चार करोड़ की वापसी के लिए सीए को दे दिए सवा करोड़

प्रदेश के सहकारी बैंक पहले से ही घाटे में चल रहे हैं, इसके बाद भी इनमें होने वाले घोटालों पर लगाम नहीं लग पा रही है। ऐसा ही एक नया मामला हाल ही में सामने आया है। यह मामला जिला सहकारी बैंक होशंगाबाद का है। यहां बैंक प्रबंधन ने अधीनस्थ करीब 150 सहकारी समितियों के चार करोड़ रुपए का टीडीएस रिफंड कराने के नाम पर चहेते एक चार्टर्ड अकाउंटेंट (सीए) कंपनी को 1.30 करोड़ रुपए फीस के नाम पर दे डाले। खास बात यह है कि इसके लिए संबधित सहकारी समितियों से सहमति भी नहीं ली गई। अब बैंक प्रबंधन संबंधित सहकारी समितियों से उनके हिस्से की फीस की राशि की मांग कर रहा है। मामले की शिकायत बैंक के संचालक मंडल के सदस्य गोपाल शरण चौरसिया ने सहकारिता विभाग से की है, जिसके बाद सहकारी विभाग ने जांच शुरु कर दी है। शिकायत के बाद यह भी जांच की जा रही है कि और कहीं तो ऐसी गड़बडी नहीं हुई।
क्या है मामला
खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति निगम प्रदेश की सभी समितियों को चार साल से टीडीएस काटकर गेहूं, धान सहित अन्य अनाज खरीदी की राशि का भुगतान कर रहा है। निगम ने इस दौरान होशंगाबाद और हरदा जिले में स्थिति 150 समितियों को करोड़ों रुपए का भुगतान किया था, जिसमें इन समितियों का रिफंड क्लेम बन रहा था। ये समितियां लगातार घाटे में चल रही हैं। इसके चलते इनका चार करोड़ रुपए रिफंड क्लेम बनता है। होशंगाबाद सहकारी बैंक ने गोयल एंड एसोसिएट्स हरदा को चार साल में रिफंड कराने के लिए एक करोड़ रुपए का भुगतान कर दिया।
शिकायत के बाद जबरन लिए सहमति पत्र
बैंक प्रबंधक ने मामला दबाने के लिए पांच दिन पहले सभी सहकारी समितियों को बुलाकर उनसे फीस के लिए सहमति पत्र भरवा लिए। सहकारिता विभाग के अफसरों का कहना है कि नियमों के अनुसार समितियों के रिफंड क्लेम कराने का काम बैंक का नहीं है। उनका आपस में कोई प्रशासनिक संबंध भी नहीं है। इसके बाद उक्त फर्म को भारी भरकम राशि देने के लिए खुद सारी समितियों का ठेका ले लिया। सूत्रों का कहना है कि बैंक प्रबंधक आरएस ठाकुर ने इस समितियों को उनका रिफंड करने के लिए आयकर विभाग में आवेदन ही नहीं करने दिया।
इनका कहना है
होशंगाबाद बैंक में गड़बड़ी करने की शिकायत वहीं के संचालक मंडल के सदस्य ने की है। हम इसकी जांच करवा रहे हैं। होशंगाबाद के जिला पंजीयक को जांच की जिम्मेदारी दी है।
– केदार शर्मा, आयुक्त, सहकारिता विभाग
यह निर्णय पूर्व अध्यक्ष का है। बैंक के संचालक मंडल में यह प्रस्ताव आया था तो अनुमोदन मैंने दिया है। फीस के भुगतान के संबंध में समितियों से सहमति भी ली गई है। सभी समितियां सहमत हैं, क्योंकि सीए ने सभी की राशि रिफंड कराने का वादा किया है।
– भरत सिंह, प्रभारी अध्यक्ष, जिला सहकारी बैंक होशंगाबाद
मेरा कार्यकाल सात सितंबर 2017 को समाप्त हुआ था। मेरे कार्यकाल में इस तरह का कोई प्रस्ताव तैयार नहीं किया गया था। न ही कोई भुगतान हुआ है। यह निर्णय वर्तमान कार्यकारी अध्यक्ष के कार्यकाल में लिया गया है।
– संतोष पाटिल, पूर्व अध्यक्ष, जिला सहकारी बैंक होशंगाबाद
बैंक के सीईओ आरबीएस ठाकुर ने अपने आप ही सीए की 26 प्रतिशत फीस तय की है। इस प्रस्ताव को संचालक मंडल में भी नहीं रखा गया है। बिना संचालक मंडल की अनुमति के ही 1.30 करोड़ का भुगतान सीए को कर दिया गया है।
– गोपाल शरण चौरसिया, सदस्य, बैंक संचालक मंडल