उपराष्ट्रपति धनखड़ के ‘संसद सर्वोच्च है’ बयान के बाद सीजेआई गवई बोले: केवल संविधान ही सर्वोच्च

वक़्फ़ अधिनियम को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा था कि ‘संसद सर्वोच्च है’ और ‘संविधान में संसद से ऊपर किसी भी प्राधिकरण की कल्पना नहीं की गई है.’ अब सीजेआई बीआर गवई ने कहा है कि संविधान ही सर्वोच्च है.

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट द्वारा राज्यपालों के माध्यम से राष्ट्रपति के पास भेजे गए विधेयकों पर निर्णय लेने के लिए समयसीमा तय करने की टिप्पणी पर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ की आपत्ति के बाद भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) बीआर गवई ने रविवार (18 मई) को कहा कि ‘भारत का संविधान ही देश में सर्वोच्च है.’

धनखड़ ने इससे पहले समयसीमा तय करने के मसले पर कहा था कि न्यायपालिका ‘सुपर संसद’ बनने की कोशिश कर रही है.

वक्फ संशोधन अधिनियम को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद उपराष्ट्रपति ने यह भी कहा था कि ‘संसद सर्वोच्च है’ और ‘संविधान में संसद से ऊपर किसी भी प्राधिकरण की कल्पना नहीं की गई है.’

लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार, इस पर प्रतिक्रिया देते हुए सीजेआई गवई ने मुंबई में महाराष्ट्र और गोवा बार काउंसिल द्वारा आयोजित सम्मान समारोह में कहा, ‘जब सवाल पूछा गया कि न्यायपालिका, कार्यपालिका या संसद में कौन सर्वोच्च है, तो मैं कहूंगा कि भारत का संविधान ही एकमात्र सर्वोच्च है और देश के तीनों स्तंभों- न्यायपालिका, संसद और कार्यपालिका को संविधान के तहत मिलकर काम करना चाहिए.’

गवई ने कहा कि ऐतिहासिक केशवानंद भारती मामले के फैसले ने देश को संरक्षित किया है. उन्होंने कहा, ‘मैं कह सकता हूं कि इस फैसले की वजह से ही देश के तीनों स्तंभ- कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका, सुचारु रूप से कार्य कर पा रहे हैं.’

समारोह में बोलते हुए सीजेआई गवई ने यह भी कहा कि जो कुछ भी वे आज हैं, वह डॉ. भीमराव आंबेडकर की विचारधारा और अपने माता-पिता से मिले ‘संस्कारों’ की वजह से हैं.

हालांकि, उन्होंने इस बात पर नाराज़गी जताई कि महाराष्ट्र में अपने गृह राज्य की पहली यात्रा पर न तो राज्य के मुख्य सचिव, न ही डीजीपी और न ही मुंबई पुलिस आयुक्त ने उनसे मुलाकात की.

गवई ने कहा, ‘जब इस राज्य का बेटा, जो अब देश का मुख्य न्यायाधीश है, पहली बार महाराष्ट्र आता है और राज्य के मुख्य सचिव, पुलिस आयुक्त आदि कार्यक्रम में शामिल नहीं होते, तो यह उनकी समझदारी पर ही छोड़ देना चाहिए.’