मध्यप्रदेश विधानसभा के मौजूदा 149 विधायकों के सात सौ से ज्यादा सवालों का जवाब अब सरकार द्वारा कभी भी नहीं दिया जाएगा। यह सवाल बीते सत्र में पूछे गए हैं। प्रदेश में इसी साल चुनाव होने हैं और चौदहवीं विधानसभा का कार्यकाल खत्म होने में अब महज पांच माह ही बचे हैं, जिसकी वजह से नई सरकार के गठन के बाद ही नया सत्र आहुत हो सकेगा। यह लंबित सवाल नई विधानसभा के गठन के साथ ही समाप्त हो जाएंगे।
लोकतंत्र में विधानसभा को सबसे बड़ा मंदिर माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि विस में सवाल पूछे जाएंगे तो सरकार जरूर देगी। लेकिन सरकार कई सवालों के जवाब लगातार टालती आ रही है। विधायकों को कहना है कि यह सीधे-सीधे उनके हक पर प्रहार है। क्योंकि सदन में विधायकों का सबसे बड़ा अधिकार सवाल पूछने का है, लेकिन उन्हें उसी के जवाब नहीं मिल रहे हैं।
जवाब मिलता तो होती किरकिरी
विधायकों को ज्यादातर राज्य में हुए घोटालों, सरकारी योजनाओं की असफलता, अनाब-शनाब खर्च से जुड़े हैं। इन सवालों के जवाब नहीं मिले हैं, जिसके जवाब आने और जनता के बीच जाने से सरकार की किरकिरी होती। इस किरकिरी से बचने के लिए सरकार लगातार सवालों के जवाब टालती रही। कुछ सवाल तो इस 14वीं विधानसभा के शुरूआत के हैं।
क्या कहता है नियम
सत्र की अधिसूचना के साथ ही विधायक लिखित सवाल विधानसभा सचिवालय को देते हैं। सचिवालय इनके जवाब सरकार से लेकर पुस्तक के रूप में प्रकाशित करता है। सदन में ये जवाब पेश होते हैं। मंत्री जवाब देते हैं। यदि एक सत्र में कोई जवाब नहीं आता तो उसे अगले सत्र में पेश करना अनिवार्य होता है, लेकिन विभाग इसमें लापरवाही की जाती है।
इन सवालों के नहीं मिले जवाब
पेंशन घोटाला, सिंहस्थ, व्यापमं घोटाला, किसान आत्महत्या, खनन घोटाला, राज्योत्सव सहित अन्य आयोजन में हुआ खर्च, राशि किस मद से खर्च की गई, दवा और मेडिकल उपकरण खरीदी, किन कंपनियों से हुआ अनुबंध, लोकायुक्त और ईओडब्ल्यू ने भारतीय प्रशासनिक सेवा के कितने अफसरों को रंगे हाथों पकड़ा, फांसी की सजा के प्रावधान के बाद कितनी नाबालिग बच्चियों के साथ सामूहिक दुष्कर्म और बलात्कार की घटनाएं हुई, किसान आंदोलन के दौरान कितने प्रकरण दर्ज हुए, गोलीकाण्ड के दोषियों पर क्या कार्रवाई हुई, व्यापमं घोटाला उजागर होने के बाद कितने विद्यार्थियों की डिग्रियां निरस्त, कितने मृतकों के अंगदान किए गए, किसे अंग प्रत्यारोपित किए गए, अंगदान का सहमति पत्र।
ऐसे हैं सवाल पूछने वाले विधायक
विश्वास सारंग और जालम सिंह पटेल ने विधायक की हैसियत से सवाल पूछे थे, लेकिन इनके जवाब भी सरकार टालती रही, अब ये सरकार में मंत्री बन गए हैं, लेकिन इनके द्वारा पूछे गए सवालों के जवाब अभी तक सरकार ने नहीं दिए। इसी प्रकार नारायण त्रिपाठी जब कांगे्रस विधायक थे तब उन्होंने सवाल पूछा था। इस बीच उन्होंने कांग्रेस छोड़ भाजपा का दामन थामा, उप चुनाव में फिर जीते अब भाजपा विधायक हैं, लेकिन इन्हें सवाल का उत्तर नहीं मिला।
प्रमुख विभागों के अटके सवाल
कृषि – 86
गृह – 81
चिकित्सा शिक्षा – 83
जल संसाधन – 77
स्वास्थ्य – 58
वन – 24
सहकारिता – 23
सामान्य प्रशासन – 32
इनका कहना है
सरकार तानशाही पर उतर आई है। विधायक तो सदन में ही सवाल पूछेंगे। सवाल पूछो तो जानकारी नहीं दी जाती। कई सवाल ऐसे हैं जिनके सवाल अभी तक नहीं आए। अब 14वीं विधानसभा समाप्त होने के साथ ये सवाल भी समाप्त हो जाएंगे।
– डॉ. गोविंद सिंह, विधायक
विधायक 30 दिन पहले लिखित सवाल देता है, विधानसभा सचिवालय उसे उसी दिन सरकार को भेज देती है, लेकिन यह विभागों की गंभीर लापरवाही है। सवालों का जवाब न देकर सरकारी महकमे कानून की अव्हेलना कर रहे हैं।
– बाबूलाल गौर, विधायक
विधायकों के सवालों के जवाब समय पर मिल जाएं, इसके लिए सचिवालय लगातार प्रयास करता है। सदन में भी स्पीकर ने समय-समय पर सरकार को निर्देश दिए। शेष रहे सवालों के जवाब सरकार से प्राप्त करने के प्रयास किए जा रहे हैं।
– अवधेश प्रताप सिंह, प्रमुख सचिव मध्यप्रदेश विधानसभा