घोषणा तो की है साथ ही उनके क्रियान्वयन की दिशा में भी काम किया है। मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव की अगुवाई वाली सरकार ने महंगाई भत्ते (डीए) को 55 प्रतिशत तक बढ़ाने का ऐलान कर दिया है, जिसके आदेश वित्त विभाग ने 7 मई को जारी कर दिए। यह बढ़ोतरी 1 मई से लागू होगी, और कर्मचारियों को जून के वेतन के साथ इसका लाभ मिलेगा। न केवल सातवें वेतनमान वाले कर्मचारी और पेंशनर्स, बल्कि छठवें वेतनमान वाले कर्मचारियों को भी इस तोहफे का फायदा मिलेगा। वहीं एरियर की राशि जून से अक्टूबर 2025 तक पांच समान किस्तों में दी जाएगी। यह फैसला मध्य प्रदेश के कर्मचारियों और पेंशनर्स के बीच उत्साह की लहर ला रहा है, खासकर ऐसे समय में जब महंगाई ने आम आदमी की कमर तोड़ रखी है। सरकार ने पेंशनर्स और फैमिली पेंशनर्स के लिए भी महंगाई राहत (डीआर) बढ़ाने का आदेश जारी किया है। वित्त विभाग के 30 अक्टूबर 2024 के आदेश के तहत, पेंशनर्स और फैमिली पेंशनर्स को 1 अक्टूबर 2024 से सातवें वेतनमान में 50 प्रतिशत और छठवें वेतनमान में 239 प्रतिशत डीआर दी जा रही थी। यही नहीं सरकार ने कर्मचारियों की पदोन्नति की भी राह खोल दी है।
611 में से 150 घोषणाएं पूर्ण
मप्र का मुख्यमंत्री बने डॉ. मोहन यादव को 508 दिन हो चुके हैं। इस दौरान उन्होंने प्रदेशभर में दौरे भी किए और करोड़ों की लागत के विकास कामों का लोकार्पण तथा शिलान्यास किया है। लेकिन अभी तक उन्हें घोषणा वीर मुख्यमंत्री बनने का तमगा नहीं मिला। वैसे उन्होंने भी इस दौरान 611 घोषणाएं कीं और यह घोषणाएं शहरों का विकास, सडक़ोंं, पुल-पुलियों का निर्माण, स्कूल भवनों का विकास, छोटे शहरों, कस्बों का नाम परिवर्तन, ग्रामीण क्षेत्रों में विकास से जुड़ी घोषणाएं की है। 611 में से अधिकांश घोषणाएं स्कूल हो या शहरों के नाम बदलने की हैं। इनमें से 150 घोषणाएं पूर्ण हो चुकी हैं और 461 अभी लंबित हैं, जिनमें से अधिकांश सतत पूर्ण होने की प्रक्रिया में हैं। इनमें नगरीय विकास एवं आवास की 80, लोक निर्माण, सडक़ोंं के निर्माण की 77, स्कूल शिक्षा से जुड़ी 41 और पंचायतों की 25 घोषणाएं शामिल हैं। इस हिसाब से मुख्यमंत्री के नाते मोहन यादव ने एक दिन में दो भी घोषणा नहीं की।
तीन महीने में पूरी की जा रही घोषणाएं…
भाजपा सरकार में डॉ. मोहन यादव के मुख्यमंत्री बनने से पहले तत्कालीन मुख्यमंत्री रहे उमा भारती, बाबूलाल गौर के समय हर दिन 15 से 20 घोषणाएं की जाती रही हैं। खासकर तत्कालीन सीएम शिवराज सिंह के समय काफी घोषणाएं हुई थीं। उनके कार्यकाल में घोषणाओं की संख्या 15 से 20 हजार के बीच थी। बाद में वे पूरी भी कराई गई, लेकिन शिवराज को तत्कालीन समय में घोषणा वीर का तमगा विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने दिया था? कमलनाथ ने तो इस मुद्दे पर कई बार शिवराज के खिलाफ ट्वीट भी किए, लेकिन मोहन के समय में ऐसी घोषणाओं की अभी तक बारिश नहीं हुई है। मुख्यमंत्री के नाते मोहन यादव प्रदेशभर में दौरे कर रहे हैं और वे जहां भी लोकार्पण, शिलान्यास करते हैं, उनमें से अधिकांश काम विधायकों की अनुशंसा पर किए जा रहे हैं। वर्तमान में अधिकांश लोकार्पण सीएम राइज स्कूल को लेकर हो रहे हैं। इस दौरान विधायक मुख्यमंत्री से क्षेत्र की समस्या, बिजली, पानी, सड़कों को लेकर घोषणा करने की मांग करते हैं, तो सीएम यादव विधायक से कहते हैं कि अगली बार क्या मुझे नहीं बुलाएंगे? अभी इतनी ही घोषणा काफी है, जो जल्द पूरी हो सके। अगली बार आएंगे, तो अन्य घोषणाओं पर बात करेंगे। इसके कारण भी घोषणाओं की संख्या में वृद्धि नहीं हुई हैं। लेकिन मोहन जो भी घोषणा कर रहे हैं, उसे सीएम मॉनिट-ए प्लस में तीन महीने के भीतर पूरा करा लिया जाता है, इसके लिए सीएम से जुड़ी घोषणाओं के लिए एक पोर्टल बनाया गया है, जिसकी लगातार समीक्षा करने के काम एक अपर सचिव स्तर के अफसर द्वारा किया जाता है, इससे घोषणाओं की संख्या में कमी आ रही है।
सियासी मोर्चे पर भी सफल हुए सीएम मोहन
मुख्यमंत्री मोहन यादव न केवल सरकार चलाने में सफल साबित हुए, बल्कि राजनीतिक मोर्चे पर भी सफल रहे। 2024 के लोकसभा चुनाव में सभी 29 लोकसभा सीटों पर जीत हासिल कर राजनीतिक पंडितों को हैरान कर दिया। कांग्रेस के देश में सबसे मजबूत गढ़ों में शामिल रही छिंदवाड़ा सीट पर भी 26 साल बाद जीत दर्ज की। इससे पहले अमरवाड़ा विधानसभा उपचुनाव में जीत से पार्टी में अपना कद बता चुके थे। सत्ता और भाजपा संगठन के बीच बेहतर तालमेल देखा गया है। जमीनी स्तर पर सरकार की योजनाओं और छवि को बेहतर बनाने में संगठन के पदाधिकारी बूथ से लेकर शक्ति केंद्रों तक पहुंचे। लोगों तक पहुंचने के लिए बूथ भाजपा की सबसे छोटी इकाई है। यहां संगठनात्मक कामों ने सरकार के पहले वर्ष को नई ऊर्जा दी। हितग्राहियों को योजनाओं से जोड़ने और सरकार के विजन को बताने के लिए कार्यकर्ताओं को जिम्मा सौंपा गया। उन्होंने सरकार की योजनाओं को घर-घर पहुंचाया। चुनौती कुछ विधायकों ने कानून-व्यवस्था से लेकर ब्य़ूरोक्रेसी पर अनदेखी के आरोप लगाए। इस दौरान संगठन ने ऐसे नेताओं को सख्त चेतावनी देते हुए अनुशासन का पाठ पढ़ाया।