प्रदेश में निजी स्कूल प्रबंधन की मनमानी वसूली से परेशान आम आदमी को अब सरकार राहत देने की तैयारी कर रही है। अगर सरकार ऐसा करने में सफल रही तो जनता को शिक्षा माफिया से बड़ी राहत मिल जाएगी। हालांकि सरकार द्वारा इसके लिए बीते छह सालों से कवायद की जा रही है। चुनावी साल में सरकार इसके लिए मप्र निजी विद्यालय फीस अधिनियम का नोटिफिकेशन कर सकी है। जिसके बाद अब इसके लिए नियम बनाने की कवायद की जा रही है। इसके लागू होने के बाद फीस-स्कूल ड्रेस व कॉपी-किताब के मामले में प्राइवेट स्कूलों की मनमानी पर लगाम लग जाएगी। इसके लागू होने के बाद स्कूल प्रबंधन पांच साल तक न तो ड्रेस बदल सकेंगे न फीस के रूप में वसूल की जाने वाली राशि नकद ले सकेंगे। फीस जमा करने के लिए उन्हें पालकों को बैंक एकाउंट बताना होगा यही नहीं नया शिक्षण सत्र प्रारंभ होने के 150 दिन पहले नए सत्र की फीस पोर्टल पर डालनी होगी। इसके साथ ही पिछले तीन साल के लाभ हानि की डिटेल भी देनी होगी। गौरतलब है कि जिले में प्राइवेट स्कूलों की संख्या 720 हैं। इनमें 15 सीबीएसई पैटर्न के हैं जबकि शेष सभी एमपी बोर्ड से मान्यता प्राप्त हैं। इन स्कूलों में लगभग 1 लाख 10 हजार छात्र अलग-अलग कक्षाओं में अध्ययन करते हैं। इन्हें कभी फीस के नाम पर स्कूल संचालक परेशान करते हैं कभी स्कूल ड्रेस या कॉपी-किताब एक ही दुकान से खरीदने के नाम पर। जिला शिक्षा अधिकारी एसपी त्रिपाठी के मुताबिक इस तरह की शिकायतें हर शिक्षण सत्र में आती हैं। प्राइवेट स्कूलों की मनमानी पर लगाम लगाने के लिए ही अधिनियम बना है और अब नियम भी बन जाएंगे।
नए नियमों में यह प्रावधान
– नया शिक्षण सत्र प्रारंभ होने के 150 दिन पहले नए सत्र की फीस पोर्टल पर डालनी होगी
– प्राइवेट स्कूलों के लिए ये भी है नए अधिनियम में
– पोर्टल पर फीस की संरचना प्रस्तुत नहीं करने पर लेट फीस के साथ 135 दिन में जानकारी देनी होगी।
– जो स्कूल लाभ 10 फीसदी से कम बताकर फीस बढ़ाएंगे, जांच के लिए उनके दस्तावेज जब्त हो सकेंगे।
– 10 फीसदी की वृद्धि तभी मंजूर होगी जब कोई शिकायत नहीं होगी, अंतिम निर्णय डीईओ लेंगे।
– 10 से 15 फीसदी वृद्धि प्रस्तावित होने पर फीस वृद्धि पर निर्णय 45 दिन में जिलास्तरीय समिति लेगी।
– प्राइवेट स्कूल फीस की डिटेल वेबसाइट पर नहीं डालने पर उन्हें हिंदी-अंग्रेजी में यह बताना होगा।
– कोई भी स्कूल छूट के नाम पर एक तिमाही से ज्यादा फीस एक साथ नहीं ले सकेगा।
– स्कूल का नाम केवल ड्रेस पर होगा, एक दुकान से ड्रेस, स्टेशनरी खरीदने को विवश नहीं करेंगे।
– किताबों की बिक्री के लिए स्कूल परिसर में सरकारी प्रकाशकों की छोटी दुकानें खुल सकेंगी।
– जिला स्तर की समिति किसी भी स्कूल में जांच के लिए प्रवेश कर सकेगी।
– मनमानी करने पर पहली बार दो लाख, दूसरी बार चार लाख तथा तीसरी बार छह लाख जुर्माना।
– जुर्माना न देने पर इसकी वसूली राजस्व अधिकारियों की मदद से कुर्की और नीलामी के माध्यम से।
– स्कूल की शिकायत पालक-छात्र ही कर सकेंगे।