बसपा-सपा के मजबूत नेताओं को भाजपा में लाने की रणनीति

प्रदेश में इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस द्वारा बसपा और सपा के साथ संभावित गठबंधन को देखते हुए भाजपा भी पूरी तरह से सक्रिय हो गई है। भाजपा के रणनीतिकार एक बार फिर बीते विधानसभा चुनाव के समय इन दोनों ही दलों की गई तोडफ़ोड़ के नुक्से को आजमाने की तैयारी कर रहे हंै। इन दोनों ही दलों को ऐनवक्त पर इस तरह का झटका देकर भाजपा बड़ा झटका देकर उनके समीकरणों को गड़बड़ाने की तैयारी में है। इसके लिए अभी से भाजपा के रणनीतिकारों ने तैयारी शुरु कर दी है। इसके तहत भाजपा मौजूदा बसपा के चारों विधायकों के अलावा इस दल के मजबूत नेताओं पर नजर बनाए हुए हैं। भाजपा की नजर इसी तरह सपा के भी कुछ नेताओं पर है। भाजपा की मंशा इन नेताओं को चुनाव के पहले पार्टी में शामिल कराने की है। ऐसे नेताओं को तोडऩे के पहले पार्टी यह देखेगी की उनका इलाके में व्यापक जनाधार होने के साथ ही वे क्षेत्रीय एवं जातीय समीकरणों में भी फिट बैठते हों। सतना के रैगांव से बसपा विधायक ऊषा चौधरी का मुख्यमंत्री की जनआशीर्वाद यात्रा के मंच पर आना भी इसी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है। गौरतलब है कि सीएम हाउस में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, प्रदेश प्रभारी विनय सहस्त्रबुद्धे और राष्ट्रीय महामंत्री अनिल जैन के बीच हुई बैठक में इस रणनीति पर सहमति बन चुकी है।
गठबंधन से भाजपा की 70 सीटें होंगी प्रभावित
भाजपा के लिए ये गठबंधन चिंता का विषय इसलिए है, क्योंकि कांग्रेस-बसपा के साथ होने से भाजपा की 70 उन सीटों पर सीधा असर पड़ेगा, जहां पिछले चुनाव में जीत-हार का अंतर 10000 वोटों तक रहा है। पिछले चुनाव में भले ही बसपा को चार सीटें मिली हों, लेकिन 10 सीटों पर वो दूसरे नंबर पर रही थी। जबकि, 60 सीटें ऐसी थीं, जिनमें बसपा को 10000 वोट मिले थे, जिनमें से 17 सीटों पर 20000 से ज्यादा वोट हासिल किए थे।
नाराज नेताओं को मनाने की कवायद
भाजपा ने नाराज नेताओं को मनाने के लिए वन टू वन का सिलसिला भी शुरू कर दिया है। जनआशीर्वाद यात्रा में मैहर और कटनी क्षेत्र के पार्टी के पूर्व विधायकों ने खुलेआम नाराजगी जताई थी। संगठन ने इसे गंभीरता से लिया है और उसे दूर करने की कवायद भी कर रहा है। संगठन के बड़े नेता असंतुष्टों से मिलकर वन टू वन चर्चा कर रहे हैं। प्रदेश प्रभारी विनय सहस्त्रबुद्धे इसकी शुरुआत विंध्य से कर चुके हैं। सहस्त्रबुद्धे ने रीवा की संभागीय बैठक में नेताओं से वन टू वन चर्चा की। इस चर्चा में चुनावी तैयारी के साथ-साथ उनकी नाराजगी दूर भी करना था। नेताओं से ये भी कहा गया है कि टिकट किसी को मिले, लेकिन उनको भाजपा को जिताने का काम करना है। सरकार बनने पर सबकी चिंता की जाएगी।