कांग्रेस में पर्यवेक्षकों को लेकर नाराजगी पर लिखित शिकायत से परहेज

प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) द्वारा प्रदेश में अन्य प्रदेशों के 61 नेताओं को बतौर केंद्रीय पर्यवेक्षक भेजा गया है। कुछ पर्यवेक्षकों को लेकर स्थानीय स्तर पर नाराजगी की खबरों के बाद माना जा रहा था कि पार्टी उन्हें वापस बुला सकती है, लेकिन संगठन द्वारा कार्यकर्ताओं से पर्यवेक्षकों के खिलाफ मांगी गई शिकायत व सबूत अब तक किसी भी नेता ने नहीं दिए हैं। खास बात यह है कि इस मामले में नेता व कार्यकर्ता दबी जुबान से शिकायत करने के बाद भी सामने आने को तैयार नहीं हैं। दरअसल बीते दिनों चुनावी रणनीति और तैयारियों को लेकर कांग्रेस के पूर्व विधायकों एवं पूर्व सांसदों की बैठक में कुछ नेताओं ने केंद्रीय पर्यवेक्षकों के काम-काज को लेकर सवाल उठाए थे। उनका कहना था कि पर्यवेक्षक क्षेत्र में नेताओं पर दबाव बनाते है। वरिष्ठ नेताओं को महत्व नहीं दे रहे हैं। पार्टी अध्यक्ष कमलनाथ ने ऐसे पर्यवेक्षकों को हटाए जाने का भरोसा देते हुए लिखित शिकायत और सबूत मांगे थे। इसके अभाव में पार्टी इससे काम लेती रहेगी। इन पर्यवेक्षकों को विधानसभा क्षेत्रों की जिम्मेदारी दी गई है। ये वहां पार्टी की स्थिति, चुनाव के लिए जिताऊ और योग्य उम्मीदवारों की तलाश, बूथस्तर तक पार्टी को मजबूती प्रदान करने सहित पार्टी द्वारा सौंपी गई अन्य जिम्मेदारियों को निभा रहे हैं।
चुनाव तक रहेंगे क्षेत्र में
विधानसभा स्तर पर जिम्मेदारी संभाल रहे इन नेताओं से कहा गया है कि वे विधानसभा चुनाव तक क्षेत्र में रहेें। पार्टी के निर्देश पर अधिकांश ने क्षेत्र में डेरा जमा लिया है। यह पर्यवेक्षक सीधे एआईसीसी को रिपोर्ट दे रहे हैं। हालांकि, पीसीसी भी उनके कामकाज पर नजर रखे हुए हैं।