मोदी की क्लास के बाद भी मप्र के 6 पिछड़े जिलों की रैंकिंग और गिरी

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा स्वयं पिछड़े जिलों को आगे लाने के लिए अफसरों की लगाई गई क्लास के बाद भी प्रदेश के आठ जिलों में से आधा दर्जन जिलों में हालात सुधरने की जगह और खराब हो गए हैं। यह खुलासा हाल ही में आयी नीति आयोग की डेल्टा रैंकिंग रिपोर्ट से हुआ है। इन जिलों में विदिशा, राजगढ़, छतरपुर, दमोह, बड़वानी और खंडवा शामिल हैं। आयोग की डेल्टा रैंकिंग में केवल दो जिले गुना और सिंगरौली की स्थिति में सुधार बताया गया है जबकि शेष छह जिलों की रैकिंग और नीचे जाना बताया गया है। यह रिपोर्ट ऐसे समय आयी है जब प्रदेश में कुछ माह बाद ही विधानसभा के चुनाव होने हैं। इससे प्रदेश सरकार की परेशानियां बढ़ गई हैं। गौरतलब है कि आयोग ने पिछड़े जिलों में प्रतिस्पर्धा बढ़ाने के लिए छह थीम के 49 मानकों पर सर्वे कराकर मार्च में देश के 117 जिलों की पहली रिपोर्ट जारी की थी। इसमें प्रदेश के 8 जिलों को शामिल कर विकसित किए जाने का लक्ष्य दिया था। तीन महीने बाद 108 जिलों की सामने आई दूसरी सर्वे रिपोर्ट ने प्रदेश को और अधिक निराश किया है। सबसे खराब स्थिति राजगढ़ जिले की है। यह 15वें नंबर से खिसककर रैंकिंग में 84 नंबर पर पहुंच गया। स्वास्थ्य से लेकर कुपोषण, शिक्षा समेत हर मामले में पिछड़ गया। प्रदेश के इन जिलों की यह हालत तब है, जब मार्च की रिपोर्ट के बाद नीति आयोग ने अपनी निगरानी में लिया था। हर जिले केंद्र सरकार के एडीशनल व ज्वाइंट सेकेट्री इंपॉवर कमेटी के प्रभारी के रूप में तैनात किए गए थे।
सुषमा स्वराज का संसदीय क्षेत्र बदतर
विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के संसदीय क्षेत्र का जिला विदिशा भी सतत विकास सूचकांक में और पीछे पहुंच गया। मार्च में रैंकिंग में 42वें स्थान पर रहा। यह जिला 33 अंक गिरकर 75वें नंबर पर पहुंच गया। प्रदेश के वित्तमंत्री जयंत मलैया के गृह जिले दमोह की भी सूरत नहीं बदली। वह 19वें से 24वें रैंक पर पहुंच गया।
सिंगरौली व गुना की स्थिति बेहतर
प्रदेश के दो जिलों गुना और सिंगरौली ने तीन माह में प्रदर्शन में काफी सुधार किया है। निचले पायदान पर रहे सिंगरौली ने 99वीं रैंक से छलांग लगाकर 63वें नंबर पर आ गया। गुना की रैंक 25वीं है, जो पहले 47वें नंबर पर था।
इन मानकों पर हुआ सर्वे
नीति आयोग की ओर से डीप डाइव नाम से यह सर्वे टाटा ट्रस्ट और आइडी इनसाइट ने तीन विषयों और 6 थीम के 49 पैरामीटर पर किया। आयोग की ओर से स्वास्थ्य एवं पोषण, शिक्षा, कृषि व जल संसाधन, वित्तीय समावेशन, कौशल विकास और बुनियादी अधोसंरचना के आधार पर स्कोर दिए गए। सिंगरौली को छोडक़र इन सभी थीम पर प्रदेश के शेष 7 जिले फिसड्डी रहे।
इनका कहना है
नीति आयोग की रिपोर्ट को लेकर पूरे जिले में काम हो रहे हैं। गांव की बात हो या शहरों की, सभी जगह स्वास्थ्य, पोषण, जल संरक्षण, कृषि को लेकर अच्छे प्रयास किए जा रहे हैं।
-कर्मवीर शर्मा, कलेक्टर राजगढ़
चुनौती स्वीकार है। विदिशा अभी 75वें स्थान पर है। हमने पूरा अध्ययन कर लिया है। व्यवस्थाएं सुधारने पर पूरा फोकस है। अमले की कमी नहीं है, उसका सही उपयोग किया जाना है। हम दो-तीन माह तक रैंक की ओर नहीं, काम पर फोकस कर रहे हैं। हो सकता है रैंक और गिरे, लेकिन इसके बाद नतीजे अच्छे मिलेंगे। हम एक-एक गर्भवती माता, जन्म लेने वाले बच्चे और स्कूलों में पढऩे वाले हर बच्चे पर फोकस कर रहे हैं।
-कौशलेन्द्र विक्रम सिंह, कलेक्टर विदिशा