महिलाओं की जिद ने बढ़ाई भाजपा व कांग्रेस की परेशानी

प्रदेश में इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव में अपनी भागीदारी बढ़ाने की महिला पदाधिकारियों की जिद ने कांग्रेस व भाजपा की मुसीबत बढ़ा दी है। इसके लिए अभी से दोनों ही संगठनों की महिला विंग पूरी तरह से सक्रिय हो गई हैं। दरअसल इस आधी आबादी पर पूरी तरह से दोनों ही दलों की नजर है। इसके लिए दोनों ही संगठनों की महिला इकाईयां सक्रिय बनी हुई हैं। भाजपा महिला मोर्चा तो सोशल मीडिया से लेकर बूथस्तर तक की चुनावी जमावट में लगा हुआ है। भाजपा महिला मोर्चा ने पार्टी से हर जिले में एक महिला को टिकट देने की मांग की है। दूसरी ओर महिला कांग्रेस अपना अलग घोषणा पत्र बनाने की तैयारी कर रही है।
भाजपा महिला मोर्चा हर जिले में चाहती है एक टिकट
भाजपा महिला मोर्चा इस बार विस चुनाव में बीते चुनाव की तुलना में दोगुने टिकट चाहती है। मोर्चा ने पार्टी से हर जिले में एक महिला को टिकट देने की मांग की है। प्रदेश में भाजपा के 56 संगठनात्मक जिले हैं। पार्टी ने 2013 में 28 महिलाओं को टिकट दिए थे। महिला मोर्चा का कहना है कि पिछली बार कई जिले ऐसे थे, जिनमें पार्टी ने एक भी महिला को टिकट नहीं दिया गया था। महिला मोर्चा ने संगठन से कहा है कि महिलाओं का भाजपा के प्रति रुझान तेजी से बढ़ा है। अगर ज्यादा महिलाओं को टिकट दी जाती है तो परिणाम सकारात्मक आएंगे।
जीत का प्रतिशत महिलाओं का अधिक
2013 में 28 में से 22 महिलाएं चुनाव जीती थीं। यानी कि जीत का प्रतिशत 78 फीसदी था। जबकि, पार्टी के पुरुष नेताओं की जीत का प्रतिशत 70 था। पार्टी ने 220 पुरुषों को टिकट दिए थे, इनमें से 143 जीते थे। उपचुनाव में भी भाजपा की महिलाओं ने जीत का सिलसिला जारी रखा। गायत्री राजे पंवार और मंजू राजेंद्र दादू जीतकर विधानसभा पहुंचीं। फिलहाल भाजपा की 24 महिला विधायक हैं।
इनका कहना है
हमें प्रदेश के हर जिले में एक टिकट तो चाहिए ही। पिछली बार भी महिलाओं का जीत का प्रतिशत बहुत अच्छा था। इस बार भी जीतकर भाजपा की सरकार बनाएंगी।
– लता एलकर, प्रदेश अध्यक्ष, महिला मोर्चा
महिला कांग्रेस के लिए अलग झंडा व लोगो
चुनावी साल में महिला कांग्रेस को नई पहचान मिली है। पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी ने राष्ट्रीय महिला कांग्रेस का झंडा और चिन्ह (लोगो) जारी किया है। वहीं, मध्यप्रदेश कांग्रेस महिलाओं के लिए अलग से चुनावी घोषणा पत्र भी तैयार कर रही है। अभी तक महिला कांगे्रस अपने कार्यक्रमों में पार्टी के झंडे और चिन्ह का इस्तेमाल करती थी। जबकि, पार्टी की अन्य विंग के पास अपने-अपने चिन्ह हैं। इसमें सेवादल, युवा कांग्रेस, एनएसयूआइ सहित अन्य विंग शामिल हैं, लेकिन महिला कांग्रेस के पास अपना कोई चिन्ह नहीं होने से पार्टी पर लगातार दबाव था, इसलिए अब इनको भी चिन्ह दिया है।
कांग्रेस ने दी महिलाओं को जिम्मेदारी
कांग्रेस का मानना है कि यदि परिवार की एक महिला सदस्य पार्टी के पक्ष में काम करती है तो अन्य सदस्यों को भी जोड़ सकती है, इसलिए महिलाओं को डोर-टू-डोर जाकर कैम्पेन की जिम्मेदारी भी दी गई है। विधानसभा चुनाव के लिए महिलाओं के लिए अलग से घोषणा पत्र भी होगा। इसमें महिलाओं के लिए घोषणाएं शामिल होंगी। हाल ही में भोपाल में महिला सम्मेलन के जरिए पार्टी ने महिलाओं से सुझाव भी लिए थे। समिति प्रदेश के अन्य इलाकों से भी सुझाव ले रही है।