इंदौर : मंदसौर में सामूहिक ज्यादती की शिकार हुई 7 साल की मासूम इंदौर के एमवाय जिला अस्पताल में भर्ती है। दर्द से कराहती कुछ देर के लिए बस आंख खोलती है। सिरहाने बैठे पिता से सिर्फ इतना बोली कि वह हाथ पकड़कर ले गया था। वहीं मां उसे पथराई आंखों से एकटक देखती रहती है। मासूम के चेहरे पर हैवानियत के ऐसे निशान हैं कि देखकर रूह कांप जाए। जगह-जगह दरिंदे के दांत गढ़े हुए हैं। रैक्टम (मलाशय) बुरी तरह फट गया है। अन्य प्राइवेट पार्ट लहूलुहान हैं। मंदसौर जिला अस्पताल से बुधवार शाम को ही उसे यहां रैफर किया गया था। रात में ही डॉक्टरों को ऑपरेशन करना पड़ा। आंतों को काटकर बाहर एक रास्ता बनाकर प्राइवेट पार्ट्स को रिपेयर किया गया। नाक पर जख्म इतने गहरे कि ट्यूब लगानी पड़ी और मुंह के घावों को ढंकने के लिए ल्यूकोप्लास्टी की गई।
मासूम का इलाज कर रहे डॉ. ब्रजेश लाहोटी ने बताया कि बच्ची को गंभीर चोट के निशान हैं। प्राइवेट पार्ट्स को संक्रमित होने से बचाने और रैक्टम से मोशन पास हो सके, इसलिए आंतों को काटकर बाहर से रास्ता (कोलेस्टोमी) बनाया गया। एक यूनिट ब्लड भी चढ़ाया। हालत अभी स्थिर है। थोड़ा-थोड़ा पानी पीने की इजाजत दी है। बच्ची अभी भी सदमे में है, इससे बाहर निकलने में उसे वक्त लगेगा।
वार्ड को कांच की दीवारों से दो हिस्सों में बांटा गया है। बच्ची के पास दो पुलिसकर्मी तैनात हैं। दो वार्ड में और दो वार्ड के बाहर पहरा दे रहे हैं। परिवार को भी किसी से मिलने नहीं दिया जा रहा। माता-पिता बेबसी से बच्ची की आंख खोलने का इंतजार करते हैं। रात से सुबह तक पलंग पर एक करवट लिए वह बेजान पड़ी रही। आंसू रोके मां उसे इस उम्मीद में उसे ताकती रहती कि वह उठे और बात करे। वह कुछ देर आंखें खोलती और फिर बंद कर लेती।
मासूम के पिता ने बताया कि मेरी बच्ची उठती है और सो जाती है। बात तो ज्यादा नहीं कर रही। मुझे पहचान गई। सिर्फ एक बार बोली। उन्होंने बताया कि उस दिन मैं 15 मिनट लेट गया था। शाम 5.45 बजे स्कूल पहुंचा तो बच्ची नहीं मिली। थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई। जिस दरिंदे ने मेरी बच्ची के साथ ऐसा किया है उसे चौराहे पर खड़ा कर फांसी हो, तभी हमारी आत्मा को शांति मिलेगी। मां रोते हुए बोलीं- बेटी को रोज उसकी दादी या पापा स्कूल छोड़ने-लेने जाते थे।