प्रतिबंध की आड़ में जारी है अध्यापकों के तबादलों का खेल

सरकार ने प्रदेश में अध्यापकों के तबादलों पर वैसे तो बीते आठ माह से प्रतिबंध लगा रखा है, लेकिन इसी प्रतिबंध की आड़ में अफसरों व नेताओं के गठजोड़ द्वारा तबादलों का खेल खेलकर अपने वारे न्यारे किए जा रहे हैं। खास बात यह है कि प्रदेश में सहायक अध्यापकों के तबादलों के लिए तय गाइड लाइन के मुताबिक सिर्फ ऑनलाइन प्रक्रिया ही अपनाई जाएगी। इसके बाद भी पर्दे के पीछे से तबादलों का खेल जारी है। इसके कई उदाहरण हाल ही में सामने आ चुके हैं। इसमें भी खास बात यह है कि इस तरह के तबादले सिर्फ स्थानीय स्तर पर ही नहीं हो रहे, बल्कि लोक शिक्षण संचालनालय, स्कूल शिक्षा विभाग के उप सचिव और राजनीतिक नेताओं की सांठगांठ से भी किए जा रहे हैं। प्रदेश मेें यह तब हो रहा है जब अंतर्निकाय तबादलों के आदेश में स्पष्ट कहा गया है कि सिर्फ ऑनलाइन ही तबादले किए जाएंगे। अब सवाल तो यह उठता है कि जब तबादलों पर रोक है, तबादले ऑनलाइन होने हैं तो फिर ये आदेश कैसे जारी हो रहे हैं।
यह हैं बैकडोर तबादलों के उदाहरण
5 जुलाई को गुना जिला पंचायत के मुख्य कार्यापालन अधिकारी ने एक आदेश जारी करते हुए गुना में पदस्थ सहायक अध्यापक दीपिका बैस का तबादला सीहोर के इछावर कर दिया। तबादला आदेश में सीहोर के जिला शिक्षा अधिकारी के पत्र का हवाला भी दिया गया है।
2 जुलाई को सीहोर के जिला शिक्षा अधिकारी ने एक आदेश जारी करते हुए विदिशा जिले में पदस्थ सहायक अध्यापक रेवाशंकर पवार का तबादला सीहोर के नसरुल्लागंज मेें कर दिया।
5 जुलाई को स्कूल शिक्षा विभाग की उप सचिव ने विशेष प्रकरण मानते हुए आदेश जारी करते हुए सीधी में पदस्थ सहायक अध्यापक नेहा बिसेन का तबादला बालाघाट कर दिया। जबकि तबादला नीति में विशेष प्रकरण का जिक्र कहीं है ही नहीं।
एक नजर तबादला नीति पर
प्रदेश में 8 महीने पहले अध्यापकों की अंतर्निकाय संविलियन तबादला नीति जारी हुई थी इस नीति के तहत एक जिले से दूसरे जिले में जाने के इच्छुक शिक्षक अपना तबादला मनमानी जगह पर ले सकते हैं। इस नीति में पहली बार पुरुष अध्यापकों को भी शामिल किया गया था। नीति लागू होने के बाद बाकायदा शासन स्तर पर आदेश जारी हुए और बताया गया कि सिर्फ ऑनलाइन आवेदन ही स्वीकार्य होंगे। तबादले शुरू भी हो गए। इसके बाद हाईस्कूल के 3787 अध्यापक और वरिष्ठ अध्यापकों की सूची भी जारी कर दी गई। इन्होंने नई पदस्थापना में ज्वाइनिंग भी दे दी। इसके बाद सरकार ने अध्यापकों का शिक्षा विभाग में संविलियन कर दिया इसके चलते विभाग ने सहायक अध्यापकों के तबादलों पर रोक लगा दी। अब तबादले संविलियन के बाद होंगे।